महान स्पिन गेंदबाज शेन वॉर्न (Shane Warne) का शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन (Shane warne Dies) हो गया. 52 साल के दिग्गज ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ने थाईलैंड के कोह समुई में आखिरी सांस ली. शेन वॉर्न को क्रिकेट की दुनिया का सबसे जादुई स्पिनर माना जाता था. उन्होंने अपने क्रिकेट करियर में कई रिकॉर्ड बनाए हैं और सबसे खास ये है कि पहला आईपीएल मैच भी शेन वॉर्न की ही कप्तानी में राजस्थान ने जीता था.
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) की शुरुआत साल 2008 में हुई थी और पहले सीजन के फाइनल मुकाबले में वॉर्न की टीम राजस्थान रॉयल्स ने चेन्नई सुपरकिंग्स (CSK) को हराया था. आईपीएल के इस मैच में क्रिकेट से संन्यास ले चुके शेन वॉर्न को दुनिया ने दोबारा क्रिकेट के मैदान पर देखा. शेन वॉर्न यहां सिर्फ प्लेयर की भूमिका में नहीं थे बल्कि कप्तान और कोच के रोल में भी थे.
शेन वॉर्न ने युवा टीम को बनाया चैंपियन
1 जून 2008 को आईपीएल का पहला फाइनल मुकाबला था. राजस्थान रॉयल्स और चेन्नई सुपर किंग्स की टीमें आमने सामने थीं. राजस्थान की टीम में ज्यादातर युवा खिलाड़ी थे. वहीं दूसरी टीमों में स्टार क्रिकेटर्स की भरमार थी, लेकिन शेन वॉर्न की जादुई कप्तानी में इस युवा टीम ने शानदार प्रदर्शन किया.
ये एकमात्र मौका था जब राजस्थान रॉयल्स टीम चैंपियन बनी थी. इसके बाद शेन वॉर्न ने टीम से किनारा कर लिया था. शेन वॉर्न की लाइफ पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री शेन में भी उन्होंने बताया है कि राजस्थान रॉयल्स के कोच और कैप्टन के रूप में उनका अनुभव कैसा रहा.
शेन वॉर्न ने पहला मैच हारने के बाद दी थी ये सलाह
आईपीएल के ओपनिंग मैच में जब राजस्थान रॉयल्स की टीम Delhi Daredevils से हार गई थी तो इसे याद करते हुए शेन वॉर्न ने कहा था, मैं ड्रेसिंग रूम में गया, वहां सभी खिलाड़ी रो रहे थे. मैंने उनसे कहा बॉयज, मैंने कुछ मिस कर दिया क्या? क्या कोई मर गया है? हम बस क्रिकेट का एक गेम हारे हैं. हमारे पास अभी खेलने के लिए 13 मैच और है. इस तरह शेन वॉर्न ने अपनी आईपीएल टीम का हौसला बढ़ाया था.
वॉर्न का मानना था कि राजस्थान रॉयल्स की टीम को दूसरी टीमों के मुकाबले कमजोर माना गया था, लेकिन शायद इसी बात ने Rajasthan Royals को चैंपियन बना दिया और सभी बड़े नाम वाले खिलाड़ियों के सामने ये टीम जीत गई. शेन वॉर्न ने 29 आईपीएल मुकाबले खेले, जिसमें उन्होंने 25.39 की एवरेज से 57 विकेट चटकाए थे.
वॉर्न ने अपने 15 साल के इंटरनेशनल करियर में 708 टेस्ट विकेट लिए. उनके नाम 'बॉल ऑफ द सेंचुरी' का अनोखा रिकॉर्ड भी दर्ज है. वह दुनिया में सर्वाधिक टेस्ट विकेट लेने के मामले में मुथैया मुरलीधरन (Muttiah Muralitharan) के बाद दूसरे नंबर पर थे.
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