रात 8:30 बजे आज करोड़ों नजरें टेलीविजन सेट पर जम चुकी होंगी. मॉस्को के लुझिंकी स्टेडियम में फुटबाली दुनिया में बादशाहत की जंग होने जा रही है. एक तरफ आलोचकों की चहेती, टूर्नामेंट की दूसरी सबसे युवा और बेहद आक्रामक फ्रांस की टीम तैयार है. वहीं दूसरी तरफ सारे अनुमानों को झूठा साबित करने वाली, बेहद जुझारू क्रोएशिया की टीम भी मुस्तैद है.
पूरे टूर्नामेंट में फ्रांस का अटैक और डिफेंस जोरदार रहा है. अटैक की कमान ग्रीजमैन और एमबाप्पे के हाथ में है. दोनों ने 3-3 गोल किए हैं. वार्ने और उमतीती ने भी क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में अच्छा खेल दिखाया था. वहीं मेनचेस्टर यूनाइटेड से खेलने वाले पॉल पोग्बा फ्रांस की मिडफील्डिंग की दमदार रीढ़ हैं, जिनका साथी मिडफील्डर कांटे से जबरदस्त तालमेल देखने को मिला है.
गोलकीपर ह्यूगो लोरिस फ्रांस के लिए मैच जिताऊ साबित हुए हैं. उरुग्वे और बेल्जियम, फ्रांस के खिलाफ गोल नहीं कर पाए. लियोरिस ने बेल्जियम से हुए मुकाबले में पांच से भी ज्यादा शॉट रोके. बता दें फ्रांसीसी टीम के 75 फीसदी से ज्यादा खिलाड़ी विदेशी मूल के हैं.
क्रोएशिया की तरफ से मिडफील्ड में मोड्रिक और इवान का प्रदर्शन बढ़िया रहा है. लेकिन इनका अटैक फ्रांस से काफी कमजोर नजर आता है. अगर आज इन्हें कामयाब होना है तो मोड्रिक को आगे आकर खेलने की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना होगा. क्रोएशिया कई अहम मुकाबले अंतिम समय (एक एकस्ट्रा टाइम और दो पेनल्टी शूटआउट में) में जीता है. अगर फ्रांस की युवा टीम के सामने क्रोएशिया एक्स्ट्रा टाइम में खेलती है, तो दम-खम की पूरी परीक्षा होगी.
यह क्रोएशिया का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन है. 20 साल पहले, 1998 के वर्ल्ड कप में टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी. यहां फ्रांस के ही हाथों क्रोएशिया 2-1 से हारी थी.
एक बार विनर और एक बार रनर रहा है फ्रांस
फ्रांस फिर 12 जुलाई 1998 का दिन दोहराना चाहेगा. यही वह दिन था जब जिनेदिन जिदान के करिश्मे ने रोनाल्डो, रिवाल्डो की मौजूदगी वाली ब्राजील को मात दी थी. उस दिन जिदान ने हाफ टाइम के पहले 2 गोल मारे थे. इमेनुएल पेटिट ने भी आखिरी मिनट में गोल किया था. इस तहर 3-0 से ब्राजील को हराकर फ्रांस पहली बार विश्वविजेता बना.
9 जुलाई 2006 को एक बार फिर फ्रांस फाइनल में पहुंचा. सामने इटली की टीम थी. जिनेदिन जिदान ने मैच के सातवें मिनट में ही पेनल्टी का फायदा उठाकर फ्रांस को बढ़त दिला दी. लेकिन एंड्रिया पिर्लो के कॉर्नर पास पर मार्को मैटराजी ने शानदार हेडर के जरिए गोल कर इटली को वापस मुकाबले में ला खड़ा किया. आखिर तक यही स्कोर रहा.
फिर जिदान-मैटराजी का कुख्यात कांड हुआ. जिदान ने मैटराजी को हेड बट से गिरा दिया. बतौर जिदान, मैटराजी ने उनकी मां को अपशब्द कहे. रैफरी एलिजोंडो ने फोर्थ ऑफिशियल से सलाह कर उन्हें रेड कार्ड इशू कर दिया. जिदान बाहर हो गए. फ्रांस एक्स्ट्रा टाइम में खेल नहीं पलट पाया, पेनल्टी शूटआउट हुआ और इटली 5-3 से विश्वविजेता बन गया.
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