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मोहम्मद शमी 'बिरयानी' से नहीं अपने लड़ाकू नजरिए के चलते कामयाब हैं

मोहम्मद शमी ने सिर्फ 55 टेस्ट में 200 विकेटों का सफर तय कर लिया है.

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मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) ने टेस्ट क्रिकेट में जब 200 विकेट पूरे कर लिये तो सोशल मीडिया में पूर्व कोच रवि शास्त्री से लेकर कई साथी खिलाड़ी भी इसके लिए बिरयानी को क्रेडिट दे रहे हैं! कहा ये जा रहा है कि शमी को बिरयानी काफी पसंद है और जब भी उनसे अच्छा खेल दिखवाना है तो बढ़िया बिरयानी खिलाने का वादा कर दें, वो कमाल कर देते हैं. खैर, ये तो हल्के अंदाज में कही गयी बातें हैं. लेकिन, अगर गंभीर तौर पर देखा जाए तो शमी ने सिर्फ 55 टेस्ट में 200 विकेटों का सफर तय कर लिया है.

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भारतीय इतिहास में सिर्फ कपिल देव (50 टेस्ट) और जवागल श्रीनाथ (सिर्फ 1 टेस्ट कम यानि कि 54 मैच) जैसे गेंदबाजों ने ही शमी से तेज रफ्तार में ये कमाल बतौर तेज गेंदबाज दिखाया है. पिछले दो दशक में भारत के लिए दो सबसे कामयाब और अनुभवी गेंदबाज जहीर खान और ईशांत शर्मा को भी 200 के क्लब में शामिल होने के लिए 63-63 मैच खेलने पड़ गये थे.

लेकिन, शमी की कामयाबी सिर्फ अपने असाधारण हुनर से विकेट निकालने की नहीं रही है. निजी जिंदगी में हर तरह की परेशानी से उलझने के बावजूद कभी भी अपना संयम नहीं खोने वाले शमी ने जिस अंदाज में हर बार मैदान पर अपने खेल से वापसी की है और जवाब दिया है उसकी मिसाल किसी भी भारतीय तेज गेंदबाज नहीं दी है.

किसी और ने नहीं बल्कि, शमी की पत्नी ने ही कुछ साल पहले सावर्जनिक तौर पर उनके चरित्र को लेकर हर तरह की बातें मीडिया में साझा कीं. उसमें कितना सच था और कितना झूठ और कितना बढ़ा-चढ़ा कर बताया गया, ये बातें सिर्फ शमी और उनकी पत्नी ही जानते होंगे. लेकिन, संकट के उस दौर में जब इस लेखक ने शमी का इंटरव्यू किया था तो उनके रवैये से काफी हैरानी हुई.

इतने सवेंदनशील और विवादास्पद मुद्दे पर भी शमी किसी तरह से डिफेंसिव नहीं दिखे थे, मुश्किल से मुश्किल सवालों का जवाब उन्होंने उस संजीदगी से दिया जिसकी उम्मीद आप किसी सौरव गांगुली या राहुल द्रविड़ से करें जो ना सिर्फ अच्छे स्कूल-कॉलेज में पढ़े हैं बल्कि हिंदी-अंग्रेजी में अपनी बातों को शानदार तरीके से रख सकते हैं. शमी के पास कोई लंबी-चौड़ी डिग्री नहीं है, लेकिन क्रिकेट के मैदान पर उन्होंने बचपन से जो सबक सीखे हैं उसके आगे अच्छे से अच्छे कॉलेज की फैंसी डिग्री भी हल्की दिखे.

आखिर कौन ये सोच सकता था कि जिस गेंदबाज की प्रतिभा को उनके राज्य उत्तर-प्रदेश में कोई पहचान नहीं पाया, और जिसने पहचाना उसने उन्हें उनके धर्म और बैक-ग्राउंड को देखते हुए भेदभाव किया, फिर भी इस गेंदबाज को कामयाबी की राह से रोक नहीं पाया. अपने राज्य से जिसे मौका नहीं मिला तो उसने बंगाल का रुख किया और अब कमाल देखिये कि टेस्ट क्रिकेट में 10000 से कम गेंदें फेंककर किसी भारतीय खिलाड़ी ने 200 विकेट के क्लब में एंट्री नहीं की थी.

2015 के बाद से विदेशी जमीं पर शमी को छोड़कर किसी भी गेंदबाज ने 100 विकेट हासिल नहीं किये हैं. इसे वैसे महज इत्तेफाक ही कहा जा सकता है कि शमी ने अपना 100वां और 200वां विकेट साउथ अफ्रीका के उसी सेंचुरियन में लिया जहां मौजूदा सीरीज का पहला टेस्ट मैच खेला जा रहा है.

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शमी की राष्ट्रीयता को लेकर ट्रोल उनके पीछे पड़े

बहरहाल, वो दिन भी बहुत दूर नहीं गया है जब पाकिस्तान के खिलाफ टी20 वर्ल्ड कप के मैच में एक दिन के औसत खेल के बाद शमी की राष्ट्रीयता को लेकर ट्रोल उनके पीछे पड़ गये थे. शमी को मुसलमान होने के चलते पाकिस्तान जाने की सलाह दी गई.

भारतीय क्रिकेट में ऐसा नजारा बहुत कम देखने को मिलता है. एक दौर में इरफान पठान और जहीर खान जैसे दो शानदार स्विंग के सुल्तान भारतीय आक्रमण की जान हुआ करते थे और आज शमी के साथ दूसरे छोर पर मोहमम्द सिराज जैसा लाजवाब गेंदबाज भी दिखता है. इसलिए, जो क्रिकेट के सच्चे फैंस हैं, उन्हें हमेशा ये याद रखना चाहिए कि कोई भी खिलाड़ी जो भारत के लिए खेलता है, उसकी ना तो कोई जात होती है और ना कोई धर्म. उसका मैदान पर प्रदर्शन हमेशा भारतीय तिरंगे की शान ही बढ़ाता है. सेचुंरियन टेस्ट की पहली पारी में शमी के 5 विकेट ने एक बार फिर से भारत का ही परचम दुनिया में लहराया और इसके लिए वो उनकी जितनी तारीफ की जाए वो कम होगी.

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