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Lovlina Borgohain पहली बार बनीं वर्ल्ड चैंपियन, कभी ट्रैक सूट भी खरीदना कठिन था

World Boxing Championship: निकहत जरीन के बाद लवलीना बोरगोहेन भी बनीं वर्ल्ड चैंपियन, भारत को मिले कुल 4 गोल्ड मेडल

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महिला विश्व चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला. मैच खत्म होने के बाद रेफरी के एक तरफ लवलीना बोरगोहेन (Lovlina Borgohain ) थीं तो दूसरी तरफ उनकी प्रतिद्वंद्वी ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन एन पार्कर. रेफरी ने जैसे ही लवलीना का हाथ उठाया, लवलीना जोर से चिल्लाईं और इमोशनल हो गईं. ओलंपिक और विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में पदक जीतने के बाद वह देश की लोकप्रिय मुक्केबाजों में शामिल हो गई हैं. लवलीना के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा. वह बेहद गरीब परिवार में पैदा हुई थीं और कई चुनौतियों से पार पाते हुए इस मुकाम तक पहुंची हैं.

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टोक्यो ओलंपिक में देश का नाम रोशन करने वाली लवलीना बोरगोहेन ने महिला विश्व बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता है और देश का नाम रोशन किया है. लवलीना ने 70-75 किग्रा भारवर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया है. फाइनल मुकाबले में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की कैटलिन एन पार्कर को मात दी.

लवलीना बोरगोहेन ने आखिरकार अपने चौथे प्रयास में दो ब्रॉन्ज मेडल के बाद अपना पहला विश्व चैंपियनशिप गोल्ड जीत लिया है. चीन की ली कियान पर अपनी सेमीफाइनल जीत के बाद ही लवलीना ने अपना केवल ब्रॉन्ज मेडल जीत पाने के क्रम को तोड़ दिया था. इससे पहले 25 वर्षीय बोरगोहेन ने विश्व चैंपियनशिप में दो और टोक्यो ओलंपिक में एक सहित बड़े इवेंट में तीन ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं.

लवलीना बोरगोहेन का जन्म असम के गोलाघाट जिले के बरो मुखिया गांव में हुआ था. लवलीना ने अपनी बड़ी बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया और शुरुआत में इसी खेल में अपना करियर बनान चाहती थीं. लेकिन आगे चलकर चीजें बदल गईं.

पेपर मे लिपटी मिठाई ने बनाया बॉक्सर

दरअसल, एक बार लवलीना के पिता अखबार में लपेटकर घर पर मिठाई लाए थे. जब लवलीना ने उस अखबार से मिठाई ली, तो उसमें मशहूर मुक्केबाज मोहम्मद अली के बारे में लिखा था. मोहम्मद अली के बारे में पढ़कर लवलीना के मन में बॉक्सर बनने की तमन्ना जाग उठी. किक-बॉक्सिंग करने वाले लवलीना का ट्रायल प्राइमरी स्कूल में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के लिए हुआ.

स्नैपशॉट
  • लवलीना ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने के अलावा वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक (2018 और 2019) जीत चुकी हैं.

  • उनके नाम एशियन चैंपियनशिप में भी दो कांस्य (2017 और 2021) पदक हैं.

  • 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में उनके स्वर्ण की उम्मीद थी, लेकिन वह कांस्य भी नहीं जीत पाईं.

लवलीना के पिता ने कहा था कि "लवलीना काफी मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ी हैं. वो बताते हैं कि उनकी तनख्वाह मात्र 1300 रुपये होती थी और उनके लिए घर चलाना बहुत मुश्किल था. शुरुआत में उसके (लवलीना) के पास ट्रैकसूट भी नहीं था, लेकिन लवलीना ने कभी मुझे शिकायत नहीं की, न ही किसी और चीज की मांग की."

लवलीना जब 9वीं क्लास में थीं तब ही स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने उनके प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने में मदद की. लवलीना बताती हैं कि उनके गृहक्षेत्र में सिर्फ वहीं थीं जो मार्शल आर्ट्स में थीं. जिसके बाद उनके कोच उन्हें गुवाहाटी ले गए और SAI में ट्रेनिंग लेने के लिए प्रेरित किया. उन पर कोच पादुम बोरो की नजर पड़ी. यहीं से लवलीना का जीवन बदल गया.

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