ADVERTISEMENTREMOVE AD

पिता से सुनिए सोना बनने के लिए कितना तपे नीरज चोपड़ा?

Neeraj Gupta की कामयाबी पर उनके पिता ने बताया कि कैसे उनके बेटे ने संघर्ष कर ये मुकाम हासिल किया.

छोटा
मध्यम
बड़ा

टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympic 2020) में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने 7 अगस्त को इतिहास रचते हुए ओलंपिक में भारत को पहला गोल्ड मेडल दिला दिया. नीरज की जीत पर पूरे देश को गर्व है, वो आज हिंदुस्तान में घर-घर के लाडले बन गए हैं. उनकी जीत पर उनके पिता की भी खुशी का ठिकाना नहीं है, वो अपने बेटे की कामयाबी पर खुद बता रहे हैं कि कैसे उनके बेटे ने संघर्ष कर ये मुकाम हासिल किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नीरज के पिता बताते हैं

नीरज जब 12-13 साल का था तब उसका वजन 75 किलो तक था, सभी भाईयों ने कहा कि अपना वजन कम करो. उसे जिम भेजने का फैसला किया गया, जिम के पास ही स्टेडियम था. नीरज ने कहा कि उसे स्टेडियम जाना है, हम लोगों की कोई जान-पहचान नहीं थी, इसलिए समझ नहीं आया क्या करें, परिवार में भी कोई खिलाड़ी नहीं है, जिससे पता चले किसी गेम के बारे में. गांव में सिर्फ गिल्ली डंडा जैसे खेल होते थे. नीरज को बचपन से ही उसे कोई चीज फेंकने का बड़ा शौक था.

नीरज के पिता सतीश बताते हैं कि हम लोग तो जेवलिन थ्रो के बारे में जानते भी नहीं थे, हमें तो ये भी नहीं पता था कि ये क्या गेम होता है. जब स्टेडियम जाकर उसने जेवलिन की प्रैक्टिस शुरू की. शुरू में नेट तो था नहीं वो वीडियो अपलोड करके लाता था और मुझे दिखाता था, मुझे समझ नहीं आता था क्या गेम है ये वो क्या करेगा. लेकिन उसके दोस्त हमेशा कहते थे कि अंकल जी नीरज इस गेम में काफी अच्छा करेगा.

नीरज के पिता बताते हैं वो अपने प्रैक्टिस में इतना बिजी रहता था कि घर भी मुश्किल से एक रात के लिए आता था. वो हमेशा कहता था कि पापा प्रैक्टिस करनी है, इसलिए ज्यादा दिन नहीं रुक सकता. 

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×