17 जनवरी को हाउती विद्रोहियों द्वारा यूएई (UAE) के आबू धाबी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट और उसके आस-पास के क्षेत्रों में अटैक करने के बाद कुल तीन लोगों की मौत हुई थी, जिनमें से दो नागरिक भारतीय और एक पाकिस्तानी है. संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में हाउती विद्रोहियों द्वारा अटैक करने के एक दिन बाद सऊदी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने यमन की राजधानी साना में हवाई हमले किए, जिसमें 12 से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है.
यमन के ईरान समर्थित हाउती विद्रोहियों द्वारा अबू धाबी के अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट के तेल के टैंकरों को टारगेट करने और यमन की राजधानी साना पर सऊदी नेतृत्व द्वारा समर्थित जवाबी हमले के बाद देश में नागरिकों के लिए स्थिति और खराब होती नजर आ रही है.
गौरतलब है कि देश में पिछले कई सालों से संघर्ष जैसी स्थिति थी और इस नई के घटना होने के बाद एक और मानवीय संकट पैदा होता दिख रहा है.
सऊदी अरब और यूएई ने यमन के राष्ट्रपति अब्द-रब्बू मंसूर हादी की सरकार को बहाल करने के लिए 2015 के दौरान देश के आंतरिक युद्ध में हस्तक्षेप किया था.
बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक देश में उत्पन्न हुए संघर्ष के कारण 2021 के अंत तक 3.77 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं. पिछले साल के अंत में जारी की गई एक रिपोर्ट में युनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम ने कहा कि करीब 60 प्रतिशत मौतें अप्रत्यक्ष कारणों का नतीजा थीं, जिनमें अकाल और बीमारियां शामिल थीं. बाकी मौतें फ्रंट-लाइन युद्ध और हवाई हमलों के कारण हुई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मरे हुए कुल नागरिकों में से 70 प्रतिशत की संख्या बच्चों की है.
अकाल जैसी स्थिति
वर्ल्ज फूड प्रोग्राम (WFP) के मुताबिक लगभग 16.2 मिलियन यमन नागरिक या कुल आबादी के लगभग 45 प्रतिशत नागरिकों सामने खाद्य असुरक्षा जैसी स्थिति है. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने चेतावनी दी है कि 50 लाख से अधिक लोग अकाल के शिकार होने वाले हैं जबकि 50 हजार अन्य लोग अकाल जैसी स्थिति में रह रहे हैं.
बुनियादी चीजों की कीमतों में अचानक तेज बढ़ोतरी होने से खाद्य संकट बढ़ गया है. संघर्ष की शुरुआती दिनों के बाद इसमें 30 से 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है. बच्चों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण की स्थिति एक और चिंता का विषय है.
भारी संख्या में विस्थापन
लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष की वजह से देश में भारी संख्या में विस्थापन भी हुआ है. यूएन रिफ्यूजी एजेंसी (UNHCR) के आंकड़ों के मुताबिक यमन में संघर्ष जैसी स्थिति की वजह से लगभग 4.6 मिलियन नागरिकों को अपने ठिकानों से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि अकेले 2022 के शुरुआती दो हफ्तों में 3,468 लोग (578 परिवार) विस्थापित हुए हैं.
आंतरिक रूप से विस्थापित यमन के नागरिकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसके साथ ही अकाल व बीमारियों का भी खतरा अधिक होता है.
यूएनएचसीआर का अनुमान है कि कि यमन में हुए आंतरिक रूप से विस्थापित से लगभग 2.6 मिलियन लोगों के सामने खाद्य असुरक्षा जैसी स्थिति है. इस संघर्ष में बच्चे और महिलाएं भी प्रभावित हुई हैं, जो कुल IDP आबादी का 79 प्रतिशत है.
अंधकार में डूबा देश का भविष्य
देश में बनी संघर्ष की स्थिति का कोई हल नहीं नजर आ रहा है. जानकारों का कहना है कि यमन एक अंधकार के डूबे भविष्य का सामना कर रहा है. इस महीने की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि युद्ध में शामिल दलों ने जीत का दावा करने की कोशिशों में तेजी लाई है.
यमन में संयुक्त राष्ट्र महासचिव के दूत हैंस ग्रंडबर्ग (Hans Grundberg) ने सिक्योरिटी काउंसिल मीटिंग में कहा कि सात साल युद्ध के बाद सभी पक्ष एक दूसरे के खिलाफ खड़े नजर आ रहे हैं. युद्ध की स्थिति में समाधान के लिए कोई स्थाई विकल्प नहीं नजर आ रहा है.
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