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अश्वेत की हत्या से उबल रहा अमेरिका, भारत के लिए क्या है सीख?  

US में ये प्रोटेस्ट और भारत में हाल में हुए CAA विरोधी प्रदशन एक दुसरे से कैसे समान और कैसे अलग?

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अमेरिका में हाल ही में 46 साल के एक अफ्रीकन अमेरिकन शख्स, जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस ने हत्या कर दी. हुआ ये था कि अमेरिका के मिनीपोलिस शहर में जॉर्ज फ्लॉयड को 25 मई को पुलिस ने एक दुकान पर $20 के नकली नोट देने के आरोप में गिरफ्तार किया था.गिरफ्तारी का पूरा एक वीडियो वाइरल हो गया जिस में एक पुलिस अफसर ने फ्लॉयड की गर्दन पर अपना घुटना रख हुआ था. फ्लॉयड को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और वो कह रहे थे- मैं सांस नहीं ले पा रहा हूं (I can’t breathe). फ्लॉयड के बेहोश होने के बाद भी पुलिस अफसर उनकी गर्दन पर घुटना रखा रहा. उसके बाद एक एम्बुलेंस में फ्लॉयड को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

जॉर्ज फ्लायड की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद लोगों का गुस्सा पुलिस पर इस कद्र फूटा कि देश भर में विरोध प्रदर्शन हो गए. पुलिस के प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की खबरें आई, फिर ऐसी खबरें भी आई कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की कारों में आग लगा दी और दोनों पक्षों से लोगों के घायल हुए.

कोरोना महामारी से पहले भारत में भी इसी तरह की तस्वीरें देखी गई थी, जब प्रदर्शनकारियों पर पुलिस के डंडे बरसे, आंसू गैस छोड़ी गई, गिरफ्तारियां की गई. यहां तक कि कुछ प्रोटेस्टर्स जिन में ज्यादातर कॉलेज छात्र थे उन्हें आज के दम तक आतंकवाद वाले कानून के तहत पकड़ पकड़ कर जेलों में डाला जा रहा है. आखिर सरकारों को प्रदर्शनकारियों से इतना बैर क्यों है? अमेरिका में इन हिंसक प्रदर्शनी से भारत क्या सीख सकता है, ये जानेंगे आज पॉडकास्ट में.

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