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AAP ने ऐसे फतह की मोहाली, ताकते रह गए कांग्रेस-बीजेपी-अकाली?

Mohali Election result: मोहाली की सभी 3 सीटों खरड़, मोहाली और डेरा बस्सी पर आप की जीत.

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आम आदमी पार्टी (AAP) ने पंजाब विधानसभा चुनावों (Punjab Election Result 2022) में बड़ी जीत हासिल की है. पार्टी ने पंजाब के तीनों क्षेत्रों- माझा, मालवा और दोआबा को फतह करने में कामयाबी हासिल की है. इसी तरह पंजाब का एक और क्षेत्र जिसका नाम है पुआध, जिसमें मोहाली जिला भी आता है. मोहाली की तीनों सीटों पर आम आदमी पार्टी ने कब्जा किया है. जिसमें डेरा बस्सी, खरड़ और मोहाली सीटें शामिल हैं. आर्थिक रूप से मोहाली पंजाब के सबसे अमीर क्षेत्रों में से एक है. ये राज्य की राजधानी चंडीगढ़ से सटा हुआ है.

मोहाली जिले में आप, कांग्रेस, अकाली दल और बीजेपी में चौतरफा टक्कर कही जा रही थी, लेकिन मुकाबला आप, अकाली दल और कांग्रेस में हुआ. हर मुकाबले में आप ने बाजी मारी.

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मोहाली की सभी 3 सीटों पर एक नजर

खरड़

आप- अनमोल गगन मान- 78273 वोट

अकाली दल- रणजीत गिल- 40388 वोट

कांग्रेस- विजय शर्मा टिंकू- 25291 वोट

बीजेपी- कमलदीप सिंह सैनी- 15249 वोट

इस सीट पर आप के प्रत्याशी अनमोल गगन मान ने जीत दर्ज की है. उन्होंने अकाली दल के उम्मीदवार रणजीत गिल को 37855 वोटों के अंतर से हराया है.

मोहाली

आप- कुलवंत सिंह- 77134 वोट

कांग्रेस- बलवीर सिद्धू- 43037 वोट

बीजेपी- संजीव वशिष्ठ- 16984 वोटॉ

अकाली दल- परविंदर सिंह बैदवाण- 9628 वोट

इस सीट पर आप के प्रत्याशी कुलवंत सिंह ने जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार बलवीर सिद्धू को 34097 वोटों के अंतर से हराया है.

डेरा बस्सी

आप- कुलजीत सिंह रंधावा- 70032 वोट

कांग्रेस- दीपेंद्र सिंह ढिल्लो- 48311 वोट

अकाली दल- एनके शर्मा- 47731 वोट

बीजेपी- संजीव खन्ना- 26963 वोट

इस सीट पर आप के प्रत्याशी कुलजीत सिंह रंधावा ने जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार दीपेंद्र सिंह ढिल्लो को 34097 वोटों के अंतर से हराया है.

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मोहाली में जीत हार के कारण

  • कांग्रेस की हार का एक मुख्य कारण चरनजीत सिंह चन्नी की ओर से 'भईया' वाला बयान भी रहा. चन्नी का ये बायन प्रवासी मजदूरों को नागवार गुजरा, क्योंकि मोहाली वाले इलाके में प्रवासी मजदूरों की अच्छी आबादी है. वहीं, अकाली दल और बीजेपी गठबंधन टूटने के कारण दोनों पार्टियों का वोट बंट गया, जिसका फायदा आप उठा ले गई.

  • खरड़ में आम आदमी पार्टी ने 2017 में शुरू की जीत का सिलसिला जारी रखा. उस वक्त पत्रकार कंवर सिद्धू ने पार्टी को जीत दिलाई थी. इस बार आम आदमी पार्टी ने पंजाबी सिंगर अनमोल गगन मान को खरड़ सीट से उतारा था. वो जीतने में कामयाब रहे.

  • खरड़ में कांग्रेस के हार का कारण पूर्व विधायक जगमोहन कंग का टिकट कटना भी रहा. जिससे नाराज होकर उन्होंने आम आदमी पार्टी ज्वॉइन कर ली थी. कांग्रेस के विजय शर्मा टिंकू को वैसी स्वीकार्यता विधानसभा क्षेत्र में नहीं मिली और वे तीसरे स्थान पर रहे.

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  • मोहाली से आम आदमी पार्टी ने बिल्डर कुलवंत सिंह को टिकट दिया था. कुलवंत पहले अकाली दल में थे और मोहाली के मेयर रहे. पंजाब के सबसे अमीर उम्मीदवार के रूप में कुलवंत चर्चित रहे. उन्होंने कांग्रेस के बलवीर सिंह सिद्धू को हराया. सिद्धू के विधानसभा क्षेत्र में बलोगी गांव की 100 करोड़ रुपये की पंचायती जमीन उनके ट्रस्ट को लीज पर दी गई थी, जिससे उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. साथ ही सिद्धू को सत्ताविरोधी लहर का भी सामना करना पड़ा. यहां भी अकाली दल को बीजेपी से गठबंधन टूटने का नुकसान झेलना पड़ा.

  • डेरा बस्सी विधानसभा क्षेत्र में अकाली दल का पिछले कुछ सालों से दबदबा रहा है. 2012 और 2017 में अकाली दल के एन.के शर्मा विधायक चुने गये थे. इस बार अकाली दल को बीजेपी के साथ गठबंधन टूटने की कीमत चुकानी पड़ी. पार्टी के उम्मीदवार एन.के शर्मा को 47678 वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 26963 वोट मिले. अगर दोनों पार्टियों का गठबंधन होता तो पार्टी को हार का सामना ना करना पड़ता. 70,000 वोट लेकर आप के किसान कुलजीत सिंह रंधावा विजेता रहे.

पत्रकार गुरशमशीर सिंह के मुताबिक, खरड़, मोहाली और डेरा बस्सी सीट पर रियल एस्टेट कारोबारियों का बोलबाला था. आम आदमी पार्टी से अलग होने के कारण पिछली बार के विधायक कंवर संधू के क्षेत्र से 5 साल गैर हाजिर रहने का पार्टी को कोई नुकसान नहीं हुआ. पार्टी ने अनमोल गगन मान के रूप में नया कैंडिडेट दे दिया. कांग्रेस में आंतरिक कलह थी. वहीं, अकाली दल के रियल एस्टेट बैरन रणजीत गिल कुछ खास प्रभाव लोगों पर नहीं छोड़ पाए. डेरा बस्सी में अकाली दल उम्मीदवार एन.के शर्मा की आपराधिक पृष्ठभूमि उनके खिलाफ काम कर गई. आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलजीत रंधावा के पक्ष में नैतिक एज था. वहीं, मोहाली में बलवीर सिद्धू पर भ्रष्टाचार के आरोप थे, जो हार का कारण बना.
गुरशमशीर सिंह, पत्रकार

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