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रविवार को हो सकता है कैबिनेट में फेरबदल, इन मंत्रियों का इस्तीफा

जेटली ने गुरुवार को कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि अब ज्यादा दिन 2-2 मंत्रालयों का भार संभालना होगा

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मोदी सरकार में तीसरा फेरबदल 3 सितंबर यानी रविवार को हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंत्रिमंडल में फेरबदल रविवार को 11 बजे होगा. मोदी सरकार में यह फेरबदल बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि इस बार मंत्रिमंडल से कई मंत्रियों की छुट्टी और नए चेहरों को शामिल किए जाने की उम्मीद है. उम्मीद की जा रही है कि मोदी मंत्रिमंडल में उन राज्यों नए चेहरों को जगह मिल सकती है जहां आने वाले वक्त में विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके अलावा मोदी मंत्रिमंडल के फेरबदल में मिशन 2019 का असर भी नजर आ सकता है.

इस बीच केंद्रीय सरकार में मंत्री राजीव प्रताप रूडी, महेंद्रनाथ पांडेय और संजीव बाल्यान ने अपने पदों इस्तीफा दे दिया है वहीं उमा भारती ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से पद छोड़ने की इच्छा जताई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ अन्य मंत्रियों ने भी इस्तीफे की पेशकश की है. ऐसे में साफ है कि कैबिनेट में बड़ा बदलाव अगले 2 दिनों के भीतर ही होने जा रहा है.

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पार्टी के आदेश पर दिया इस्तीफा

इस्तीफे के बाद राजीव प्रताप रुडी ने कहा, ‘पार्टी का निर्णय हुआ कि आप अपना इस्तीफा दें, ये बिल्कुल सामान्य है. सरकार में काम करने का मौका मिला, आगे भी पार्टी में काम करने का मौका मिले बस इसी अभियान के साथ चलते हैं. ये सरकार और प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार होता है. इस में कोई तर्क नहीं होता.’

मोदी सरकार में मंत्री रहे संजीव बाल्यान ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे के बाद उन्होंने कहा, 'इस्तीफा मांगा गया, मैंने दे दिया. अब सारा समय पश्चिमी यूपी में पार्टी का प्रचार करूंगा.'

जेटली ने भी दिए नया रक्षा मंत्री मिलने के संकेत

गुरुवार को अरुण जेटली, नरेंद्र तोमर समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात भी की है. वैसे तो इस बैठक को गुजरात चुनाव की तैयारियों के लिए बुलाया गया था लेकिन इस दौरान केंद्रीय कैबिनेट पर चर्चा की बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता.

वित्त और रक्षा मंत्री जेटली ने भी बड़े फेरबदल के साफ संकेत दिए हैं. एक कार्यक्रम में आए जेटली ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि अब ज्यादा दिन उन्हें 2-2 मंत्रालयों का भार संभालना होगा.
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अतिरिक्त मंत्रालयों का बोझ

फिलहाल, अरुण जेटली, स्मृति ईरानी समेत मोदी कैबिनेट में ऐसे कई मंत्री हैं जिनके पास अतिरिक्त अहम मंत्रालयों का बोझ है. बता दें कि एक मंत्री के पास एक से ज्यादा मंत्रालय होना कोई खास बात नहीं है लेकिन आमतौर पर वो मंत्रालय एक दूसरे से जुड़े होते हैं. जैसे, फाइनेंस और कॉर्पोरेट अफेयर या फिर शिपिंग और रोड ट्रांसपोर्ट.

लेकिन जब रक्षा और वित्त जैसे मंत्रालय किसी एक ही मंत्री के पास हो तो सवाल तो उठ ही जाते हैं.

कैबिनेट में कुल 79 मंत्री

मई 2014 में शपथ लेने वाली सरकार में कुल 79 मंत्री हैं, जिनमें 24 कैबिनेट, 13 स्वतंत्रा प्रभार और 42 राज्यमंत्री हैं.

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इन मंत्रियों के पास है अतिरिक्त अहम मंत्रालयों का बोझ

स्मृति ईरानी: स्मृति ईरानी के पास फिलहाल 2 मंत्रालय हैं. वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बन जाने के बाद सूचना-प्रसारण मंत्रालय का एडिशनल चार्ज स्मृति ईरानी को मिला. उनके पास पहले से ही कपड़ा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी है.

नरेंद्र सिंह तोमर: तोमर के पास पांच मंत्रालय हैं. वेंकैया का शहरी विकास मंत्रालय उन्हें ही दिया गया है. इसके अलावा ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल और सफाई, गरीबी उन्मूलन मंत्रालय भी नरेंद्र सिंह तोमर के ही पास है.

जेटली ने गुरुवार को कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि अब ज्यादा दिन 2-2 मंत्रालयों का भार संभालना होगा
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अरुण जेटली: मनोहर पर्रिकर के गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद अरुण जेटली के पास वित्त और रक्षा जैसे दो भारी-भरकम मंत्रालय हैं.

डॉ हर्षवर्धन: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे के निधन के बाद पर्यावरण मंत्रालय का अतिरिक्त भार हर्षवर्धन को सौंपा गया था. उनके पास साइंस एंड टेक्नॉलजी विभाग पहले से ही था.

जेटली ने गुरुवार को कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि अब ज्यादा दिन 2-2 मंत्रालयों का भार संभालना होगा
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ये फेरबदल हो सकते हैं

अतिरिक्त मंत्रालय वाले मंत्रियों का बोझ कम करने के साथ ही कुछ दूसरे बदलाव भी हो सकते हैं. वहीं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को रक्षा मंत्रालय जैसी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है, बीजेपी के कुछ पदाधिकारियों की भी सरकार में आने की चर्चा है.

चुनावों पर नजर

अगले दो सालों में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं बीजेपी की वहां भी नजर है, ऐसे राज्यों के कुछ बड़े चेहरों को भी सरकार में जगह मिल सकती है. आंध्र प्रदेश, कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं और दक्षिण भारत का कैबिनेट में लंबे समय से प्रतिनिधत्व करने वाले वेंकैया नायडु अब देश के उपराष्ट्रपति हैं. इस जगह को भरने के लिए किसी दक्षिण भारतीय चेहरे को भी कैबिनेट में जगह मिल सकती है.

सहयोगी दलों की होगी सरकार में एंट्री!

हाल ही NDA में शामिल हुई नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और जम्मू कश्मीर में बीजेपी के साथ गठबंधन करने वाली पीडीपी को भी इस फेरबदल में जगह मिल सकती है. शिवसेना को भी एक और मंत्रालय मिलने की खबर है. हालांकि, AIADMK को एनडीए में शामिल करने की संभावना फिलहाल कम लग रही है.

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राज्यों के राज्यपाल भी बदले जाएंगे?

कैबिनेट में फेरबदल के साथ ही राज्य के राज्यपालों पर भी फैसला लिया जा सकता है. इस समय कई राज्यों में राज्यपाल के पद खाली है, वहीं बिहार और पश्चिम बंगाल के वर्तमान में एक ही राज्यपाल हैं केशरीनाथ त्रिपाठी.

जाहिर, है कि इन संवैधानिक पदों को भी भरा जाना है. अटकलें है कि कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को राज्यपाल बनाकर भेजा जा सकता है, इससे पहले केंद्रीय मंत्री से मणिपुर की राज्यपाल बनाई गई नजमा हेपतुल्ला इसकी उदाहरण है. इसी तर्ज पर 75 साल पार कर चुके उत्तर प्रदेश से आने वाले केंद्रीय मंत्री (MSME) कलराज मिश्र की भी छुट्टी हो सकती है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह पर को भी पदभार से हटाया जा सकता है, अभी उनके इस्तीफे के पेशकश की खबरें मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से चलाई जा रही हैं.

इन सारे बदलावों के बीच माना जा रहा है कि आने वाले कुछ ही दिनों में होने वाला कैबिनेट बदलाव साल 2019 के आम चुनावों से पहले का आखिरी बड़ा बदलाव होगा. सरकार का आखिरी साल तो चुनावी तैयारियों में ही बीतता है. यानी नए विभाग संभालने वाले मंत्रियों के पास अपना काम दिखाने के लिए एक साल से भी कम का वक्त होगा.

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