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बजरंग पूनिया ने लौटाया पद्मश्री, PM को पत्र में लिखा- सम्मानित बनकर जी नहीं पाऊंगा

Bajrang Punia ने सोशल मीडिया पर अपने पत्र में लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं.

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भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया (Bajrang Punia) ने अपना पद्म श्री पुरस्कार सरकार को वापस लौटा दिया है. उन्होंने पुरस्कार लौटान का ऐलान करते हुए अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर एक पत्र लिखा. बजरंग पूनिया सोशल ने मीडिया पर अपने पत्र में लिखा कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री जी को वापस लौटा रहा हूं. कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है. यही मेरी स्टेटमेंट है.

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पहलवान साक्षी मलिक द्वारा भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख के रूप में बृज भूषण के करीबी संजय सिंह को WFI का अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध करने के एक दिन बाद बजरंग पूनिया ने अवार्ड लौटाने का ऐलान किया है.
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गुरुवार को बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष चुने गए. संजय सिंह के चुनाव के बाद साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया, जिसमें साक्षी ने विरोध स्वरूप खेल छोड़ने की घोषणा की.

साक्षी मलिक ने कहा कि

हमने दिल से लड़ाई लड़ी, लेकिन अगर बृज भूषण जैसे व्यक्ति, उनके बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी को WFI का अध्यक्ष चुना जाता है, तो मैं कुश्ती छोड़ देती हूं. आज से आप मुझे मैट पर नहीं देखेंगे.

साक्षी मलिक ने आंखों में आंसू लेकर अपना बूट टेबल पर रख दिया और प्रेस कॉन्फ्रेंस वाली जगह पर ही बूट छोड़कर वापस चली गईं.

बजरंग पूनिया ने अपने पत्र में क्या लिखा?

बजरंग पूनिया ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखे पत्र में कहा-

"माननीय प्रधानमंत्री जी,

उम्मीद है कि आप स्वस्थ होंगे. आप देश की सेवा में व्यस्त होंगे. आपकी इस भारी व्यस्तता के बीच आपका ध्यान हमारी कुश्ती पर दिलवाना चाहता हूं. आपको पता होगा कि इसी साल जनवरी महीने में देश की महिला पहलवानों ने कुश्ती महासंघ पर काबिज बृजभूषण सिंह पर सेक्सुएल हारसमैंट के गंभीर आरोप लगाए थे, जब उन महिला पहलवानों ने अपना आंदोलन शुरू किया तो मैं भी उसमें शामिल हो गया था."

आंदोलित पहलवान जनवरी में अपने घर लौट गए, जब उन्हें सरकार से ठोस कार्रवाई की बात कही. लेकिन तीन महीने बीत जाने के बाद भी जब बृजभूषण पर FIR तक नहीं की तब हम पहलवानों ने अप्रैल महीने में दोबारा सड़कों पर उतरकर आंदोलन किया ताकि दिल्ली पुलिस कम से कम बृजभूषण सिंह पर FIR दर्ज करे लेकिन फिर भी बात नहीं बनी तो हमें कोर्ट में जाकर FIR दर्ज करवानी पड़ी.
बजरंग पूनिया, भारतीय पहलवान

उन्होंने आगे कहा कि जनवरी में शिकायतकर्ता महिला पहलवानों की गिनती 19 थी, जो अप्रैल तक आते-आते 7 रह गई थी, यानी इन तीन महीनों में अपनी ताकत के दम पर बृजभूषण सिंह ने 12 महिला पहलवानों को अपने न्याय की लड़ाई में पीछे हटा दिया था.

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बजरंग पूनिया ने कहा कि आंदोलन 40 दिन चला, इन चालीस दिनों में एक महिला पहलवान और पीछे हट गईं. हम सब पर बहुत दबाव आ रहा था. हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस-नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी.

जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें. इसलिए हमने अफने मेडल गंगा में बहाने की सोची. जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया. उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं, हमारे साथ न्याय होगा. कार कर देगी और न्याय की लड़ाई न्यायालय में लड़ी जाएगी, ये दो बातें हमें तर्कसंगत लगी.
बजरंग पूनिया, भारतीय पहलवान

उन्होंने आगे लिखा कि इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे. हमने उनकी बात मानकर सड़कों से अपना आंदोलन खत्म कर दिया, क्योंकि कुश्ती संघ का हल सर

"हम सभी की रात रोते हुए निकली"

बजरंग पूनिया ने अपने पत्र में कहा कि हम सभी की रात रोते हुए निकली. समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जीएं. इतना मान-सम्मान दिया सरकार ने, लोगों ने. क्या इसी सम्मान के बोझ तले दबकर घुटता रहूं. साल 2019 में मुझे पद्मश्री से नवाजा गया. खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड से भी सम्मानित क्या गया.

जब ये सम्मान मिले तो मैं बहुत खुश हुआ. लगा था कि जीवन सफल हो गया लेकिन आज उससे कहीं ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे कचोट रहे हैं. कारण सिर्फ एक ही है, जिस कुश्ती के लिए ये सम्मान मिले उसमें हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती तक छोड़नी पड़ रही है.
बजरंग पूनिया, भारतीय पहलवान
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बजरंग पूनिया ने आगे कहा कि खेल हमारी महिला खिलाड़ियों के जीवन में जबरदस्त बदलान लेकर आए थे. पहले देहात में यह कल्पना नहीं कर सकता था कि देहाती मैदानों में लड़के-लड़कियां एक साथ खेलते दिखेंगे लेकिन पहली पीढ़ी की महिला खिलाड़ियों की हिम्मत के कारण ऐसा हो सका.

हर गांव में आपको लड़कियां खेलती दिख जाएंगी और वे खेलने के लिए देश-विदेश तक जा रही हैं. लेकिन जिनका दबदबा कायम हुआ है या रहेगा, उनकी परछाई तक महिला खिलाड़ियों को डराती है और अब तो वे पूरी तरह दोबारा काबिज हो गए हैं, उनके गले में फूल-मालाओं वाली फोटो आप तक पहुंची होगी.

पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा कि जिन बेटियों को बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था, उनको इस हास में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा. हम 'सम्मानित' पहलवानन कुछ नहीं कर सके. महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं 'सम्मानित' बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाऊंगा. ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे. इसलिए ये 'सम्मान' मैं आपको लौटा रहा हूं.

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