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IND vs PAK: भारत-पाकिस्तान ने Asia Cup में खेलने से मना क्यों कर दिया था?

India vs Pakistan: Asia Cup का क्या इतिहास है? ये टूर्नामेंट क्यों शुरू किया गया था? देखिए खेलपंती में

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एशिया की सबसे कामयाब क्रिकेटिंग कंट्री इंडिया ने एशिया कप (Asia Cup 2022) में खेलने से ही मना कर दिया था. यही काम एक बार पाकिस्तान ने भी किया, लेकिन क्यों? क्यों शुरू किया गया था ऐशिया कप? क्या है इस टूर्नामेंट का इतिहास? और क्यों है ये सचिन-विराट के लिए खास? खेलपंती में आज यही कहानी.

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एशियन क्रिकेट काउंसिल (ACC) का गठन

1983 में क्रिकेट को आगे बढ़ाने के लिए एशियन क्रिकेट काउंसिल यानी ACC की शुरुआत हुई. इसकी शुरूआत ICC की Subsidiary Organisation के रूप में हुई थी और इसका मुख्य काम था एशिया के अलग-अलग देशों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए क्रिकेट को प्रोमोट करना. अब 25 देश इसके सदस्य हैं.

एशिया कप का पहला सीजन 1984 में खेला गया. शुरू में ये सिर्फ ODI फॉर्मेट में होता था, लेकिन T20 क्रिकेट की कामयाबी के बाद 2015 में फैसला किया गया कि इसे 20 ओवर के फॉर्मेट में भी कराया जाएगा. अब एशिया कप एक बार ODI फॉर्मेट में होता है तो अगली बार T20 में, और इसके बीच में 2 साल का गैप होता है.

अब अगर टीमों के प्रदर्शन की बात करें तो इसमें 2018 तक 14 सीजन खेले गए जिसमें से 7 भारत ने जीते, इसमें 5 टाइटल जीत के साथ श्रीलंका दूसरे नंबर पर है. श्रीलंका एशिया कप की एकलौती टीम है जो अभी तक के सभी 14 सीजन में खेली है.

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जब भारत ने श्रीलंका जाने से मना किया

ये तो थी इसके इतिहास की एक छोटी सी झलक, अब आपको बताते हैं वो मौका जब भारत और पाकिस्तान ने एशिया कप में खेलने से मना कर दिया था. 1986, एशिया कप का दूसरा ही सीजन था. इस साल ये टूर्नामेंट श्रीलंका में आयोजित होना था. इस दौरान श्रीलंका में सरकारी फोर्सेस और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) के बीच गृह युद्ध छिड़ा हुआ था.

हालांकि, ये आंदोलन 1976 में शुरू हुआ, लेकिन 80 के दशक के बीच तक अपने चरम पर पहुंच चुका था. इसी को ध्यान में रखते हुए भारत ने अपनी टीम श्रीलंका न भेजने का फैसला लिया.

अंपायर का कृष्णमचारी श्रीकांत के साथ खराब बर्ताव

लेकिन ये एकलौता कारण नहीं था, इसके अलावा भी एक और कारण है. 1985 में भारतीय टीम 3 टेस्ट मैचों के लिए श्रीलंका गई थी. इस दौरे पर अंपायरिंंग को लेकर विवाद हो गया. इसमें श्रीलंका ने एक मैच जीता और दो ड्रॉ हो गए थे. तब पहली बार श्रीलंका ने अपने इतिहास में कोई टेस्ट सीरीज जीती. इसी दौरे पर तमिलनाड़ू के खिलाड़ी कृष्णमचारी श्रीकांत के खिलाफ कई संदेहास्पद फैसले दिए गए. इसके अलावा अंपायरों पर श्रीकांत के साथ खराब व्यवहार करने का आरोप लगा.

श्रीकांत जब अंपायर के पास खराब लाइटिंग की शिकायत करने गए तो अंपायर ने बदतमीजी भरे अंदाज में बैटिंग जारी रखने के लिए कह दिया. भारतीय टीम के मैनेजर ने इसकी लिखित शिकायत भी की थी

इस पूरी घटना के राजनैतिक मतलब भी निकाले गए. ऐसा माना गया कि इस घटना से दोनों बोर्ड्स के रिश्तों में खटास आ गई और इसी के चलते भारत ने अगले साल एशिया कप के लिए अपनी टीम नहीं भेजी. हालांकि भारत के न खेलने से बांग्लादेश को पहली बार इसमें शामिल किया गया.
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जब पाकिस्तान ने भारत में खेलने से मना कर दिया


ये तो हुई भारत की कहानी...अब 1990 की बात करते हैं जब एशिया कप भारत में आयोजित हुआ था. 1989 में भारतीय टीम पाकिस्तान के दौरे पर गई थी. इस दौरे पर दो महान खिलाड़ियों का डेब्यू हुआ सचिन तेंदुलकर और वकार यूनिस. यहां तक तो सब ठीक था, लेकिन इसके बाद कश्मीर में सियाचिन ग्लेशियर को लेकर दोनों देश सैन्य संघर्ष में आमने-सामने आ गए. उसी साल पाकिस्तान ने सियाचिन को कब्जाने की साजिश रची थी.

दोनों देशों के बीच तल्खियां इतनी बढ़ गईं कि पाकिस्तान ने भारत में आयोजित हो रहे एशिया कप से दूर रहने का फैसला किया. इसके बाद 1997 तक दोनों देशों के बीच कोई बाइलेटरल सीरीज नहीं हुई.
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सचिन-विराट के लिए खास है एशिया कप

एशिया कप से कई तरह की यादें जुड़ी हुई हैं और इसमें सबसे खास हैं सचिन और विराट. भारतीय क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपना आखिरी ODI एशिया कप में ही खेला था. तारीख थी 18 मार्च 2012 और जगह थी बांग्लादेश का मीरपुर स्टेडियम, इस मैच में विरोधी टीम पाकिस्तान थी. विराट कोहली के ODI करियर का अभी तक का सबसे बड़ा स्कोर 183 रन भी एशिया कप में ही आया और इत्तफाक ये कि दोनों ही बड़ी घटनाएं एक ही मैच में हुईं, यानी जिस मैच में सचिन की विदाई उसी में विराट युग का अगुवाई.

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