एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में कजाकिस्तान की लौरा गनिक्यजी के खिलाफ 10-0 के स्कोर ने विनेश फोगाट को फाइनल में पहुंचा दिया जिससे भारत और उन्हें पेरिस के लिए ओलंपिक कोटा मिल गया. विनेश फोगाट ने तीसरी बार ओलंपिक का टिकट कटाया (Vinesh Phogat bag quota for Paris Olympics) है. यह ऐसा कमबैक है, जिसकी भविष्यवाणी करने से पहले शायद खुद विनेश भी झिझकतीं.
18 जनवरी 2023 यानी ठीक 458 दिन पहले विनेश फोगाट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और अन्य पहलवानों का एक समूह जंतर-मंतर पर धरने पर बैठा था. उनका विरोध भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के तत्कालीन अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह और अन्य पदाधिकारियों के एक समूह के खिलाफ था. बृज भूषण पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगा और पहलवान न्याय की मांग कर रहे थे.
28 मई 2023 तक विनेश, साक्षी और बजरंग पर दंगा करने और सरकारी कर्मचारियों के काम में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया था. वे नई संसद की ओर मार्च करने का प्रयास कर रहे थे जिसका उद्घाटन पीएम मोदी कर रहे थे.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति और यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने पुलिस की कार्रवाई की तुरंत निंदा की और इसे 'बहुत परेशान करने वाला' बताया.
एक चमत्कारी उपलब्धि- सेक्सिस्ट और आत्ममुग्ध टोन वाले फेडरेशन के खिलाफ
विनेश ने घुटने की सर्जरी के बाद और एक साल से अधिक समय तक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता से बाहर रहने के बाद वापसी की है. उन्होंने दिखाया कि कैसे नकारात्मक शोर को बंद किया जाता है और पूरी तरह से वापसी पर ध्यान केंद्रित किया जाता है. यदि विनेश पेरिस तक जाती है और उम्मीदों के मुताबिक पोडियम फिनिश करती हैं, तो यह उनके 'रिडेम्पशन' की पुष्टि होगी.
सेक्सिस्ट और आत्ममुग्ध टोन वाले, पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शर्मा के प्रति निष्ठा रखने वाले पदाधिकारियों भरे एक फेडरेशन में विनेश फोगाट का ऐसा करना चमत्कार से कम नहीं है. विनेश ने ऐसा ट्रोल, नकारात्मकता की लहरों को दूर रखते हुए किया है.
आपने किसी हेवीवेट बॉक्सर को देखा होगा जो रिंग में कई बार गिरता है लेकिन फिर भी अंतिम राउंड के अंतिम सेकंड में सबको आश्चर्य में डालते हुए KO (नॉकआउट) जीत के लिए शानदार पंच करता है. विनेश का ओलिंपिक कोटा जीतना एक ऐसा ही सुखद एहसास है.
नकारात्मकता के शोर का सामना करना
द न्यू यॉर्कर के संगीत समीक्षक एलेक्स रॉस का शोर/ नॉइज पर एक निबंध है. इसमें वह बताते हैं, "कभी-कभी हम इसे स्वीकार करते हैं, कभी-कभी हम इससे नफरत करते हैं - और सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि शोर पैदा कौन कर रहा है."
जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन के शोर-शराबे में, रात के सन्नाटे में जहां थके हुए पहलवान और सतर्क पुलिसकर्मी एक साथ बैठे थे, विनेश को शोर का सामना करना पड़ा. यह उस शोर से अलग है जो उन्हें मुकाबले के दौरान स्टेडियम के अंदर पसंद है. शोर का वह प्रकार जो एड्रेनालाईन प्रवाहित करता है, नसें फूल जाती हैं और धड़कती हैं, जैसे अलास्का की सर्दियों में पानी के पाइप फट जाते हैं, खून पंप होता है. मन, शरीर एक मेडल, पोडियम पर केंद्रित होता है.
जंतर-मंतर पर विनेश और अन्य पहलवानों के लिए शोर नकारात्मकता का था. रॉस लिखते हैं- “अवांछित आवाज मूल परिभाषा है. उसमे आक्रामक होने का काम निहित है: कोई आपके स्पेस में शोर फैलाने, उसे प्रोजेक्ट करके लिए अपनी शक्ति का प्रयोग कर रहा है."
यौन उत्पीड़न की आवाज महिला पहलवान उठा रही थीं. विनेश और अन्य पहलवानों ने जो संघर्ष किया वह वर्चस्व का, पुरुषों द्वारा शक्ति और श्रेष्ठता का प्रयोग करने का शोर था.
यह विनेश फोगाट का समय है
जब वे जंतर-मंतर पर दूसरी बार धरने के लिए वापस आए तो उनके इरादों पर संदेह जताया जा रहा था. उस वक्त विनेश ने कहा था:
जिन्होंने हमें इतना परेशान किया है, हम महिला पहलवानों की सुरक्षा के लिए उन पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? अगर वे किसी को (अध्यक्ष) बनाते हैं तो हो सकता है कि वे उनसे ज्यादा महिलाओं को परेशान करेंगे. हम 1976 से ऐसे ही हैं. कुश्ती में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. हम पुरुषों से प्रतिस्पर्धा करने लगे हैं. क्या वे उस खेल में महिलाओं को खत्म करना चाहते हैं? जब तक हम सुरक्षित महसूस नहीं करते तब तक हम किसी भी चीज पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?
बृजभूषण पर सीधे बोलते हुए उन्होंने कहा था, ''जो व्यक्ति खुद अच्छा नहीं है, वह अच्छे लोगों को कैसे बैठाएगा?''
विनेश और अन्य पहलवानों सरकार के सामने खड़े हुए और अन्य खिलाड़ियों से आगे आने और उनकी लड़ाई का समर्थन करने की अपील की. यह एक ऐसी सरकार थी जो चुप रही. एक कदम आगे जाकर सरकार ने अपना मुंह मोड़ लिया और अपनों (बृज भूषण, मौजूदा सांसद) की रक्षा की.
"हमने बहुत अपील की है. बजरंग ने तमाम लोगों को कई खुले पत्र लिखे हैं. मैं आप लोगों से भी कह रहा हूं कि बाहर आएं और बोलें. यह खेलों के लिए अच्छा है; यह हमारे देश के लिए अच्छा है. आशा है कि बाकी लोग जो नहीं आये हैं, वे भी आयेंगे, अपनी बात रखेंगे क्योंकि देश के खिलाड़ी किसी प्रतियोगिता में सिर्फ पदक ही नहीं जीतते. देश का भविष्य युवाओं के हाथ में है. हमें काम करना है और उनकी जिम्मेदारियां निभानी हैं. मुझे उम्मीद है कि बाकी एथलीट भी आगे आएंगे और सिस्टम के खिलाफ बोलेंगे."विनेश फोगाट
किर्गिस्तान के बिश्केक में एशियाई ओलंपिक क्वालीफायर में, विनेश ने फाइनल में पहुंचने में एक भी प्वाइंट नहीं गंवाया. यह विनेश का समय है. अजेय. दृढ़.
वह अब स्वतंत्र महसूस करेंगी. वह सारा शोर, जंतर-मंतर, ट्रोल और बाकी सब, अब दूर हो रहा होगा. विनेश पेरिस का इंतजार करेंगी - हौसला बढ़ाने वाला वह शोर जिसे वह आसानी से अपना लेगी, चाहे कैंपेन किसी भी दिशा में जाए. एक एथलीट अपने मैदान में वापस होगी, शिकार पर, मेडल की चमक की तलाश में, पोडियम पर गौरव के साथ खड़ी होने की आस में.
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