ADVERTISEMENTREMOVE AD

Jhulan Goswami:ट्रेन में लोगों के ताने से स्टार बन जाने तक झूलन की कहानी-खेलपंती

Jhulan Goswami ने 15-16 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया.

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

जब-जब हवा में झूलन (Jhulan Goswami) की गेंद लहराई, तब-तब मैदान में भारत (India) का तिरंगा लहराया

जब समाज ने कहा कि लड़की हो और खेलने निकली हो! तब झूलन का उदाहरण सामने आया

जब सवाल किया गया कि क्रिकेट में लड़कियां क्या करेंगी? तो झूलन ने कर दिखाया...

तो कहानी की शुरुआत होती है पश्चिम बंगाल के छोटे से नादिया जिले के एक कस्बे चकदाह से, झूलन का जन्म यहीं हुआ था. खेल से परिवार का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था, अपने एक इंटरव्यू में झूलन कहती हैं कि 10 जन्म से मेरे परिवार में किसी ने क्रिकेट और स्पोर्ट्स के बारे में नहीं जानता होगा, लेकिन 1997 के वर्ल्ड कप ने झूलन गोस्वामी की किस्मत में बदलाव की पटकथा रची.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

1997 वर्ल्ड कप

झूलन गोस्वामी ने 15-16 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया. 1997 वर्ल्ड कप में पहली बार देखा कि लड़कियां खेल रही हैं. उस साल क्रिकेट वर्ल्ड कप का फाइनल इर्डन गार्डंस में हुआ था. झूलन उस मैच में बॉल गर्ल थी. झूलने ने एक इंटरव्यू में कहा कि "जब ऑस्ट्रेलिया की टीम वर्ल्ड कप जीतने के बाद बाउंड्री लाइन के साथ-साथ मैदान में घूम रही थी तो मैंने सोचा कि अगर मैं भी इस खेल को अपना करियर बना लूं तो मुझे भी मौका मिलेगा इंडिया के लिए खेलने का. ये मेरा सपना था."

ट्रेन में मिलते ताने

सपना तो था लेकिन इस सपने को पूरा कैसे करते, एक तो ऑर्थोडॉक्स परिवार, उसमें फिर मिडिल क्लास और उसमें भी लड़की...मतलब रास्ते में सामाजिक स्तर पर आने वाली सारी चुनौतियां स्वागत के लिए एकदम तैयार थी, लेकिन एक अच्छी चीज रही कि उनकी दादी काफी सपोर्टिव निकली. बावजूद इसके सब कुछ काफी मुश्किल लग रहा था. परिवार पर दबाव बढ़ता जा रहा था और झूलन को किसी भी दिन ना कहने की स्थिती आ गई थी, लेकिन तब एंट्री हुई झूलन को कोच स्वपन साधु की. कोच झूलन के घर गए और उनके परिवार को सब समझाया. कोच ने परिवार से 2 साल मांगे और कहा-

"अगर 2 साल में इसके करियर में क्रिकेट का ग्राफ ऊपर नहीं गया तो इसका खेलना बंद करवा देना, लेकिन 2 साल तक कोई कुछ नहीं बोलेगा."

उसी झूलन ने अपने क्रिकेट को सिर्फ 2 साल नहीं 20 साल दिया है, तो स्वपन साधु की इस लाइन को याद करना तो बनता है.

रोज 5 घंटों का सफर 

साधु ने परिवार को तो मना लिया पर क्या चुनौतियां खत्म हो गईं? बिल्कुल नहीं. प्रैक्टिस के लिए हर रोज झूलन को चकदाह से कोलकाता जाना पड़ता था, क्योंकि गांव के आस-पास इतनी बेहतर सुविधाएं नहीं थी. हर रोज 2.5 घंटे जाने में और 2.5 घंटे आने में लगते थे. झूलन रोज के पांच घंटे ट्रैवल में बिता देती थीं. प्रैक्टिस ग्राउंड तक पहुंचने के लिए पहले ट्रेन फिर बस में ट्रैवल करना पड़ता. झूलन के कोच स्वपन साधु भी काफी सख्त थे. अगर 7.45 से 8 बजे तक वो ग्राउंड नहीं पहुंचतीं तो उस दिन प्रैक्टिस नहीं होती थी. झूलन ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि

"लोग ट्रेन में ताना मारते थे कि आप क्रिकेट खेलती हो, आपके घरवाले पागल हो गए हैं, आप सुबह-सुबह क्रिकेट खेल रही हैं, आपको तो इस उम्र में पढ़ाई लिखाई करनी चाहिए." झूलन आगे बताती हैं, "उस समय हम भी छोटे थे, किसी को बोलने की हिम्मत नहीं होती थी. सुबह 5 बजे ट्रेन पकड़ना, ट्रेन पकड़कर चकदाह से सियालदाह जाना और फिर वहां से भी एक बस पकड़नी पड़ती थी."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

2002 में डेब्यू

खैर, ये सब चुनौतियां पार हुईं और झूलन का सिर्फ 5 साल में ही 2002 में भारतीय टीम में डेब्यू हो गया. झूलन ने खेलना शुरू किया और लोगों के चहेती बनती गईं. पाकिस्तानी तेज गेंदबाज कायनात इम्तियाज ने खुलासा किया कि गोस्वामी उनके क्रिकेटर बनने की प्रेरणा हैं. वो कहती हैं,

"2005 में मैंने पहली बार भारतीय टीम को देखा जब एशिया कप पाकिस्तान में आयोजित किया गया था. मैं टूर्नामेंट के दौरान बॉल पिकर थी...मैंने झूलन गोस्वामी को देखा. उस समय की सबसे तेज गेंदबाज. मैं इतना प्रभावित हुई कि मैंने क्रिकेट को करियर के रूप में चुना, खासकर तेज गेंदबाजी. यह मेरे लिए गर्व का क्षण हैं, क्योंकि आज 2017 में 12 साल बाद मैं उनसे और अधिक प्रेरित होकर एकदिवसीय विश्व कप खेल रही हूं."

रिकॉर्ड्स

ये तो थे उनसे जुड़े कुछ किस्से लेकिन झूलन को सबसे ज्यादा याद किया जाएगा तो क्रिकेट में उनके अनब्रेकेबल रिकॉर्ड्स के लिए, बस अब लिस्ट देखते जाइए,

  • झूलन गोस्वामी ने भारत के लिए 12 टेस्ट, 204 वनडे और 68 टी20 मैच खेले.

  • टेस्ट में 44, वनडे में 255 और टी20 में 56 विकेट लिए

  • 255 विकेट के साथ वनडे में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर

  • बोल्ड (95), विकेट कीपर के हाथ कैच (40) , LBW (56) में सबसे ज्यादा विकेट

  • 10,005 गेदों के साथ ODI में सबसे ज्यादा गेंदें फेंकने वाली महिला क्रिकेटर

  • महिला टेस्ट क्रिकेट में दूसरा सबसे लंबा करियर-19 साल 262 दिन

  • महिला ODI क्रिकेट में दूसरा सबसे लंबा करियर- 20 साल 261 दिन

  • 23 साल की उम्र में एक टेस्ट में 10 विकेट लेने वाली सबसे युवा महिला क्रिकेटर

  • वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा 40 विकेट लेने वाली महिला क्रिकेटर

  • 2007 में आईसीसी वुमंस क्रिकेटर ऑफ द ईयर बनीं

  • दो बार 2005 और 2017 में भारतीय टीम को वर्ल्ड कप फाइनल तक पहुंचाया. इसके अलावा भारतीय टीम कभी WC के फाइनल में नहीं पहुंच सकी.

  • झूलन 115-120 कि.मी. प्रति घंटा की गति से गेंदबाजी करती हैं, जो उन्हें महिला क्रिकेट में सबसे तेज गेंदबाजों में शामिल करवाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उन्होंने अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री हासिल किया. झूलन अपने आप में एक रिकॉर्ड हैं! उन्हें पछाड़ने के लिए शायद भारत को किसी और की नहीं बल्कि एक और झूलन की ही जरूरत पड़ेगी. क्विंट की तरफ से उन्हें इस शानदार करियर के लिए बधाई. आप हर हफ्ते देखते रहिए खेलपंती.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×