ADVERTISEMENTREMOVE AD

चपटी नाक वाले बंदरों के गायब होने से लेकर चीन के युन्नान में वापसी तक की कहानी

Yunnan snub-nosed monkey 16 साल की उम्र से की तलाश, भेड़ियों का हुआ सामना, झोंग के प्रयासों बढ़ी है बंदरों की आबादी

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

जियांगगुकिंग युन्नान ब्लैक एंड व्हाइट स्नब-नोज्ड मंकी नेशनल पार्क (Xiangguqing Yunnan Black and White Snub-nosed Monkey National Park) में मैं एक दिन विजिट करने गया और वहां जाकर मैंने पाया कि ग्रे और सफेद फर वाले बंदरों के बच्चे एक डाली से दूसरी डाली में उछल-कूद कर रहे हैं. पास ही एक ग्रे और ब्लैक रंग का वयस्क बंदर पेड़ के नीचे बैठा हुआ है, वह बड़े ही सुकून से आस-पास मौजूद खतपरवार या जंगली घास को कुतर रहा था. यहां काफी शांति भरा माहौल था. इस पार्क के पूर्व अधिकारी झोंग ताई (Zhong Tai) बताते हैं कि ऐसा सुंदर दृश्य व शांति इस नेशनल पार्क में अचानक से या एकाएक नहीं आई है और न ही यह सबकुछ बड़ी आसानी से हुआ है.

यह राष्ट्रीय उद्यान चीन के युन्नान प्रांत में बैमा स्नो माउंटेन नेचर रिजर्व में स्थित है और झोंग ताई हाल ही में रिजर्व ब्यूरो फॉर मैनेजमेंट एंड प्रोटेक्शन के उप निदेशक के पद से रिटायर हुए हैं. इन्होंने अपने जीवन का ज्यादातर समय अपने सहयोगियों के साथ युन्नान के स्नब-नोज्ड मंकी यानी चपटी नाक वाले बंदरों की रखवाली में बिताया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

चपटी नाक वाले अनोखे बंदरों की तलाश का सिलसिला 

पहले जानते हैं इन बंदरों के आंकड़ों के बारे में...

30 साल से अधिक समय पहले स्नब-नोज्ड बंदर यानी चपटी नाक वाले बंदरों पर यहां गंभीर रूप से संकट आ गया था वे विलुप्त होने की कगार पर आ गए थे, लेकिन झोंग ताई और उनके सहयोगियों ने इन्हें बचाने का प्रयास किया. इनकी पहल का ही परिणाम है कि आज एक बार फिर यहां इन बंदरों की ठीक-ठाक बहाली हो सकी है.

अप्रैल 2021 में जारी युन्नान ब्लैक एंड व्हाइट स्नब-नोज्ड मंकी की डायनेमिक मॉनिटरिंग रिपोर्ट के अनुसार युन्नान स्नब-नोज्ड बंदरों की वर्तमान आबादी 23 ग्रुप्स में 3,300 से ऊपर हो गई है.

1983 में बैमा स्नो माउंटेन नेचर रिजर्व की स्थापना हुई थी उसी दौरान 16 साल की उम्र में झोंग एक कंजर्वेशन स्टेशन पर काम करने के लिए रिजर्व में शामिल हो गए थे. इसे दो साल बाद ही 1985 में स्नब-नोज्ड बंदरों का पता लगाने के लिए पहाड़ों में भेजा गया था.

युन्नान स्नब-नोज्ड बंदर मानव गतिविधियों से बहुत दूर, ऊंचे पहाड़ी इलाकों के गहरे जंगलों में पाए जाते हैं. इस दुर्गम परिस्थियों के साथ ही इस बंदर की दुर्लभ आबादी इन तक पहुंच को और ज्यादा मुश्किल बना देती है. जब झोंग 1985 में इसकी तलाश में गए थे तब महीनों तक इसकी तलाश करने के बाद झाेंग को केवल एक बंदर का पिछला हिस्सा ही दिखा था.

जून 1985 में, झोंग ताई की मुलाकात एक स्थानीय चरवाहे से हुई, जो पहले एक शिकारी के रूप में काम कर चुका था. उस चरवाहे ने ताई को सिखाया कि बंदरों को आखिर कैसे खोजा जा सकता है.

चरवाहा उन्हें बताता है कि “ये बंदर बहुत शोर करते हैं. उनकी तलाश के दौरान चुपचाप चलना चाहिए और जमीन पर पड़ने वाले उनके चारों पैरों की आवाज को ध्यान से सुनना चाहिए. जब आप उनका पीछा कर रहे हों तब खुद को छिपाने का प्रयास भी करना चाहिए. आप उभरे हुए पत्थरों के पीछे खुद को छिपा सकते हैं.”

"शिकारी" चरवाहे की सीख के साथ फिर शुरु हुई तलाश   

चरवाहे के निर्देशों का पालन करते हुए, झोंग ताई अगली सुबह चुपचाप बंदरों की "खोज" में निकल पड़े. उस रात उन्होंने एक नदी के पास तंबू में डेरा डाला, लगभग आधी रात को वहां भेड़िए की आवाज जोर-जोर से आने लगी. झोंग अपना अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि "भेड़िए इतनी तेज आवाज कर रहे थे कि मानो वे कैंप के पास ही हैं. मैं इतना डर ​​गया था कि पूरी रात सो नहीं पाया, मेरे बाल खड़े हो गए थे." जैसे ही सुबह हुई झोंग वापस अपने घर लौट गए.

झोंग के साथ उस रात जो कुछ भी हुआ उसे सुनकर चरवाहा हंस पड़ा. चरवाहे ने झोंग से कहा कि "कोई बात नहीं बच्चे! भेड़िया आपका मार्गदर्शक हो सकता है. वे (भेड़िए) भी बंदरों की तलाश में थे. इसमें डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि भेड़िये कभी भी आसपास के लोगों पर हमला नहीं करते हैं. आज रात को फिर तुम वहां वापस जाओ."

चरवाहे की इन बातों को सुनकर झोंग के अंदर नया जोश जागा और वे एक बार फिर बंदर की तलाश में निकल गए. लगातार ट्रैकिंग और अवलोकन करने के बाद आखिरकार झोंग ने यह देख ही लिया कि कैसे भेड़िए बंदरों का शिकार करते हैं.

जंगल में बंदरों को ढूंढना कहीं ज्यादा मुश्किल काम है. इंसानों की तुलना में बंदर काफी तेजी से प्रतिक्रिया करते हैं. जब कोई इंसान बंदरों को ट्रैक कर रहा होता है, तब आम तौर पर सतर्क प्राणी पहले ही इंसान के कदमों को सुन सकता है और फिर वहां से तुरंत भाग सकता है. इसी वजह से झोंग और उनके सहयोगी अक्सर बंदरों का बिना पता लगाए ही महीनों बिता देते थे.

युन्नान स्नब-नोज्ड बंदरों की संख्या का पहली बार अनुमान 1996 में लगाया गया था. तब इनकी अनुमानित संख्या 1200 बताई गई थी. झोंग बताते हैं कि यह अनुमानित आंकड़ा उनके (झोंग) और उनके साथ काम करने वाले कई सहयोगियों द्वारा बंदरों की जाने वाली दस से ज्यादा वर्षों की खोज और निगरानी का परिणाम था.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बंदरों की रक्षा के साथ ही उनके जंगली महौल की सुरक्षा भी जरूरी

झोंग कहते हैं कि ""हमने न केवल उनके जीवन और आबादी की रक्षा की, बल्कि हमने उन्हें जंगली भी बनाए रखा."

वे आगे कहते हैं कि "जियांगगुकिंग (Xiangguqing) केवल 20 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. बंदरों का एक समूह लगभग 10 वर्ग किलोमीटर के दायरे में ही अपनी गतिविधियों को अंजाम देता है. इसी वजह से इस पार्क की अधिकतम क्षमता 60 बंदरों की है. ऐसे में हमें छोटी आबादी को विकसित करना चाहिए और हर साल उन्हें नियमित रूप से प्रकृति में छोड़ देना चाहिए."

जंगल में छोड़े गए बंदरों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए, उनके जंगली व्यवहार या उनके जंगली माहौल को भी संरक्षित किया जाना चाहिए. लेकिन ऐसा करने से पहले आपको उन बंदरों के व्यवहार को समझना होगा.

शुरुआत में जियांगगुकिंग में बंदरों की आबादी में एक प्रवृत्ति को देखकर झोंग और उनके सहयोगी हैरान हो गए. इस आबादी में जन्म के दौरान मादा और नर बंदरों का लिंगानुपात 1:4 देखा गया जोकि एक चौंकाने वाला आंकड़ा था. इसकी वजह इस बंदर की आबादी में नर (पुरुष) काफी ज्यादा होते हैं. प्राकृतिक विरोधियों और मानवीय घुसपैठ से मुक्त जियांगगुकिंग में इन बंदरों के लिए काफी अच्छा वातावरण है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जन्म के समय बंदरों का लिंगानुपात इतना क्यों होता है?

ज्यादा अवलोकन करने से यह पता चला है कि युन्नान स्नब-नोज्ड बंदरों के समूह बहुत दूर तक फैले हुए हैं. आबादी के बीच जीन विनिमय को देखने के लिए मजबूत नर बंदरों के एक बड़े समूह को अन्य समूहों का पता लगाने के लिए बाहर निकलना जरूरी है. इसलिए तीन साल की उम्र में आम तौर पर एक नर बंदर को परिवार से बाहर कर दिया जाता है और 7 या 8 साल की उम्र में वह नए बंदर समूहों की खोज के लिए एक अभियान पर निकल पड़ता है. झोंग ने सचित्र इस बात को समझाया कि"जब आप इस बंदरों के एक समूह में मदर्स (माताओं) और आंट्स (चाचियों) का पाएंगे लेकिन जब आप मजबूत नर बंदर देखेंगे तो वह सिर्फ एक ही मिलेगा."

यही वजह है कि राष्ट्रीय उद्यान के कर्मचारियों ने बेस में सबसे मजबूत नर बंदरों को चुनना शुरू कर दिया और उन्हें हर एक या दो साल में जंगल में डाल दिया जाता हैं, वहीं कुछ पुराने और कमजोर बंदरों को बेस में देखभाल करने के लिए छोड़ दिया जाता है.

युन्नान में स्नब-नोज्ड बंदरों के संरक्षण पर एक आधिकारिक ग्रीन बुक 21 अप्रैल, 2021 को लॉन्च की गई थी. उस डॉक्यूमेंट के अनुसार युन्नान स्नब-नोज्ड बंदरों की आबादी 1996 में 13 समूहों में 1000 से 1,500 तक बढ़कर 2016 में 18 समुदायों में 3,000 हो गई है. इस समय इन बंदरों का अनुमान 23 समूहों में 3,300 से अधिक का लगाया गया है.

झोंग ताई ने भी इस डॉक्यूमेंट के निर्माण में अपना योगदान दिया है. वे इसे एक ज्ञापन मानता है जिसमें युन्नान स्नब-नोज्ड बंदर की सुरक्षा के लिए आवश्यक हर तकनीक और कार्रवाई का दस्तावेजीकरण किया गया है. इस दस्तावेज में बंदरों की अधिक सटीक संख्या का भी उल्लेख किया गया है. झोंग अंत में कहते हैं कि "अब मैं सेवानिवृत्त हो गया हूं, वर्षों तक संरक्षण के जो प्रयास किए गए है उसी से इस दस्तावेज का निर्माण किया गया है. अगली पीढ़ी को पता है कि उन्हें क्या करना है ऐसे में यह एक संदर्भ (रेफरेंस) के तौर पर भी काम कर सकता है."

(इस लेख में प्रयुक्त कंटेंट बीजिंग स्थित चीन-भारत डायलॉग द्वारा उपलब्ध कराया गया है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×