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Sachin Tendulkar ने भी माना, बोरिंग हो रहा है ODI फॉर्मेट...ये हैं 5 वजह

कई बड़े क्रिकेटर्स इस बात पर जोर दे चुके हैं कि वनडे फॉर्मेट धीरे-धीरे अपनी ढलान की तरफ जा रहा है.

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'क्रिकेट के भगवान' यानी सचिन तेंदुलकर ने (Sachin Tendulkar) ODI क्रिकेट को बोरिंग बताया है. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2023 में बोलते हुए सचिन ने कहा कि एकदिवसीय क्रिकेट अब पहले की तरह रूचिकर नहीं रहा, नीरस हो गया है. उन्होंने इसे बचाने के लिए कुछ उपाय भी सुझाए.

सचिन ने जो उपाय बताए वे हम आपको आगे स्टोरी में बताएंगे लेकिन पहले चर्चा इस बात की कि क्या एकदिवसीय क्रिकेट में लोगों की रूचि कम हो रही है? क्योंकि ऐसा मानने वाले सचिन अकेले नहीं हैं. कई बड़े क्रिकेटर्स इस बात पर जोर दे चुके हैं कि वनडे फॉर्मेट धीरे-धीरे अपनी ढलान की तरफ जा रहा है.

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बेन स्टोक्स ने भी पिछले साल ODI क्रिकेट से संन्यास लेते हुए कहा कि अभी तीनों फॉर्मेट खेलना संभव नहीं है. इंग्लिश खिलाड़ी मोइन अली भी कह चुके हैं कि हर बीतते दिन के साथ 50 ओवर के खेल में लोगों की रूची कम हो रही है. इस तरह ये इतिहास बनकर रह जाएगा.

इसके अलावा भी कई एक्सपर्ट्स वनडे क्रकेट को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं. एक्सपर्ट्स की ये चिंता वाजिब भी लगती है क्योंकि एसी चर्चाएं रातोंरात शुरू नहीं हुईं, बल्कि पिछले कुछ सालों से होती आ रही हैं और इसके पीछे कुछ कारण तो साफ नजर आते हैं.

क्यों कम हो रहा है ODI का प्रभाव?

1. T20 क्रिकेट का विस्तार: दुनिया के हर बड़े क्रिकेट देश का अब अपना T20 लीग है. पहले की तुलना में अब T20 काफी ज्यादा होने लगे हैं और इनमें 3 घंटे में परिणाम भी मिल जाता है वो भी रोमांच के साथ. इसीलिए दर्शक अब 3 घंटे के बजाय 7 घंटे बैठकर मैच देखना पसंद नहीं करता. इसे एक 3 घंटे की फिल्म की तरह समझ सकते हैं.

T20 में भी अब 200 रन से ऊपर के स्कोर आम हो रहे हैं. पहले 250 से 280 रन के स्कोर ODI में अच्छा टोटल माना जाता था, लेकिन अब इसे थोड़ा ही कम 220-230 तो 20 ओवर के खेल में ही बन जाते हैं.

2. आक्रामकता की कमी:रोहित ODI में 264 रन मार दें तो सबको अच्छा लगता है लेकिन ये सच है कि रोहित हर ODI में इतने आक्रामक नहीं रह सकते. इसमें परिस्थितियों को अनुकूल खेलना पड़ाता है. कई बार बीच के ओवरों में रन गति एकदम थम जाती है, जबकि T20 में विकल्प नहीं है, आपको बड़े शॉट खेलने ही हैं, बल्ले से आक्रामक रहना ही है, और लोगों को यही पसंद भी है.

इसके अलावा फ्लैट पिच, स्पिनर्स का ज्यादा विकेट लेना, और स्विंग का धीरे-धीरे कम होना, ये सब कारण भी लोगों को बोर कर रहे हैं.

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3. पुराने खिलाड़ियों का रिटायर होना: भारत का ही उदाहरण लें तो धोनी, सचिन जैसे खिलाड़ियों के संन्यास के बाद क्रिकेट को कुछ लोगों ने बोरिंग कहना शुरू कर दिया. विराट-रोहित जैसे नामों ने उनकी जगह ली लेकिन टीम में ज्यादातर खिलाड़ी अब नए ही नजर आते हैं. स्थाई और पुराने खिलाड़ी अब कम बचे हैं. श्रीलंका, साउथ अफ्रीका से वेस्टइंडीज तक हर टीम का यही हाल है.

4. WTC ने टेस्ट को भी रोमांचक कर दिया: अभी जो चिंता वनडे को लेकर है ऐसी ही पहले टेस्ट को लेकर थी लेकिन वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप टेस्ट में रोमांच लाई है. अब बाइलेटरल सीरीज में भी सबका ध्यान इसी पर रहता है कि कौन सी टीम WTC के लिए क्वालिफाइ करेगी. हाल में भारत-ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड-श्रीलंका के बीच टेस्ट सीरीज में यही माहौल था.

5. बाकी खेलों में भी रूची बढ़ रही है: पहले स्पोर्ट्स में क्रिकेट का एकाधिकार माना जाता था, लेकिन अब पिछले कुछ समय से महिला क्रिकेट भी सुर्खियों में है. फुटबॉल की गांव-कस्बों में लोकप्रियता बढ़ रही है. अन्य खेलों में भी खिलाड़ी मेडल ओलंपिक, कॉमनवेल्थ में मेडल ला रहे हैं, उन्हें खूब मीडिया अटेंशन मिल रहा है ऐसे में 7 घंटे का ODI मैच देखना शायद कुछ लोगों को फिजूल लगे.

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सचिन ने क्या कारण बताया?

सचिन ने कहा कि ODI में जब से नियम बदले हैं तब से 2 गेंदों का प्रयोग होने लगा, इससे रिवर्स स्विंग खत्म हो गई. अब आप 40वां ओवर खेर रहे हैं लेकिन गेंद 20वें ओवर वाली ही है. दूसरा, नियमों में बदलाव से स्पिन्स को खासी दिक्कत हो रही है. 5 खिलाड़ियों के 30 यार्ड के घेरे के अंदर रहने से स्पिनर्स प्रयोग नहीं कर पा रहे. उन्होंने कहा,

"वर्तमान प्रारूप में गेंदबाजों के लिए सुरक्षा नहीं है. मौजूदा फॉर्मेट गेंदबाजों पर भारी है. रिंग में 5 फीलडर्स और 2 नई गेंद चुनौतीपूर्ण है."
सचिन तेंदुलकर

सचिन ने उपाय भी सुझाया

सचिन ने वनडे क्रिकेट को नीरसता से उबारने के लिए एक नया फॉर्मुला बताया. उन्होंने कहा कि 50-50 ओवर के बजाय इसे 25-25 ओवर के 4 भागों में बांट देना चाहिए. इससे ये काफी रोमांचक हो जाएगा. टेस्ट में आपके पास 20 विकेट होते हैं लेकिन यहां 10 ही विकेट होंगे तो ज्यादा रोमांचक होगा.

वर्ल्ड कप से हैं उम्मीदें

भारत में इसी साल वनडे वर्ल्ड कप होना है. इस विश्व कप को ही वनडे क्रिकेट में जान फूंकने के एक मौके के रूप में देख सकते हैं. भारत में होने के चलते हजारों लोग इसे स्टेडियम में देखेंगे और करोड़ों लोग टीवी या इंटरनेट पर देखेंगे. यानी यहां से वनडे की खोई हुई चमक लौट सकती है.

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