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अफगानी टीम की ऊंची उड़ान, भारत के सामने भी चुनौतियां कम नहीं

आप अफगानिस्तान की टीम के बारे में किसी भी क्रिकेट एक्सपर्ट से बात करें, वो बता देंगे की इस टीम में कितनी काबिलियत है

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अफगानिस्तान क्रिकेट के इतिहास में 14 जून की तारीख की खास अहमियत होने वाली है. इस तारीख के आसपास पूरी दुनिया में ईद का जश्न मनाया जा रहा होगा, वहीं अफगानिस्तान की टीम इस तारीख को भारत के खिलाफ टेस्ट की दुनिया में अपना पहला कदम रखेगा. भले ही टेस्ट क्रिकेट में उनको संभलने में थोड़ा समय लगेगा, लेकिन जितने दमदार खिलाड़ी उनकी टीम में मौजूद हैं, वो ऊंचाइयों तक ले जाने का दमखम रखते हैं.

अभी देहरादून में हुए टी 20 टूर्नामेंट में जिस तरह उन्होंने बांग्लादेश को रौंद दिया, वो काबिले तारीफ है. शायद किसी को इस तरह की जीत की उम्मीद नहीं होगी, लेकिन यही तो म. शायद ही कोई ऐसी नयी टीम होगी, जिसमें इतने सारे स्टार खिलाड़ी पहले से ही मौजूद हैं.

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आप अफगानिस्तान की टीम के बारे में किसी भी क्रिकेट एक्सपर्ट से बात करें, वो बता देंगे कि इस टीम में कितनी काबिलियत है. बांग्लादेश क्रिकेट टीम को 2000 के करीब टेस्ट में सदस्यता मिली थी. उन्हें भी करीब 5 साल लग गए पहला मैच जीतने में, और वो भी 21 लगातार हार के बाद. लेकिन ऐसा अफगानिस्तान की टीम के बारे में नहीं कहा जा सकता है. इसकी वजह है, उनका हालिया दिनों का प्रदर्शन.

सपने हुए साकार, अब दम दिखाने का समय

अफगानिस्तान और आयरलैंड के लिए, 22 जून, 2017 एक ऐतिहासिक दिन था. सालों के इंतजार के बाद, उन्हें अंततः पूर्ण सदस्यता मिल ही गई. टेस्ट क्रिकेट को 17 साल बाद दो नई टीमें मिलीं. अफगानिस्तान और आयरलैंड में पहले से ही प्रथम श्रेणी की व्यवस्था है. अफगानिस्तान में चार दिवसीय प्रतियोगिता है अहमद शाह अब्दली टूर्नामेंट. चार महीने की अवधि में छह टीमें खेलती हैं. उनके पास टी 20 टूर्नामेंट भी है, जिसे शेजेजा क्रिकेट लीग कहा जाता है.

अफगानिस्तान के मुख्य कोच फिल सिमंस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है टीम को ये समझाना कि टेस्ट क्रिकेट होता क्या है. हालांकि वो इस से पहले वेस्टइंडीज और आयरलैंड के भी कोच रह चुके हैं, लेकिन यहां उनके सामने चुनौतियां अलग हैं.

सिमंस मानते हैं कि टीम के इन खिलाड़‍ियों के लिए इतना आसान नहीं होगा, उन्हें न सिर्फ टेस्ट क्रिकेट को समझना है, बल्कि अपनी मानसिकता को भी बदलनी है, और ये अनुभव और बदलाव सिर्फ खेलने से ही आएगा.

क्रिकेट का नया खान

क्रिकेट की दुनिया को एक नया सितारा मिल गया है. 19 साल के राशिद खान ने सबको अपने प्रदर्शन से मोह लिया है. पूरे आईपीएल में उनकी तारीफ हो रही थी, हर कोई उनका मुरीद बन गया. यहां तक कि क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी तारीफ करने से नहीं चूके. उन्होंने खुले शब्दों में कह दिया कि राशिद आज की तारीख में दुनिया के सबसे अच्छे स्पिनर हैं.

मुझे वो दिन भी याद है, जब अफगानिस्तान अपना पहला वनडे पाकिस्तान के खिलाफ शारजाह में खेल रहा था. मैंने उस समय अफगानिस्तान के कप्तान नवरोज मंगल का इंटरव्यू किया था और उन्होंने कहा था कि उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश है सचिन तेंदुलकर से मिलना. समय कितना बदल गया है, इसका अंदाजा सचिन के बयान से हम खुद लगा सकते हैं.

राशिद ने आईपीएल 2018 में 21 विकेट लिए और टीम को फाइनल तक पहुंचने में अहम रोल निभाया था. यही नहीं, उसके बाद बांग्लादेश को टी 20 सीरीज में -0 से हारने में भी उनकी अग्रिम भूमिका रही थी.

उनके खौफ का ये आलम है कि कई भारतीय दिग्गज टेस्ट के लिए बेंगलुरु में स्पिन फ्रेंडली विकेट के पक्ष में नहीं हैं. सबको डर है कि राशिद खान कहीं बाजी न मार जाए. अफगानिस्तान के पूर्व कोच और पूर्व भारतीय खिलाड़ी लालचंद राजपूत कहते हैं कि राशिद टर्निंग विकेट पर और भी खतरनाक हो जाते हैं. राजपूत कहते हैं कि अफगानिस्तान टीम में चार और स्पिन गेंदबाज हैं, जो पासा पलटने की कुव्‍वत रखते हैं.

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अफगानिस्तान की पूरी टीम बनाम भारत की आधी-अधूरी

अफगानिस्तान टीम की कप्तानी असगर स्टैनिकजई को दी गयी है. टीम में पांच स्पिनर हैं, जिन्होंने इस सीजन फर्स्ट क्लास में जबरदस्त प्रदर्शन किया है. इस टीम ने अपने सारे बाजीगर भारत के सामने एकसाथ खड़े कर दिए हैं. सिर्फ राशिद खान ही नहीं, स्पिनर मुजीब उर रहमान ने भी हाल फिलहाल जबरदस्त प्रदर्शन किया है.

कप्तान असगर खुद ही बेहतरीन बल्लेबाज हैं. विकेटकीपर मोहम्मद शेहजाद ने भी टीम के लिए कई पारियां खेली हैं, अपने हेलिकॉप्टर शॉट की वजह से उन्हें अफगानिस्तान का धोनी भी कहा जाता है. पूर्व कप्तान मोहम्मद नबी लम्बे छक्कों के उस्ताद कहे जाते हैं.

अफगानी टीम के तरकश में उनके सारे बेहतरीन तीर मौजूद हैं, लेकिन भारतीय टीम के बारे में अगर ये कहा जाए कि वो अपनी बी टीम के साथ मैदान पर उतर रही है, तो यह कहना गलत नहीं होगा. विराट कोहली काउंटी खेलने के इरादे से इस टेस्ट मैच में शिरकत नहीं कर रहे, उनकी जगह अजिंक्य रहाणे को कमान सौप दी गई.

भारत के लिए जीतना नहीं होगा आसान

भारतीय चयनकर्ताओं ने अपने दो बेहतरीन गेंदबाज, भुवनेश्वर कुमार और जसप्रीत बुमराह को इस मैच के लिए आराम दिया है. मोहम्मद शमी टीम में तो थे, लेकिन फिटनेस टेस्ट पास नहीं कर पाए और अब इस टेस्ट में खेल नहीं पाएंगे. यानी पेस बॉलिंग की कमान उमेश यादव, अरसे बाद खेल रहे इशांत शर्मा और शर्दुल ठाकुर के हाथों में होगी, जबकि स्पिन की अगुवाई आर अश्विन और कुलदीप यादव करेंगे.

बैटिंग डिपार्टमेंट में भी कोहली और रोहित शर्मा की कमी खलेगी. शिखर धवन ने भी रशीद खान को आईपीएल में ज्यादातर नेट पर ही खेला है, मैदान पर हैदराबाद के दोनों खिलाड़‍ियों को एक-दूसरे के खिलाफ खेलते देखना भी दिलचस्प होगा.
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भारत-अफगानिस्तान का ये ऐतिहासिक मैच कई मायने में महत्वपूर्ण है. जहां अफगानिस्तान के लिए पांच दिनों का टेस्ट क्रिकेट खेलना ही एक चुनाती होगा, वहीं भारतीय कप्तान अजिंक्य रहाणे के लिए भी ये एक कठिन परीक्षा होगी. रहाणे के सामने न सिर्फ टेस्ट जीतने की चुनौती होगी, बल्कि उन्हें अपनी कप्तानी को भी सिद्ध करना होगा, वो भी अफगानिस्तान के पांच धुरंधर स्पिनर्स के खिलाफ.

कुल मिलाकर, ये कहा जा सकता है कि इस मैच में भारतीय बल्लेबाजों का टेस्ट होगा अफगानी गेंदबाजों के सामने. परिणाम कुछ भी हो सकता है, इसके लिए तैयार रहें.

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(नीरज झा करीब 2 दशक से खेल पत्रकारिता में सक्रिय हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

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