ADVERTISEMENTREMOVE AD
मेंबर्स के लिए
lock close icon

पीएम मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक- किसकी गलती, कितनी राजनीति?

पंजाब में फिरोजपुर के पास हाईवे पर पीएम मोदी के काफिला के फंसने का जिम्मेदार कौन?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की पंजाब (Punjab) यात्रा बुधवार, 5 जनवरी को एक बड़े हंगामे के रूप में समाप्त हुई. इसके बाद विवाद बढ़ते हुए बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और कांग्रेस के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के बीच जुबानी जंग में बदल गया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

संक्षेप में जानते हैं कि अब तक क्या हुआ:

  • पीएम मोदी बठिंडा एयरपोर्ट पर उतरे, जहां से उन्हें हेलीकॉप्टर से हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जाना था. इस प्लान पर केंद्र और पंजाब सरकार ने पहले ही फैसला कर लिया था.

  • हालांकि पीएम मोदी के लैंडिंग के बाद साफ हो गया कि खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर से जाना संभव नहीं होगा. इसलिए सड़क के रास्ते उन्हें हुसैनीवाला ले जाने का फैसला किया गया.

  • हुसैनीवाला से लगभग 25 किमी और फिरोजपुर शहर से ठीक पहले, पीएम का काफिला कथित तौर पर प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा सड़क जाम करने के कारण फंस गया था.

  • पीएम का काफिला पीछे मुड़कर वापस बठिंडा गया, और उनके सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए.

  • ANI की रिपोर्ट के अनुसार एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने पंजाब सरकार के अधिकारियों को कहा कि “अपने सीएम को थैंक्स कहना कि मैं भटिंडाएयरपोर्ट तक जिंदा लौट पाया”. इसे राज्य सरकार पर कटाक्ष के रूप में देखा जा रहा है.

  • गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर पंजाब सरकार पर पीएम की सुरक्षा में चूक का आरोप लगाया.

  • सीएम चन्नी ने शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और जो कुछ हुआ उसके लिए खेद जताया. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि पीएम की जान को कोई खतरा नहीं था और प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए.

0

विवाद पर नजर डालने के बाद अब इसको समझने के दो पहलू हैं - सुरक्षा का पहलू और राजनीतिक पहलू.

सुरक्षा का सवाल : गलती किसकी थी?

  • सवाल वास्तव में कई एजेंसियों पर उठता है. इस पर न तो पंजाब पुलिस और न ही पीएम की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) दोष से बच सकती है.

  • बठिंडा हवाई अड्डे से हुसैनीवाला का सबसे छोटा रास्ता भी 106 किमी का है, जो कोटकपुरा, फरीदकोट और फिरोजपुर से होकर गुजरता है. आम दिनों में इसमें दो से ढाई घंटे का समय लग जाता है.

  • पंजाब पुलिस ने इतने कम समय में पीएम के काफिले को इस रास्ते से जाने की मंजूरी क्यों दी? SPG ने इसपर आपत्ति क्यों नहीं जताई?

  • पूरा रुट बठिंडा, फरीदकोट और फिरोजपुर जैसे जिलों से होकर गुजरता है, जो ग्रामीण मालवा में हैं. ग्रामीण मालवा किसानों के विरोध का केंद्र है. तो निश्चित रूप से केंद्रीय एजेंसियों, जैसे कि इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) को विरोध प्रदर्शन का पूर्वानुमान करना चाहिए था.

  • आदर्श स्थिति में , जब यह पता चल गया था कि प्रधानमंत्री के लिए बठिंडा से हुसैनीवाला तक हेलिकॉप्टर से यात्रा करना संभव नहीं है, तो सड़क के रास्ते उन्हें वहां ले जाने की कोशिश करने के बजाय उनकी यात्रा रद्द कर दी जानी चाहिए थी.

  • यह किसका फैसला था, यह स्पष्ट नहीं है. गृह मंत्रालय ने दावा किया कि पंजाब पुलिस ने मंजूरी दे दी. सीएम चन्नी ने दावा किया कि इस मामले में पंजाब पुलिस की सीमित पहुंच है और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझाकर सड़कों से जाम हटा दिया था. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम समय में योजनाओं में बदलाव के कारण समस्या हुई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बवाल के बाद की राजनीति

हंगामे के बाद की राजनीति अब सामने आने लगी है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य कई अन्य बीजेपी नेताओं ने भी कथित "सुरक्षा चूक" के लिए पंजाब सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी महासचिव सीटी रवि ने तो यहां तक ​​ट्वीट कर दिया कि ''देश के गद्दारो को गोली मारो''

बीजेपी समर्थक चैनल टीवी पर दिखा रहे हैं कि ''मोदी खतरे से बचने में कामयाब रहे.''

मूल रूप से पूरा नैरेटिव "राष्ट्र-विरोधी" से कथित "पंजाब में सुरक्षा खतरे" को उजागर करना और इसके कारण पीएम कैसे खतरे में थे, यह बताने का है.

मामले पर सियासत इस बात से भी जाहिर होता है कि यह पहली बार नहीं है जब पीएम का काफिला कहीं फंसा हो. लेकिन ऐसी स्थिति में पहली बार उनकी ''जान को खतरा'' होने का आरोप लगाया जा रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उदाहरण के लिए 2017 दिसंबर में, उत्तर प्रदेश के गौतम बौद्ध नगर में पीएम मोदी का काफिला ट्रैफिक में उस समय फंस गया, जब वह मेट्रो लाइन का उद्घाटन करने जा रहे थे. इसके बाद दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया लेकिन यह नहीं कहा गया कि पीएम की जान को खतरा है.

2018 में पीएम दो मौकों पर दिल्ली में ट्रैफिक में फंस गए. और दोनों बार बीजेपी समर्थक मीडिया चैनलों ने यह बताया कि यह सुरक्षा उल्लंघन नहीं बल्कि "यह वीवीआईपी संस्कृति का अंत है".

इसलिए जिज्ञासा भरा सवाल यह है कि पंजाब चुनाव के संदर्भ में यह आरोप क्यों लगाया जा रहा है कि "प्रधानमंत्री की जान खतरे में है".

कांग्रेस भी राजनीतिक फायदे के लिए बीजेपी की प्रतिक्रिया का इस्तेमाल कर रही है. एक तरफ कांग्रेस के संचार प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और पंजाब के शिक्षा मंत्री परगट सिंह ने अपने ट्वीट में आरोप लगाया कि पीएम ने अपनी रैली में कम भीड़ के कारण अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया.

फिर एक और नैरेटिव जो सीएम चन्नी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट हो गया कि कुछ वर्ग पीएम के 'बयान', कि उनका जीवन खतरे में था, को पंजाब के अपमान के रूप में देख रहे है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पंजाबी पत्रकार ने सीएम चन्नी से पूछा कि "क्या यह 3 करोड़ पंजाबियों का अपमान नहीं है?". हालांकि सीएम ने कहा कि वह राजनीति को इससे दूर रखना चाहते हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि

"अगर पीएम ने गुस्से में या राजनीति के कारण कुछ कहा है, तो मैं उस पर टिप्पणी नहीं करूंगा. लेकिन मैं एक बात कहूंगा, आप हमारे पीएम हैं. एक पंजाबी के रूप में, मैं आपकी रक्षा के लिए अपनी जान दे दूंगा. लेकिन उनके जीवन को कोई खतरा नहीं था"

साथ ही चन्नी ने भी पीएम की रैली में कथित तौर पर कम भीड़ पर कटाक्ष करते हुए कहा, "70,000 कुर्सी लगी, 700 बंदे पहुंचे. मैं क्या करूं यार?"

यह स्पष्ट नहीं है कि पीएम आगे कब पंजाब आएंगे लेकिन हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि केंद्र और पंजाब के बीच एक नया तकरार शुरू हो चुकी है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×