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Khelo India Youth Games Heroes- किसी के पिता चाय वाले,किसी ने नंगे पैर लगाई दौड़

Khelo India Youth Games Heroes: वीर खटकर से तैराकी में और सुप्रीति कच्छप से दौड़ में पदक की उम्मीद

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दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश होने के बाद भी भारत ओलंपिक की मेडल (Olympic Medal) टैली में कहीं नीचे पड़ा दिखता है. जिससे हर खेल प्रेमी को दुख होता है क्योंकि हमसे कहीं छोटे देश अच्छा कर रहे होते हैं. इसी टीस को कम करने के लिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास तौर पर ओलंपिक में भारत का प्रदर्शन सुधारने के लिए सरकार ने देश स्तर पर एक प्रतिस्पर्धा शुरू की थी. जिसका नाम है खेलो इंडिया यूथ गेम्स (Khelo India Youth Games). इसमें सभी प्रदेशों के खिलाड़ी एक दूसरे से मेडल के लिए लड़ाई करते हैं. जिससे उनके खेल में सुधार आता है और प्रतिस्पर्धा भी बढ़ती है.

इस बार के खेलो इंडिया यूथ गेम्स का आयोजन हरियाणा में हुआ, जिसमें हरियाणा ने ही बाजी मारते हुए सबसे ज्यादा मेडल जीते. हफ्ते भर चली इस प्रतियोगिता में देशभर के खिलाड़ियों ने पसीना बहाया और मेडल जीते. इनमें से कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिनसे हम इंटरनेशनल लेवल पर भी मेडल की उम्मीद कर सकते हैं. तो चलिए उनमें से कुछ के प्रदरेशन को आपके सामने रखते हैं.
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वीर खटकर- तैराकी

हरियाणा के हिसार में जन्मे वीर खटकर ने 50 मीटर फ्री स्टाइल तैराकी प्रतियोगिता में 23.95 सैकेंड में ये दूरी पूरी करके गोल्ड मेडल जीता और नेशनल चैंपियन बने. भारत ओलंपिक जैसी प्रतिस्पर्धाओं में तैराकी में कुछ खास नहीं कर पाता है लेकिन वीर खटकर से उम्मीद है कि वो ओलंपिक में देश को पदक दिलाएंगे. वीर खट्टर के पिता वेटनरी सर्जन हैं और उन्होंने भारत में ही ट्रेनिंग ली है. वीर से ये उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है कि उनके खेल में लगातार सुधार आया है, पिछली बार के खेलो इंडिया गेम्स में उन्होंने रजत पदक जीता था लेकिन इस बार गोल्ड मारा है.

Khelo India Youth Games Heroes: वीर खटकर से तैराकी में और सुप्रीति कच्छप से दौड़ में पदक की उम्मीद
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काजोल सरगर- वेट लिफ्टिंग

महाराष्ट्र के सांगली की रहने वाली काजोल सरगर पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स में हिस्सा ले रही थीं और उन्होंने 40 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया. काजोल एक गरीब परिवार से आती हैं और उनके पिता चाय की दुकान चलाते हैं. काजोल के बड़े भाई भी वेट लिफ्टर हैं, और दोनों भाई-बहन साथ ही प्रेक्टिस करते हैं. काजोल के बड़े भाई संकेत 55 किलोग्राम भार वर्ग में नेशनल चैंपियन हैं.

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने के बाद काजोल के कोच मयूर सिनहासने ने कहा कि सबसे अहम चीज ट्रेनिंग और डाइट है. इस पदक और नेशनल कैम्प में जगह मिलने के बाद उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा और उम्मीद है कि एशियाई यूथ चैंपियनशिप में वो भारत के लिए पदक लेकर आएगी.

लातलांज़ोवा- फुटबॉल

मिजोरम टीम के विंगर लातलांज़ोवा ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स फुटबॉल कप फाइनल में केरल के खिलाफ गोल की हैट्रिक लगाई और टुर्नामेंट में 7 गोल दागकर सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी बने. उनके शानदार खेल ने केरल को 5-1 से हराने में मदद की और मिजोरम ने फाइनल अपने नाम किया. लातलांज़ोवा मशहूर फुटबॉलर रोनाल्डो के फैन हैं और मिजोरम के कोलासिब जिले में क्षेत्रीय खेल प्रशिक्षण केंद्र के अंडर-14 दल का हिस्सा हैं.

लातलांज़ोवा ने केरल के खिलाफ मैच जीतने के बाद कहा था कि कोच ने मुझसे कहा था कि आज स्कोर करना है और मैंने वही किया. लातलांज़ोवा के अलावा मिजोरम के ही सेंटर फॉरवर्ड मालसॉमज़्वाला जैसे खिलाड़ियों से भारत को बड़ी उम्मीद है कि वो देश में फुटबॉल के खेल को आगे लेकर जाएंगे.

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सुप्रीति कच्छप- दौड़

सुप्रीति कच्छप झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली हैं और बेहद गरीब आदिवासी परिवार से ताल्लुक रखती हैं. वो जब मात्र 8 महीने की थीं तब अपने पिता को खो दिया. बुरुहू गांव की रहने वाली सुप्रीति ने मेडल जीतने के बाद कहा कि, शुरू में हमारे पास जूते खरीदने के पैसे नहीं थे इसलिए मैं नंगे पैर दौड़ती थी.

सुप्रीती से भविष्य में उम्मीदें इसलिए बढ़ी हैं क्योंकि उन्होंने अपने खेल में लगातार सुधार किया है. 2021 में जब गुवाहाटी में उन्होंने राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था तो 3000 मीटर की दौड़ में रजत पदक जीता था. 2021 में ही भोपाल में हुए फेडरेशन कप में उन्होंने 3000 मीटर और 5000 मीटर में कांस्य पदक जीता और अब खेलो इंडिया यूथ गेम्स में सुप्रीति कच्छप ने 3000 मीटर दौड़ में गोल्ड जीतकर अपना लोहा मनवाया है. वो अगस्त 2022 में कोलंबिया में होने वाली अंडर-20 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए भी क्वालीफाई कर चुकी हैं. सुप्रीति ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 3000 मीटर की दौड़ 9 मिनट 46 सैकेंड में पूरी करके नेशनल रिकॉर्ड बनाया.

सुप्रीति कच्छप की परेशानियों का अंदाजा आप इस बात से लगाइए कि रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके घर में अब तक शौचालय नहीं है और टीवी भी नहीं है. जिला प्रशासन ने अब उनके गांव में सभी मूलभूत सुविधाओं का वादा किया है. मेडल जीतने के बाद जब सुप्रीति को सम्मानित करने जिला प्रशासन ने कार्यक्रम किया तब उन्होंने कहा कि, उनके घर में शौचालय नहीं है वो बनवा दीजिए.

प्रणव कुशवाह और प्रोतिष्ठा सामंता- जिम्नास्टिक

जिम्नास्टिक में भी भारत का प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय लेवल पर कुछ खास नहीं रहता लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रणव कुशवाह और त्रिपुरा की प्रोतिष्ठा सामंता ने उम्मीदें जगाई हैं. इन दोनों ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पुरुष और महिला वर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया है. प्रणव कुशवाह इससे पहले साउथ सेंट्रल एशियन जूनियर चैंपियनशिप में तीन सिल्वर और एक ब्रॉन्ज जीत चुके हैं. और खेलो इंडिया यूथ गेम्स में उनका शानदार प्रदर्शन रहा जिसके लिए प्रणव को ऑलराउंड इंडिविजुअल बेस्ट जिमनास्ट घोषित किया गया.

त्रिपुरा की रहने वाली प्रोतिष्ठा सामंता ने महिला वर्ग में गोल्ड मेडल जीता है और भविष्य में देश उनसे भी इंटरनेशनल मेडल की उम्मीद लगाए है.

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