कवि-गीतकार, शायर और लेखक गुलजार ने जयपुर में चल रहे लिटरेचर फेस्टिवल में कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने देश में घटित होने वाली घटनाओं से अछूता नहीं रह सकता है. लोगों को अपने आसपास के परिवर्तन के बारे में ‘सोचने' और ‘महसूस करने' की जरुरत है.
अपनी नई पुस्तक ‘सस्पेक्टेड पोएम्स' के विमोचन के अवसर पर उन्होंने यह बात कही. किताब में देश के राजनीतिक माहौल, असहिष्णुता, दलितों के खिलाफ अत्याचार और भारत-पाक संबंधों तक के मुद्दों को गुलजार ने उठाया है. अपनी अनोखी शैली में 52 कविताएं लिखी हैं.
‘देयर इज नथिंग न्यू इन दिल्ली’ कविता में गुलजार बताते हैं कि दिल्ली में कुछ भी नया नहीं होता, बस 5 साल में सरकार बदलती है.
गुलजार की पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले सांसद पवन के वर्मा ने कहा कि यह काफी मुश्किल काम था. खासकर इसलिए क्योंकि कविताओं में कई चीजें एकसाथ हैं. बकौल वर्मा ये कविताएं गुदगुदाती हैं और साथ ही समकालीन भारत में हो रहे परिवर्तनों पर तीखी निगाह रखती हैं.
‘‘हमें निश्चित तौर पर अपने राष्ट्र और उसके पर्यावरण के बारे में सोचना चाहिए...आपके लिए यह महसूस करना जरुरी है कि आपके आसपास जो घटित हो रहा है और इसके बारे में सूचित करने की जिम्मेदारी मेरी है.’’- गुलजार
किताब के शीर्षक के बारे में गुलजार ने कहा कि उनका हमेशा से ये मानना रहा है कि हर कविता के पीछे एक कविता होती है.
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