भारत ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी जीत ली है. 4 मैचों की टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को उन्हीं के घर में धूल चटाई है. इतिहास में पहली बार कोई भारतीय कप्तान पोडियम पर खड़ा होकर ट्रॉफी हाथ में ले रहा है. 1947-48 में भारतीय क्रिकेट टीम ने पहली बार कंगारुओं की धरती पर टेस्ट सीरीज खेली थी लेकिन जीत कभी नहीं पाए. या तो हमेशा करारी हार मिली या फिर मुकाबला ड्रॉ रहा. लेकिन इस बार इस युवा टीम ने कंगारु किला भेद दिया या यूं कहें तहस-नहस कर दिया.
वैसे तो इस ऐतिहासिक जीत का क्रेडिट पूरी टीम इंडिया को है लेकिन फिर भी हम आपको बताने जा रहे हैं उन पांच रणयोद्धाओं के नाम जिनका इस सीरीज में सबसे ज्यादा इम्पैक्ट रहा. इन पांच खिलाड़ियों ने इस सीरीज जीत में सबसे अहम भूमिका निभाई.
1. चेतेश्वर पुजारा
इस खिलाड़ी के बिना अब टीम इंडिया का टेस्ट क्रिकेट में कोई गुजारा नहीं है. इस पूरी सीरीज में पुजारा ने अपने बल्ले का कमाल दिखाया है. चेतेश्वर पुजारा को सीरीज में उनकी कमाल की बल्लेबाजी के लिए मैन ऑफ द सीरीज का खिताब मिला. पुजारा ने इस सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाए हैं. चारों मैचों में उनके बल्ले से रन निकले हैं. पुजारा ने 4 मैचों की 7 पारियों में 74.42 की औसत के साथ सबसे ज्यादा 521 रन बनाए. पुजारा ने सीरीज में 3 शतक और 1 अर्धशतक भी लगाया.
2. जसप्रीत बुमराह
जसप्रीत बुमराह ने गेंद से इस सीरीज में कमाल का प्रदर्शन किया है. उन्होंने सीरीज में नेथन लॉयन के साथ सबसे ज्यादा 21 विकेट लिए लेकिन औसत के हिसाब से बुमराह बहुत आगे रहे. बुमराह ने 4 मैचों में सिर्फ 17 की औसत से 21 विकेट अपने नाम किए. इस दौरान उनका बेस्ट 33/6 रहा. मेलबर्न टेस्ट जितवाने में उनका सबसे अहम योगदान रहा.
3. मोहम्मद शमी
तेज गेंदबाज शमी ने भी इस सीरीज में अपनी गेंदों से ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को खूब छकाया. एडिलेड टेस्ट से लेकर सिडनी तक हरएक अहम मौकों पर शमी ने भारत को विकेट दिलाए. सीरीज में उन्होंने कई बार ऑस्ट्रेलिया की खतरनाक होती साझेदारियों को तोड़ा और पुरानी गेंद से तो उनका प्रदर्शन गजब का रहा. शमी इस सीरीज में तीसरे सबसे कामयाब गेंदबाज रहे हैं. उन्होंने बुमराह को जमकर सपोर्ट किया और एक छोर पर दबाव बनाए रखा. शमी को इस सीरीज में 4 टेस्ट में 26.18 की औसत से 16 विकेट मिले. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 56 रन देकर 6 विकेट रहा.
4. मयंक अग्रवाल
सीरीज में टीम इंडिया की वापसी का श्रेय इस खिलाड़ी को जाता है. मयंक अग्रवाल को पृथ्वी शॉ के चोटिल होने के बाद आनन-फानन में ऑस्ट्रेलिया बुलाया गया और तीसरे टेस्ट में सीधा बॉक्सिंग-डे टेस्ट में ओपनिंग के लिए उतार दिया. इस खिलाड़ी ने अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की पहली पारी में ही लोहा मनवाया और 76 रनों की ठोस पारी खेली. सिर्फ इतना ही नहीं मेलबर्न टेस्ट की दूसरी पारी में वो भारत के सर्वश्रेष्ठ स्कोरर(42 रन) थे. एक तरह से भारत के ओपनिंग स्लॉट को लेकर चल रही दिक्कतों के बीच मयंक अग्रवाल एक स्टार की तरह उभरे. उन्होंने सीरीज में 2 टेस्ट में 65 की औसत से 195 रन बनाए और इस दौरान दो अर्धशतक भी जमाए. इसके अलावा अग्रवाल ने शॉर्ट लेग पर खड़े होकर कई शानदार कैच लपके.
5. विराट कोहली
टीम सीरीज जीते और कप्तान की बात न हो, ये तो हो ही नहीं सकता. विराट कोहली ने इस सीरीज में बल्लेबाजी में तो वो कमाल नहीं दिखाया लेकिन उनकी कप्तानी ने खूब वाहवाही लूटी. कोहली ने अहम मौकों पर कई बड़े फैसले किए. चाहे मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया को फॉलोऑन न खिलाकर लीड बड़ी करने का सफल फैसला हो या फिर सिडनी टेस्ट में कुलदीप को टीम में खिलाने का फैसला. कोहली इस सीरीज में हर कदम पर एक सफल लीडर नजर आए. उनकी आक्रामकता ने भी खूब वाहवाही लूटी. साथ ही इस सीरीज में किस्मत भी उनपर मेहरबान रही जो उन्होंने तीन टॉस जीते. बल्लेबाजी की बात करें तो कोहली ने 40.28 की औसत से 282 रन बनाए. इस दौरान एक शतक और 1 अर्धशतक भी लगाया.
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