पेरु VS डेनमार्क
फीफा विश्व कप में 36 साल बाद वापसी कर रहा पेरू शनिवार को ग्रुप सी के अपने पहले मुकाबले में यूरोपीय देश डेनमार्क से भिड़ेंगे. दोनों देशों के बीच फुटबॉल का यह पहला मुकाबला होगा. पेरू ने आखिरी बार 1982 में हुए विश्व कप में हिस्सा लिया था.
कोनमेबोल रीजन में किसी तरह जद्दोजहद करते हुए पांचवां स्थान हासिल करने के बाद पेरू ने विश्व कप क्वालिफायर के प्लेऑफ में न्यूजीलैंड को हराकर मुख्य टूर्नामेंट में जगह बनाई.
पेरू के लिए सबसे खुशी की बात उसके स्टार खिलाड़ी कप्तान पाउलो गुएरेरो का टीम में दोबारा शामिल होना है. डोप टेस्ट का आरोप झेल रहे गुएरेरो को बैन कर दिया गया था, लेकिन टूर्नामेंट शुरू होने से पहले उन्हें वापस टीम में शामिल कर लिया गया. वह राष्ट्रीय टीम के इतिहास में सबसे अधिक गोल करने वाले खिलाड़ी हैं.
टीम के अटैक की जिम्मेदारी फारवर्ड जेफरसन फारफान के कंधों पर होगी, जिन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए प्लेऑफ के मैच में गोल दागकर टीम को विश्व कप में प्रवेश हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा, एडिसन फ्लोरेस और क्रिस्टियन कुएवा भी टीम के लिए अहम खिलाड़ी हैं.
डेनमार्क से भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद
दूसरी ओर, साल 1998 में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करने वाली डेनमार्क इंग्लिश क्लब टोटेनहम हॉटस्पर से खेलने वाले स्टार मिडफील्डर क्रिस्टियन एरिक्सन के दम पर टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करना चाहेगी. कप्तान सिमोन काएर के नेतृत्व वाली डेनमार्क ने पिछले साल नवंबर में आयरलैंड को 5-1 से हराकर विश्व कप के लिए क्वालीफाई किया है.
क्रोएशिया VS नाइजीरिया
मिडफील्ड में मौजूद स्टार खिलाड़ियों के दम पर क्रोएशिया की टीम नाईजीरिया के खिलाफ अपने पहले मुकाबले में जीत दर्ज करना चाहेगा. साल 1998 में अपने पहले ही फीफा विश्व कप में सेमीफाइनल तक पहुंचकर तीसरे स्थान पर रहने वाली क्रोएशियाई टीम इस बार भी बड़ा उलटफेर करने का माद्दा रखती है.
क्रोएशिया की सबसे बड़ी ताकत मिडफील्ड और फॉरवर्ड लाइन में मौजूद स्टार खिलाड़ी हैं. टीम के कई खिलाड़ी स्पेनिश क्लब रियल मेड्रिड और एफसी बार्सिलोना जैसे विश्व के टॉप क्लबों से खेलते हैं और उनका अनुभव क्रोएशिया को नॉकआउट स्तर तक पहुंचा सकता है.
दूसरी ओर, पिछले सात में से छह बार विश्व कप में हिस्सा ले चुकी नाईजीरिया में भले ही बड़े नाम न हों, लेकिन वो क्रोएिशया के लिए खतरा साबित हो सकती है.
सुपर ईगल्स 2014 में अंतिम-16 तक पहुंचने में कामयाब रहे थे. तीन बार यह टीम अंतिम-16 में पहुंच पाई है, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. विश्व कप के लिए भी क्वालिफाई करने में इस टीम को ज्यादा परेशानी नहीं हुई. अल्जीरिया, जाम्बिया और कैमरून के सामने इस टीम ने बेहतरीन खेल दिखाया और 14 अंकों के साथ विश्व कप में जगह बनाई.
एलेक्स इवोबी, केलेची इहेनाचो और नदिदी मैरी की तिगड़ी पर काफी कुछ निर्भर करेगा. इन तीनों को अच्छी सोच और टीम को मानसिक तौर पर भी मजबूत रखना पड़ेगा.
डिफेंस टीम की कमजोरी है और ऐसे में मजबूत गोलकीपर का न होना टीम को और परेशानी में डाल सकता है. जॉन ओबी मिकेल टीम के स्टार खिलाड़ी हैं और कप्तान रहते हुए उनकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है. उनके पास चैम्पियंस लीग, यूरोपीय लीग और अफ्रीका कप ऑफ नेशंस का खिताब जीतने का अनुभव है. वह इस युवा टीम की रीढ़ की हड्डी कहे जा रहे हैं.
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