बजरंग पुनिया के बाद भारतीय पहलवान विनेश फोगाट (Vinesh Phogat) ने भी शनिवार, 30 दिसंबर को अपने मेडल लौटा दिए. पूरे भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) प्रकरण में सरकार की भूमिका के विरोध में उन्होंने अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा दिया है. विनेश ने तीन दिन पहले ऐलान किया था कि वो WFI के पूर्व प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह (Brijbhushan Sharan Singh) के करीबी सहयोगी संजय सिंह (Sanjay Singh) के अध्यक्ष चुने जाने के बाद अपने पुरस्कार लौटा देंगी.
भारत के टॉप पहलवानों ने खेल मंत्रालय से संजय सिंह को चुनाव में भाग लेने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा था क्योंकि इसका मतलब WFI में बृजभूषण का वर्चस्व जारी रहेगा.
PMO कार्यालय नहीं जा पाईं विनेश फोगाट
शनिवार को विनेश ने पुरस्कार लौटाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचने की कोशिश की लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें वहां पहुंचने से रोक दिया.
आखिरकार, उन्होंने अपना ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार प्रधानमंत्री कार्यालय के पास फुटपाथ पर रख दिया, ठीक वैसे ही जैसे ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार रखा था.
विनेश फोगाट को 2020 में खेल रत्न (देश का सर्वोच्च खेल सम्मान) मिला था और 2016 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
विनेश अपने पीछे मीडियाकर्मियों की भीड़ के साथ पहुंचीं. उन्होंने पुरस्कार लौटाने की वजहों को भी दोहराया.
एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट ने मंगलवार को ऐलान किया था कि वो WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह को सरकार के समर्थन के विरोध में अपना खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटा देंगी.
इससे पहले ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास का ऐलान किया है जबकि बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया है. ऐसे में विनेश फोगाट विरोध के कदम उठाने वाली तीसरी हाई-प्रोफाइल पहलवान बन गई हैं.
विनेश फोगाट ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक पत्र में लिखा था
मैं अपना ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार और अर्जुन पुरस्कार लौटा रही हूं. चीजों को इस स्तर तक पहुंचाने के लिए शक्तिशाली लोगों को धन्यवाद.
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