टिम विगमॉर और फ्रैडी वाइल्ड की शानदार किताब क्रिकेट 2.0 को अगर आधार मानें तो क्रिस गेल (Chris Gayle) ने विरोधी गेंदबाजों के खिलाफ अब तक 500 से ज्यादा रन वाइड और नो बॉल डालने पर ले लिए हैं. आपको शायद ये बताने की जरुरत नहीं है कि कोई गेंदबाज ज्यादातर मौके पर किसी बल्लेबाज की छवि से प्रभावित होकर अक्सर अपनी दिशा और दशा भूल जाता है और इसलिए वो अतिरिक्त गेंद के तौर पर वाइड और नो बॉल डालता है. गेल का जलवा ही ऐसा है कि 42 साल की उम्र में भी कोई किशोर या कोई युवा या फिर कोई दिग्गज अनुभवी हर कोई उनसे खौफ खाता है.
एक तरफ सारे हिटर की तैयारी, गेल सब पर अकेले भारी
ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के बीच जो तीसरा टी-20 मुकाबला 12 जुलाई देर रात खेला गया उसमें गेल ने अकेले 7 छक्के जड़ दिए, वो भी महज 38 गेंदों पर. इस बात की अहमियत और तब बढ़ जाती है जब आपको ये पता चलता है कि पूरे मैच में दोनों टीमों के बाकी खिलाड़ियों ने मिलकर 4 छक्के ही जमाये थे.
मतलब साफ है कि क्रिकेट के सामान्य नियम और कायदे गेल पर लागू नहीं होते हैं और शायद इसलिए वो खुद को कभी भी यूनिवर्सल बॉस कहने से हिचकते नहीं हैं!
गेल का मूल्यांकन आंकड़ों की बजाए उनके दबदबे से
गेल अब क्रिकेट के सबसे फटाफट फॉर्मेट में 14 हजार रनों के क्लब में शामिल होने वाले पहले खिलाड़ी बन चुके हैं. यहां बात सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मैचों की नहीं बल्कि हर तरह के टी-20 मैचों की हो रही है, जिसमें आईपीएल से लेकर कैरेबियन प्रीमियर लीग तक के मैच शुमार हैं. लेकिन, गेल जैसे खिलाड़ी का मूल्यांकन क्रिकेट इतिहास आंकड़ों की बजाए उनके दबदबे से करेगा. किस तरह से उन्होंने अकेले अपने खेल के दम पर क्रिकेट के उस फॉर्मेट को मान्यता दिलवाई जिसे पारंपरिक सोच रखने वाले टेस्ट और वन-डे की तुलना में इसे खेल ही नहीं मानते थे. गेल का प्रभाव फटाफट फॉर्मेट में ठीक वैसा ही है जैसा कि डॉन ब्रैडमेन का टेस्ट क्रिकेट और विवियन रिचर्ड्स का वन-डे क्रिकेट में है.
गेल ने बदल दिया क्रिकेट का खेल
देखने में गेल अक्सर आपको बेफिक्र और मदमस्त और यहां तक कि लापरवाह भी नजर आ सकते हैं. लेकिन शायद ही लोगों का ध्यान इस बात पर जाता हो कि वो इस युग के महानतम खिलाड़ियों में से एक हैं. और उनकी महानता दूसरे खिलाड़ियों से काफी जुदा है. आखिर ये गेल ही थे जिन्होंने पहली बार ये जोखिम उठाया कि देश की बजाए क्लब के लिए क्रिकेट खेलना करियर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
गेल ने ही पूरी दुनिया में फ्रीलांस क्रिकेट कल्चर को जन्म दिया है. शुरुआत में भले इसकी खूब आलोचना हुई और तर्क ये दिया गया कि गेल जैसे स्वार्थी क्रिकेटर पैसे के चलते देश को अहमियत नहीं देते हैं. लेकिन, वक्त का पहिया देखिये कितने दिलचस्प अंदाज में घूमा है. अगर 42 साल की उम्र तक गेल क्रिकेट खेलते हुए ना सिर्फ सक्रिय हैं बल्कि वही यौवन बरकरार रखे हुए हैं तो इसकी वजह दुनिया की अलग-अलग लीगों में उनका खेलना है. जहां तक देश की बात है तो वेस्टइंडीज बोर्ड ने भी अब स्वीकार कर लिया है कि गेल को अपने तरीके से क्रिकेट खेलने की आजादी मिलनी चाहिए और इसलिए अब से वो दोबारा कैरेबियाई टीम में नियमित तौर पर खेल रहे हैं और उनका सपना है कि वेस्टइंडीज को रिकॉर्ड तीसरी बार वर्ल्ड कप टी-20 फॉर्मेट में जीत दिलायी जाए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)