भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation of India) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन खिलाड़ी उनकी खिलाफत में दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर डट जाएंगे.
इन खिलाड़ियों के धरने के बीच एक सवाल ये भी उठता है कि क्या सिर्फ कुश्ती में ही महिला खिलाड़ियों का शोषण होता है या फिर दूसरे खेलों में भी हालात कुछ ऐसे ही हैं. क्विंट हिंदी ने बाकी खेलों में भी खिलाड़ियों से बात करने और जानने की कोशिश की जमीन पर सच्चाई क्या है.
बॉक्सर कविता
अर्जुन अवार्ड से सम्मानित बॉक्सर कविता ने माना कि कुश्ती की तरह बाकी खेलों में भी महिला खिलाडियों के साथ यौन उत्पीड़न होता है. उन्होंने कहा कि मैंने अपने सामने कई खिलाड़ियों के साथ ऐसा होता देखा है. चीफ कोच ऐसी हरकतें करते हैं और अपने हिसाब से फेडरेशन चलाते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि हमारे खेल में चापलूसों को तवज्जो दी जाती है और भेदभाव भी होता है. उन्होंने माना कि वो भी इसका शिकार हुई हैं.
कविता के नाम उपलब्धियों की बात करें तो वे अर्जुन अवार्ड, भीम अवार्ड से सम्मानित हैं. वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में 3 बार मेडल और एशियन चैंपियनशिप में 5 बार मेडल ला चुकी हैं. इसके अलावा 10 बार नेशनल चैंपियन भी रह चुकी हैं.
बॉक्सर मनोज कुमार
बॉक्सर मनोज कुमार ने बताया कि जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर इस तरह की चीजों का सामना नहीं किया है और न ही देखा है.
"जब से मैं बॉक्सिंग कर रहा हूं मेरे सामने ऐसी कोई बात नहीं आई हैं. हांलाकि, वक्त के साथ रेसलिंग में सुविधाएं बढ़ने लगी हैं पहले इतनी सहूलियत नहीं थी."मनोज कुमार, बॉक्सर
मनोज ने कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीता है. साल 2022 में उन्हें भीम अवार्ड मिला है. साल 2017 में वे देश के बेस्ट बॉक्सर अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं. 2014 में उन्हें अर्जुन अवार्ड मिला और वे दो बार ओलंपिक में हिस्सा ले चुके हैं.
बॉक्सर पूजा बोहरा के कोच
बॉक्सर पूजा बोहरा के कोच संजय ने भी कहा कि उन्होंने यौन शोषण जैसी चीजें खेल में अपने स्तर पर नहीं देखी. उन्होंने कहा कि "मैंने उनसे (पूजा से) इन सब विषयों के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा हमारे साथ ऐसी कोई बात नहीं है." कोच संजय ने कहा कि अगर ऐसा कुछ है तो हम भी दिल्ली धरने में आते.
बॉक्सर अमित पंघाल
अमित पंघाल बॉक्सर ने बातचीत में बताया कि उन्हें फेडरेशन से पूरा सपोर्ट मिलता है, जिस तरह कुश्ती पहलवानों ने कहा कि ट्रायल के बाद ही टूर्नामेंट खेल सकते हैं. उन्होंने इस पर कहा,
"जैसे आरोप लग रहे हैं हमारे फेडरेशन में वैसा नहीं हैं. हमारी बात को सुना जाता है और कुछ महिला मुक्केबाजों से मेरी बात हुई है. उन्होने ऐसी कोई बात नहीं बताई जो इन खिलाड़ियों के साथ हुई है."
विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में अमित पंघाल रजत पदक, 2017 में राष्ट्रीय मुक्कबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक, 2017 एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक और 2018 के एशियाई खेलों में गोल्ड जीत चुके हैं.
खिलाड़ियों ने अपने दूसरे दर्द भी साझा किए
स्कॉलरशिप नहीं मिली तो सारा खर्च अपने माथे पर
कराटे खिलाड़ी ज्योति प्रजापत की उम्र महज 19 साल है. पिछले साल इंग्लैंड में हुई कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में उन्होंने रजत पदक जीता. हाल ही में उन्होंने श्रीलंका में हुए कराटे चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था, लेकिन आर्थिक तंगी ज्योति के आड़े आती है. ज्योति प्रजापत ने बताया कि
हम ओपन और गर्वमेंट दो तरह से खेलने जाते हैं. ओपन गेम्स में हमें पूरा खर्च खुद उठाना पड़ता है. इसमें आने जाने के किराये से लेकर, डाइट और सभी तरह का खर्च शामिल है. अगर गेम्स में कोई मेडल आ जाता है तो हमें कुछ स्कॉलरशिप मिल जाती है, वो भी आरक्षण के तहत.ज्योति प्रजापत, कराटे खिलाड़ी
ज्योति ने कहा कि अगर हार गए तो पूरा खर्च हमारे सिर पर पड़ता है, लेकिन बड़ी बाधा ये है कि वो भी हमें समय पर नहीं मिलता जिससे हमारे प्रदर्शन पर फर्क जरूर पड़ता है.
प्रतियोगिता में जाने के लिए अपनी जमीन बेचनी पड़ी
हैं. पिछले साल उन्होंने दुबई में हुई पावर लिफ्टिंग चैंपियनशिप में 250 किलोग्राम और 140 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन उनको वैसा साथ नहीं मिला जिसके वो हकदार थे. ताजुब की बात ये है कि इस खिलाड़ी ने दुबई जाने के लिए अपनी जमीन बेची तब जाकर प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. जसप्रीत सिंह कहते हैं कि हमें ओपन गेम में सरकार या हमारा फेडरेशन कुछ सहयोग करे ताकि हम खेल पर पूरा ध्यान दे सकें.
खिलाड़ियों के बेहतर प्रदर्शन के पीछे भी लंबा संघर्ष और कठिनाईयां हैं. यौन उत्पीड़न जैसी घटनाएं भी कई बार खिलाड़ियों के खेल पर नकारात्मक असर डालती है. ऐसे में अगर खिलाड़ियों की बात को सुना जाए और उन्हें पूरा सहयोग मिले तो ये खिलाड़ी देश के लिए सोने की खान हैं.
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