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BCCI के ‘शाह’ सौरव गांगुली की जगह रोजर बिन्नी ही क्यों, इसमें कोई राजनीति है?

Roger Binny भारतीय टीम के चीफ सेलेक्टर रह चुके हैं, फिलहाल कर्नाटक क्रिकेट बोर्ड चला रहे हैं.

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क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, लेकिन बीसीसीआई (BCCI) में भी कुछ इसी तरह की अनिश्चितताएं चल रही हैं. आपको याद होगा जब कुछ महीनों पहले सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया तब अखबारों में हेडलाइनें लगी कि जय शाह (Jay Shah) और सौरव गांगुली बीसीसीआई में बने रहेंगे. लेकिन अब सौरव गांगुली की जगह पूर्व भारतीय क्रिकेटर और 1983 वर्ल्डकप विजेता टीम के सदस्य रहे रोजर बिन्नी ने ले ली है.

लेकिन ये खेल हुआ कैसे? जिस पर बीजेपी और टीएमसी आमने-सामने आई, और सुप्रीम कोर्ट में केस जीतने वाले सौरव गांगुली खुद बीसीसीआई से बाहर हो गए. सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला जिसका बार-बार जिक्र आ रहा है वो क्या था, आपको आगे बताएंगे- पहले ताजा हालात समझ लीजिए.
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रोजर बिन्नी कैसे बने BCCI अध्यक्ष ?

12 अक्टूबर बीसीसीआई में किसी भी पद के लिए पर्चा दाखिल करने के लिए अंतिम तारीख थी. और रोजर बिन्नी के अलावा किसी ने भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन नहीं किया. जिसका मतलब ये रहा कि बिन्नी निर्विरोध चुने गए. जैसे सौरव गांगुली चुने गए थे.

सौरव गांगुली ने भी एक तरीके से बात पहले ही साफ कर दी थी कि वो मूव ऑन कर रहे हैं, बस ऑफिशियल स्टेटमेंट आना बाकी था जो आज 18 अक्टूबर को आ गया. सौरव गांगुली ने एक कार्यक्रम में कहा कि था, कोई पद पर परमानेंट नहीं रह सकता. कभी ना कभी आपको निराशा हाथ लगती है. मैं भी आगे कुछ ना कुछ कर ही लूंगा.

सौरव गांगुली को क्यों नहीं चुना गया?

TMC सांसद डॉक्टर शांतनु सेन ने ट्वीट किया था कि, गांगुली ने बीजेपी ज्वाइन नहीं की इसलिए उन्हें दोबारा बीसीसीआई का अध्यक्ष नहीं बनाया गया, जबकि अमित शाह के बेटे जय शाह को दोबारा सेक्रेटरी बना दिया गया. उन्होंने इसे खेलों का भगवाकरण करार दिया.

हालांकि बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि, हमें नहीं पता बीजेपी ने सौरव गांगुली को बीजेपी में शामिल करे की कोशिश कब की. कुछ लोग बीसीसीआई में बदलाव पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.

बंगाल क्रिकेट संघ के पूर्व सचिव विश्वरूप डे ने कहा कि,

अगर सौरव आईसीसी में जाते हैं तो उन्हें खुशी होगी. जिसके बाद उन्होंने थोड़ा चुटकी लेते हुए कहा कि, हालांकि मेरे पास उनके लिए एक सलाह है कि अगर उन्हें आईसीसी अध्यक्ष बनने का मौका मिलता है तो उन्हें कुछ अलग विज्ञापन करने से बचना चाहिए. इस तरह के विज्ञापन क्रिकेट प्रशासकों की चवि खराब करते हैं.

सौरव गांगुली के बीसीसीआई से जाने के कारणों में जिन बातों का जिक्र है उनमें से एक ये भी है. इसके अलावा राजनीति तो हो ही रही है.

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रोजर बिन्नी के अध्यक्ष बनने में क्या कोई राजनीति है?

खेल पर राजनीति और राजनीति में खेल कई बार बड़ा गजब होता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता. सत्ता में भले ही कोई हो लेकिन उनकी रुचि राजनीति में होती ही है. केपी साल्वे से लेकर शरद पवार तक और अनुराग ठाकुर से लेकर जय शाह तक इसका उदाहरण हैं. अब सवाल ये कि रोजर बिन्नी ही क्यों...पहले उस वक्त को याद कीजिए जब सौरव गांगुली अध्यक्ष बने थे तब बंगाल में विधानसभा चुनाव आने वाले थे. और अब कुछ दिन बाद कर्नाटक में भी विधानसभा चुनाव हैं. रोजर बिन्नी भी उसी बंगाल से आते हैं. वो भारत के पहले एंगलो इंडियन क्रिकेटर रहे हैं.

रोजर बिन्नी ही क्यों?

पहला कारण तो आप ऊपर वाला समझ सकते हैं. इसके अलावा ज्यादातर बीसीसीआई अध्यक्ष राज्यों के क्रिकेट एसोसिएशन से ऊपर आते हैं क्योंकि उन्हें उस प्रशासन का अंदाजा होता है. अब सौरव गांगुली को रिप्लेस करने के लिए बीसीसीआई को कोई ऐसा चेहरा चाहिए था, जिस पर कम से कम विवाद हो या ना हो. फिलहाल अगर आप सारे राज्यों की क्रिकेट एसोसिएशन पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि रोजर बिन्नी इकलौते बड़े क्रिकेटर हैं, जो प्रशासन में हैं. वो कर्नाटक क्रिकेट संघ के अध्यक्ष हैं.

इसके अलावा बिन्नी पहले भारत के चीफ सेलेक्टर भी रह चुके हैं और उनकी साफ छवि भी इसमें मददगार साबित हुई.
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सौरव गांगुली और विवाद

सौरव गांगुली के बीसीसीआई में दोबारा ना चुने जाने के कारणों में लोग एक उनके विवाद भी बता रहे हैं. दरअसल बीसीसीआई अध्यक्ष रहते सौरव गांगुली के साथ कई विवाद जुड़े.

विराट कोहली विवाद

2021 टी20 वर्ल्डकप से ठीक पहले विराट कोहली ने अचानक घोषणा कर दी कि, इस विश्वकप के बाद वो टी20 की कप्तानी छोड़ देंगे. इसके बाद विराट कोहली को वनडे टीम की कप्तानी से भी हटा दिया गया. तब सौरव गांगुली ने कहा था कि, विराट को टी20 कप्तानी ना छोड़ने के लिए कहा गया था लेकिन वो राजी नहीं हुए. उन्होंने कहा था कि, मैंने खुद उनसे कप्तानी ना छोड़ने की अपील की थी.

लेकिन कुछ ही दिन बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विराट कोहली ने कह दिया कि उन्हें बीसीसीआई या सौरव गांगुली ने कभी कप्तानी पर बने रहने के लिए नहीं कहा. मैंने खुद कप्तानी छोड़ने से पहले बीसीसीआई को बताया था. इसके बाद खूब बवाल हुआ, कोहली के फैंस ने गांगुली की जमकर आलोचना की.

रिद्धिमान साहा विवाद

2022 के शुरुआत में साहा को भारतीय टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली. दूसरे विकेटकीपर के तौर पर केएस भरत को भारतीय टीम का हिस्सा बनाया गया था. इस पर रिद्धिमान साहा ने नाराजगी जताई था. उन्होंने मीडिया में आकर कहा था कि, राहुल द्रविड़ ने उन्हें संन्यास लेने का इशारा दिया था. उन्होंने ये भी कहा था कि, जब उन्होंने अफ्रीका के खिलाफ 61 रनों की पारी खेली तो सौरव गांगुली ने उन्हें मैसेज पर बधाई दी. साहा का कहना था कि, गांगुली ने कहा था, जब तक वो बीसीसीआई में हैं, चिंता करने की जरूरत नहीं है.

सेलेक्शन कमेटी विवाद

सौरव गांगुली पर बीसीसीआई अध्यक्ष रहते सेलेक्शन कमेटी की बैठक में शामिल होने का आरोप भी लगा. इसकी एक फोटो भी वायरल हुई थी. हालांकि सौरव गांगुली ने इस आरोप को नकारा था. और फोटो को भी गलत बताया था.

विज्ञापन विवाद

बीसीसीआई अध्यक्ष रहते सौरव गांगुली फैंटेसी एप माई 11 सर्कल का प्रमोशन करते थे, जबकि बीसीसीआई का ड्रीम11 के साथ करार है. यहां हितों के टकराव को लेकर भी काफी बातें हुईं.

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अब ऐसी दिखेगी BCCI की नई टीम

अब ऐसी दिखेगी BCCI की नई टीम?

अध्यक्ष- रोजर बिन्नी (पहले सौरव गांगुली)

उपाध्यक्ष- राजीव शुक्ला (पहले भी यही थे)

सचिव- जय शाह (पहले भी यही थे)

संयुक्त सचिव- देवजीत सैकिया (पहले जयेश जॉर्ज)

कोषाध्यक्ष- आशीष शेलार (अरुण सिंह धूमल)

IPL चेयरमैन- अरुण सिंह धूमल (बृजेश पटेल)

अब क्या करेंगे सौरव गांगुली?

सौरव गांगुली ने तय किया है कि अब वे बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन (सीएबी) में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने इस जानकारी की पुष्टि भी की है. बता दें 31 अक्टूबर को सीएबी की वार्षिक बैठक होनी है. जबकि नॉमिनेशन भरने की आखिरी तारीख 22 अक्टूबर है.

बता दें अक्टूबर 2019 में बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से पहले गांगुली 5 साल तक सीएबी में ही अलग-अलग पदों पर कार्यरत थे. पहले वे बोर्ड में सचिव थे, उसके बाद वे सीएबी के अध्यक्ष बने थे.

बता दें पहले कुछ रिपोर्टों में दावा किया जा रहा था कि बीसीसीआई, आईसीसी के लिए सौरव गांगुली का नाम भेज सकती हैं. लेकिन अब इसकी संभावना भी कम ही दिखाई दे रही है.

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