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BCCI के पास लोढ़ा समिति की सिफारिशें मानने का आखिरी मौका

बीसीसीआई की एसजीएम में हो सकते हैं बड़े फैसले, इससे पहले पड़ चुकी है सुप्रीम कोर्ट की फटकार

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बीसीसीआई शुक्रवार को एसजीएम (स्पेशल जनरल मीटिंग) में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर अहम फैसले कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई के पहले बीसीसीआई के लिए यह आखिरी मौका है. अदालत 6 अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई करेगी.

इस बैठक में कुछ चयनकर्ताओं की चयन समिति से छुट्टी होना तय है. साथ ही बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के के भविष्य पर भी फैसला हो सकता है.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को न मानने के चलते फटकार लगाई थी. कोर्ट ने बीसीसीआई पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा था कि बोर्ड को कानून मानना होगा या फिर हम उससे कानून मनवाएंगे.

बीसीसीआई के कामकाज में अनियमितताओं को दुरुस्‍त करने के लिए बनाई गई लोढ़ा कमेटी की प्रमुख सिफारिशें इस तरह हैं.

  1. एक राज्य, एक वोट: पैनल के इस सुझाव के मुताबिक, एक राज्य का एक ही वोट मान्य होगा. अगर ये सुझाव लागू होता है, तो महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के पास केवल एक ही वोट होगा. हाल फिलहाल महाराष्ट्र में मुंबई और विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के पास भी अपने-अपने अलग वोट देने का अधिकार है.
  2. बीसीसीआई में कोई मंत्री, राजनीतिक व्यक्ति नहीं: बीसीसीआई से राजनीतिक हस्तक्षेप को खत्म करने कि लिए लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई से मंत्रियों की छुट्टी करने की सिफारिश की थी.
  3. अधिकतम तीन कार्यकाल: लोढ़ा पैनल के अनुसार, किसी भी पदाधिकारी को अधिकतम तीन कार्यकाल की अनुमति होनी चाहिए. ऐसा करने से बरसों से बीसीसीआई में अपनी पैठ बनाकर बैठे लोगों का नुकसान होगा.
  4. अधिकतम उम्र 70 साल: पैनल ने किसी भी पदाधिकारी के लिए अधिकतम उम्र सीमा 70 साल करने का सुझाव भी दिया था. अगर ऐसा होता है, तो बीसीसीआई के कई बड़े दिग्गजों को अपने पद से हाथ धोना होगा.
  5. आईपीएल और बीसीसीआई के लिए अलग-अलग गवर्निंग बॉडी के साथ-साथ सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने के लिए.

इसके अलावा लोढ़ा कमेटी ने सिफारिशें लागू करवाने के लिए अध्यक्ष और सचिव को इस्तीफा देकर उनकी जगह एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करने की सलाह भी दी थी.

लोढ़ा कमेटी ने समय-समय पर बीसीसीआई को कामकाज के संबंध में रिमाइंडर भेजे, लेकिन बीसीसीआई ने उनके कोई जवाब नहीं दिए थे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी आई थी.

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