वीडियो एडिटर: कनिष्क दांगी
23 साल के जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने 140 करोड़ भारतवासियों के 121 साल पुराने ख्वाब को पूरा कर दिया है. ख्वाब था एथलेटिक्स में पहले गोल्ड मेडल का. टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में नीरज पहले थ्रो के साथ ही अपने तमाम प्रतिद्वंदियों से बहुत आगे थे.
ओलंपिक में एथलेटिक्स का गोल्ड भले ही देर से आया हो, लेकिन दुरुस्त आया.
आखिर क्यों है यह गोल्ड खास
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक में मेंस जैवलिन का गोल्ड मेडल जीतकर आजाद भारत को एथलेटिक्स का पहला मेडल दिलाया है. यहां तक कि भारत के लिए ओलंपिक के 121 साल के इतिहास में यह पहली बार है, जब एथलेटिक्स इवेंट में कोई गोल्ड मेडल मिला है.
121 साल पहले जब पेरिस फेयर के साइड शो के रूप में ओलंपिक की शुरुआत हुई थी तब नॉर्मन प्रिचर्ड ने एथलेटिक्स में भारत के लिए एक सिल्वर मेडल जीता था. लेकिन IOA और IAAF इस बात पर सहमत नहीं है कि यह मेडल ब्रिटेन का था या भारत का, क्योंकि तब भारत ब्रितानी शासन के अंतर्गत गुलाम राष्ट्र था.
2008 में अभिनव बिंद्रा ने मेंस 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में गोल्ड मेडल जीतकर भारत को व्यक्तिगत इवेंट में पहला गोल्ड मेडल दिलाया था. लेकिन नीरज के गोल्ड के पहले एथलेटिक्स में भारत का गोल्ड का सपना अधूरा था.
भारत में गोल्ड मेडल का इतिहास
नीरज चोपड़ा के इस ऐतिहासिक गोल्ड के पीछे भी भारत के ओलंपिक गोल्ड का संक्षिप्त लेकिन खूबसूरत इतिहास है. उसको देखकर ही नीरज चोपड़ा के गोल्ड की कीमत हम समझ पाएंगे.
एम्स्टर्डम 1928: भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने दिलाया पहला गोल्ड मेडल
1988 के एम स्टेडियम ओलंपिक में भारत के पुरुष हॉकी टीम ने पांच मैचों में 29 गोल किए, लेकिन विपक्षी टीम एक बार भी भारत के डिफेंस को भेद नहीं पायी. तब वक्त था हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का. पूरे टूर्नामेंट में उन्होंने 14 गोल किए, जिसमें से तीन तो नीदरलैंड के खिलाफ खेले गए फाइनल में ही थे. यहां से शुरू हुआ भारत के ओलंपिक गोल्ड मेडल का सफर.
लॉस एंजेलेस,1932 : भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने जीता दूसरा गोल्ड
साल बदला, लेकिन भारतीय पुरुष हॉकी टीम की धार नहीं. अपने पहले मैच में ही भारत ने जापान को 11-1 से बुरी तरह हराया. लेकिन यह तो बस अभी शुरुआत थी. भारत ने फाइनल में अमेरिका को 24-1 के भारी अंतर से हराकर अपने नाम ओलंपिक का दूसरा गोल्ड किया. फाइनल में इस बार मेजर ध्यानचंद के 8 गोल के अलावा उनके छोटे भाई रूप सिंह ने भी 10 गोल किए थे.
बर्लिन, 1936: भारतीय पुरुष हॉकी ने लगातार तीसरा ओलंपिक गोल्ड जीता
जब टीम में मेजर ध्यानचंद कप्तान के तौर पर मौजूद हों तब भारत का जितना लाजमी था. 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भारत ने गोल्ड की हैट्रिक पूरी की .इस बार भारत ने पांच मैचों में 38 गोल दागे. जबकि फाइनल में जर्मनी के खिलाफ एकमात्र गोल खाया. भारत इस बार भी फाइनल 8-1 के भारी अंतर से जीता.
लंदन,1948: आजादी के बाद भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने दिलाया पहला गोल्ड
आजादी के बाद भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल भारतीय हॉकी टीम से आया. इस बार के नए स्टार के रूप में बलवीर सिंह सीनियर ने तीन मैचों में 19 गोल किये और भारत फाइनल में पहुंचा. फाइनल में उन्होंने ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया और भारत 4-0 से जीतकर ओलंपिक गोल्ड मेडल तक पहुंचा.
हेलसिंकी ,1952 : भारतीय हॉकी पुरुष टीम ने दिलाया पांचवा गोल्ड मेडल
प्रतिकूल मौसम के बावजूद भारतीय हॉकी टीम ने लगातार पांचवीं बार ओलंपिक गोल्ड मेडल पर कब्जा किया .बलबीर सिंह सीनियर ने 3 मैचों में 9 गोल दागे, जिसमें नीदरलैंड के खिलाफ फाइनल में 5 गोल शामिल थे. यह ओलंपिक मेंस हॉकी फाइनल में किसी भी खिलाड़ी द्वारा सबसे अधिक गोल का रिकॉर्ड है.
मेलबर्न,1956: भारतीय हॉकी पुरुष टीम ने दिलाया एक और गोल्ड मेडल
1956 के मेलबर्न ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने लगातार छठा ओलंपिक गोल्ड मेडल अपने नाम किया. भारत में पूरे टूर्नामेंट में एक भी गोल नहीं खाया, जबकि कप्तान बलबीर सिंह सीनियर ने फाइनल मैच में दाहिने हाथ में फैक्चर होने के बावजूद पड़ोसी देश पाकिस्तान को 1-0 से हराया.
टोक्यो 1964 :भारतीय हॉकी पुरुष टीम का सातवा गोल्ड मेडल
1960 रोम ओलंपिक में पाकिस्तान के हाथों फाइनल में 1-0 से हारने के बाद भारतीय टीम ने टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड के साथ कमबैक किया. भारत ने ग्रुप स्टेज में चार जीत और दो ड्रा दर्ज किए और सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराया.उन्होंने लगातार तीसरी बार फाइनल में पाकिस्तान का सामना किया और पेनाल्टी स्ट्रोक को गोल मे बदल पाकिस्तान को 1-0 से हराया.
मॉस्को 1980: भारतीय हॉकी पुरुष टीम का आठवां गोल्ड
1980 मॉस्को ओलंपिक में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पिछले 16 सालों का सूखा खत्म करते हुए गोल्ड मेडल जीता. 1976 के मांट्रियल ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारत सातवें स्थान पर रहा था. लेकिन मॉस्को 1980 में भारत ने पहले चरण में 3 मैच जीते, जबकि दो मैच ड्रॉ किए .फाइनल में भारतीय टीम ने स्पेन को 4-3 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया. यह अबतक के ओलंपिक में भारत के लिए आखिरी हॉकी गोल्ड है.
बीजिंग,2008: अभिनव बिंद्रा ने कराया भारत का गोल्ड मेडल कमबैक
आखिरकार 2008 बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में ऐतिहासिक गोल्ड मेडल जीता. यह ऐतिहासिक इसलिए था, क्योंकि यह ओलंपिक में भारत का पहला व्यक्तिगत गोल्ड मेडल था.
टोक्यो, 2021: नीरज चोपड़ा ने दिलाया एथलेटिक्स में भारत को पहला गोल्ड मेडल
ओलंपिक में भारत के लिए एथलेटिक्स का गोल्ड मेडल जीतने का 121 साल पुराना सपना आखिरकार नीरज चोपड़ा ने पूरा किया. नीरज अपने प्रतिद्वंद्वियों से काफी आगे रहे और 87.58 मीटर थ्रो के साथ उन्होंने भारत को यह ऐतिहासिक गोल्ड मेडल दिला दिया है.
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