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क्रिकेट की पिच पर ‘टेस्‍ट’ के लिए कितना तैयार है अफगानिस्‍तान? 

अफगानिस्तान को पता ही नहीं, किस चिड़िया का नाम है टेस्ट क्रिकेट. 

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सचिन तेंदुलकर अपने करियर का एक बहुत दिलचस्प किस्सा सुनाते हैं. वे अपने करियर का पहला टेस्ट मैच खेल रहे थे. पाकिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ. सामना था विश्व क्रिकेट के चार खतरनाक तेज गेंदबाजों से- इमरान खान, वसीम अकरम, वकार यूनिस और आकिब जावेद. इसके अलावा बतौर स्पिनर मुश्ताक अहमद और अब्दुल कादिर भी किसी पहला टेस्ट मैच खेल रहे बल्लेबाज के लिए जरूरत से ज्यादा खतरनाक थे.

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सचिन जब पहली बार बैटिंग क्रीज पर पहुंचे, तो सामने वसीम अकरम थे. अकरम ने सचिन को पहली ही गेंद खतरनाक बाउंसर डाली. वो वसीम के उस ओवर की तीसरी गेंद थी. सचिन संभले. अगली गेंद फिर बाउंसर. सचिन ने वसीम अकरम की गेंदबाजी को जितना समझा था, उन्हें लगा कि अब अगली गेंद यॉर्कर होगी. सचिन मन ही मन यॉर्कर खेलने के लिए तैयार थे, जब वसीम ने एक और बाउंसर फेंकी.

अकरम उस ओवर में लगातार तीन गेंद बाउंसर फेंक चुके थे. अब सचिन को पक्का हो गया कि आखिरी बॉल तो यॉर्कर ही होगी.

सचिन तब चौंके जब आखिरी गेंद पर भी वसीम अकरम ने उन्हें बाउंसर मारा. इन चारों गेंदों को झेलने के बाद सचिन जब क्रीज से हटे, तो उन्होंने अपने आप से कहा- वेलकम टू टेस्ट क्रिकेट. यही हाल अफगानिस्तान की टीम का होने वाला है, जो 14 जून से बेंगलुरु में भारत के खिलाफ टेस्ट मैच खेलने उतरेगी.

अफगानिस्तान की टीम का है पहला ‘टेस्ट’

हाल के दिनों में अफगानिस्तान की टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है. कुछ ही दिनों पहले उसने बांग्लादेश को तीन टी-20 मैचों की सीरीज में 3-0 से हराया था. इसके अलावा भी अफगानिस्तान की टीम टी-20 वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज जैसी बड़ी टीम को हराने का कारनामा कर चुकी है. परेशानी ये है कि अफगानिस्तान की टीम को ये पता ही नहीं है कि टेस्ट क्रिकेट किस चिड़िया का नाम है.

आतंक और गरीबी का सामना कर रहे अफगानिस्तान में घरेलू क्रिकेट के नाम पर भी टेस्ट क्रिकेट जैसी कोई चीज नहीं है. घरेलू क्रिकेट में अफगानिस्तान ने 2 दिन से ज्यादा का मैच नहीं खेला है. अफगानिस्तान की टीम ने अब तक जो 164 मुकाबले खेले हैं, वो ज्यादा से ज्यादा 50 ओवर के हैं. जाहिर है, उन्हें टेस्ट क्रिकेट का ‘टेपरामेंट’ नहीं पता.

उस पर से जब क्लोज इन फील्डर सर पर होंगे और सामने तेज गेंदबाज होंगे, तो उनके बल्लेबाजों के लिए क्रीज पर टिकना मुश्किल हो जाएगा. वनडे या टी-20 के मुकाबले यहां हर बल्लेबाज को रन बनाने के लिए पसीना बहाना पड़ता है. संयम दिखाना पड़ता है. गेंद को विकेटकीपर के दस्ताने में जाने देने की कला दिखानी होती है. गेंदबाजों की आंख में आंख डालकर खेलना होता है.

परेशानी केवल यही नहीं है. जिस राशिद खान की स्पिन गेंदबाजी की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है, उन्हें भी नए सिरे से सोचना होगा, क्योंकि यहां सिर्फ 4 या 10 ओवर का कोटा नहीं फेंकना होता, बल्कि लंबे-लंबे स्पेल डालने होते हैं. ऊपर से विरोधी टीम के बल्लेबाजों को रन बनाने की कोई जल्दी नहीं होती है. एक और मुसीबत एसजी बॉल की है. सफेद कुकुबुरा गेंद के मुकाबले एसजी के गेंद से गेंदबाजी करना खासा अलग और जटिल अनुभव है.

अफगानिस्तान के बल्लेबाजों के लिए खतरा

भारतीय टीम ने हाल ही में दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया था. उस सीरीज में भारतीय तेज गेंदबाजों ने कमाल का प्रदर्शन किया था. हर टेस्ट मैच में विरोधी टीम के 20 खिलाड़ियों को आउट करने का कारनामा किया था. टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम को 2-1 से हार का सामना जरूर करना पड़ा था, लेकिन भारतीय टीम के प्रदर्शन की जमकर तारीफ हुई थी. खासकर तेज गेंदबाजों की.

दक्षिण अफ्रीका में भारतीय टीम के तेज गेंदबाजों में मोहम्मद शमी ने 3 टेस्ट मैच में 15 विकेट लिए थे. मोहम्मद शमी के टीम में न होने से अफगानिस्तान के बल्लेबाज थोड़ी राहत की सांस जरूर लेंगे. लेकिन ईशांत शर्मा, उमेश यादव, नवदीप सैनी भी अफगानिस्तान को आसानी से नहीं छोड़ने वाले. ईशांत ने दक्षिण अफ्रीका सीरीज में आठ विकेट लिए थे.

भारतीय टीम के सभी तेज गेंदबाज 140 से ज्यादा की रफ्तार से गेंदबाजी करते हैं. ऐसे में अफगानिस्तान के बल्लेबाजों को, खास तौर पर टॉप ऑर्डर को जबरदस्त धैर्य दिखाना होगा.

अफगानिस्तान की क्रिकेट आज जिस मुकाम पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में भारत ने काफी मदद की है. अफगानिस्तान को बीसीसीआई ने भारत में मैदान मुहैया कराए हैं, जहां वो खेलता है, लेकिन अब दुनिया की नंबर एक टीम के अपनी साख को बरकरार रखने का वक्त है.

(शिवेंद्र कुमार सिंह फ्रीलांस स्पोर्ट्स पत्रकार हैं. इन्होंने दो ओलंपिक, 3 क्रिकेट वर्ल्ड कप, एशियाई गेम्स और दुनिया भर में कई खेल इवेंट्स को कवर किया है.)

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