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IPL 2018: एक हार की कीमत क्या होती है, इन टीमों को चल रहा है पता

टूर्नामेंट में 14-14 मैच खेलती हैं सारी टीमें, लेकिन अंत तक बने रहने या बाहर होने में सिर्फ एक हार काफी है

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आईपीएल की शुरुआत में सभी टीमों के फैंस एकाध हार से परेशान नहीं होते. टीमों के मालिक और खिलाड़ियों को लगता है कि 14 मैचों में से एकाध हार की भरपाई तो आगे हो ही जाएगी. पहले चार मैच तक तो हार का गम किसी के चेहरे पर दिखता तक नहीं. चूंकि आईपीएल में अलग-अलग टीमों के खिलाड़ी साथ खेलते हैं, इसलिए शुरुआती मैच तो आपस में तालमेल बैठाने में ही निकल जाते हैं.

ये अलग बात है कि जैसे-जैसे आईपीएल का आधा सीजन पूरा होता है और प्लेऑफ की लड़ाई शुरू होती है, वैसे-वैसे एक-एक हार-जीत से पॉइंट टेबल की तस्वीर बदलना शुरू हो जाती है. असली लड़ाई होती है प्लेऑफ की चौथी टीम के लिए. इस मामले में इस बार का आईपीएल भी अलग नहीं है. इस बार भी अब आखिरी 8 लीग मैच बचे हैं.

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प्लेऑफ की लड़ाई शुरू होने में सिर्फ एक हफ्ते का समय रह गया है. सनराइजर्स हैदराबाद और चेन्नई सुपरकिंग्स ने पॉइंट टेबल में पहली और दूसरी पायदान पर कब्जे के साथ प्लेऑफ का रास्ता तय कर लिया है.

सारी लड़ाई तीसरी और चौथी पायदान के लिए है, उसमें भी चौथे पायदान के लिए सबसे ज्यादा. ऐसे में टीमों को वो एक हार याद आती है, जिसकी वजह से उन्हें प्लेऑफ की रेस से बाहर होना पड़ा या उनके ऊपर बाहर होने का खतरा मंडरा रहा है. आइए आईपीएल के इस सीजन के कुछ मैच याद करते हैं, जिससे आपको अंदाजा लगेगा कि मामूली अंतर से मिली हार आज कुछ टीमों को कितनी भारी पड़ रही है.

'एक हार, सब बेकार' का कौन हो सकता है शिकार

पॉइंट टेबल की मौजूदा स्थिति ऐसी है कि कोलकाता नाइट राइडर्स और राजस्थान रॉयल्स चौथे और पांचवे नंबर की टीम हैं. दोनों ही टीमों ने 12 में से 6-6 मैच जीते हैं. दोनों ही टीमों के पास प्लेऑफ के लिए क्वालीफाई करने का मौका है, लेकिन दोनों ही टीमें आज जिस स्थिति में हैं, उसमें उन्हें एक-एक मैच की हार अब खल रही है. आपको ग्राफिक्स के जरिए वो दो मैच याद दिलाते हैं, जिसमें मिली हार इन दोनों टीमों में से किसी एक को या दोनों को भारी पड़ सकती है.

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टूर्नामेंट में 14-14 मैच खेलती हैं सारी टीमें, लेकिन अंत तक बने रहने या बाहर होने में सिर्फ एक हार काफी है

चेन्नई सुपरकिंग्स ने एक गेंद पहले वो मैच 5 विकेट से जीत लिया था. वो एक मैच अगर कोलकाता की झोली से न फिसला होता, तो आज कोलकाता की स्थिति पॉइंट टेबल में बेहतर होती. कुछ ऐसी ही गलती राजस्थान रॉयल्स की टीम से इस सीजन के 28वें मैच में हुई. सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ उस मैच में राजस्थान रॉयल्स के सामने जीत के लिए सिर्फ 152 रनों का लक्ष्य था, लेकिन राजस्थान की टीम उस मैच में जीत हासिल करने से चूक गई.

टूर्नामेंट में 14-14 मैच खेलती हैं सारी टीमें, लेकिन अंत तक बने रहने या बाहर होने में सिर्फ एक हार काफी है

एक हार से बिगड़ गया कुछ टीमों का पूरा सीजन

ऐसा नहीं है कि लड़ाई सिर्फ प्लेऑफ की है. कुछ टीमों के लिए एक हार ही पूरे सीजन का शाप बन गई. एक हार के बाद तमाम बड़े-बड़े खिलाड़ियों के बाद भी वो टीमें पटरी पर लौट ही नहीं पाई. दिल्ली और मुंबई की टीमें ऐसी ही ‘कैटेगरी’ में आती हैं. मुंबई की टीम तो मौजूदा चैंपियन है, लेकिन इस सीजन में वो पटरी से उतर गई. इस सीजन के पहले ही मैच में उन्हें चेन्नई के खिलाफ आखिरी गेंद पर हार का सामना करना पड़ा था.

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सीजन के पहले मैच में चोट के बाद भी केदार जाधव ने क्रीज पर खड़े-खड़े छक्का मारकर चेन्नई को जीत दिलाई थी. उस अप्रत्याशित हार के बाद मुंबई की टीम पूरे सीजन में अपने विश्वास में दिखी ही नहीं. यही हाल दिल्ली का भी है. दिल्ली की टीम को तो बीच सीजन में अपना कप्तान बदलना पड़ा. ये अलग बात है कि कप्तान बदलने के बाद भी टीम की किस्मत नहीं बदली.

राजस्थान के खिलाफ मैच में डकवर्थ-लुइस नियम से दिल्ली को 6 ओवर में जीत के लिए 71 रन चाहिए थे. लक्ष्य आसान था, लेकिन दिल्ली की टीम उसे हासिल नहीं कर पाई. इसी मैच में गौतम गंभीर को बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला था, जिसके बाद ये कानाफूसी शुरू हो गई थी कि दिल्ली की कमान गंभीर नहीं, बल्कि कोच पॉन्टिंग संभाल रहे हैं.

खेल अभी खत्म नहीं हुआ है. आखिरी हफ्ते में भी एक-एक हार का पॉइंट टेबल पर दिलचस्प असर पड़ेगा.

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