रिपोर्ट: फ़बेहा सय्यद
गेस्ट: देविंदर शर्मा, कृषि विशेषज्ञ; राकेश टिकैट, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता; जी. चंद्रशेखर, कृषि विशेषज्ञ.
इनपुट्स: वैभव पालिनिटकर और रौनक कुकड़े
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज
किसानों को लेकर केंद्र सरकार के तीन ऐसे अध्यादेश लाई है, जिनसे देशभर के हजारों किसान गुस्से में हैं. केंद्र के इन कानूनों का विरोध तेज हो चुका है और किसान सड़कों पर उतरने लगे हैं. इस विरोध ने एक बार फिर किसान आंदोलन का रूप ले लिया है. मानसून सत्र शुरू होने से कई हफ्ते पहले केंद्र सरकार की तरफ से कृषि क्षेत्र से जुड़े कुछ अध्यादेश लाए गए. जिन्हें बिल के तौर पर पेश कर इस सत्र में ही पास कराने की योजना है. लेकिन हरियाणा से लेकर पंजाब तक और अन्य राज्यों के किसान इसे किसान विरोधी बता रहे हैं और उग्र प्रदर्शन शुरू हो चुके हैं.
किसानों का कहना है कि इस तरह के कानून लाकर सरकार मंडी ख़त्म करना चाहती है, msp और फार्म स्टॉक की लिमिट ख़त्म करना चाहती है ताकि बड़ी कंपनियां एग्रीकल्चर सेक्टर में आ पाएं और किसान से कम दामों में फसल खरीदकर जितना चाहें उतना अपने पास जमा करें और बाद में अपने हिसाब से महंगा करके बेचे.
तो आज इन तीन ऑर्डिनन्सेस के बारे में जानेंगे और साथ ही बात करेंगे प्याज के निर्यात पर लगे बैन की. बताएंगे कि कैसे निर्यात पर लगी इस रोक ने प्याज किसानों को सड़क पर लगाकर खड़ा कर दिया है.
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