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शेन वॉटसन ही नहीं, ये खिलाड़ी भी हैं क्रिकेट के जांबाज ‘वॉरियर’

बुरी तरह चोटिल होने के बावजूद इन खिलाड़ियों ने मैदान नहीं छोड़ा

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IPL 2019 के फाइनल मैच में खून में सने घुटने के साथ शॉट लगाते शेन वॉटसन की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. डाइव लगाते वक्त उनका घुटना बुरी तरह घायल हुआ. लेकिन इसकी परवाह किए बगैर और बिना किसी को बताए वो मैदान पर डटे रहे. खून रिसता रहा, वॉटसन खेलते रहे. 59 गेंदों पर 80 रनों की पारी खेलने के बावजूद वो भले ही अपनी टीम को जीता न सके, लेकिन दुनियाभर में क्रिकेट प्रेमियों का दिल हमेशा के लिए जीत लिया.

क्रिकेट में इससे पहले भी ऐसे कई वाकये हुए हैं, जब बुरी तरह चोटिल होने के बावजूद इन खिलाड़ियों ने मैदान नहीं छोड़ा और अपनी टीम को जिताने के लिए जी-जान लगाकर खेलते रहे. किसी का सिर फूटा, तो किसी की हड्डी टूटी, लेकिन ये खुद की फिक्र किए बगैर खेलते रहे. ये वो खिलाड़ी हैं, जिन्होंने 'स्पोर्ट्समैन स्पिरिट' के असल मायने बताए.

तो आइए, ऐसे ही कुछ 'जांबाज' क्रिकेटर्स पर एक नजर डालते हैं, जिन्होंने अपनी टीम के लिए ऐसा जबर्दस्त जज्बा दिखाया, जो क्रिकेट के इतिहास में मिसाल के तौर पर दर्ज हो गया.

बुरी तरह चोटिल होने के बावजूद इन खिलाड़ियों ने मैदान नहीं छोड़ा
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बर्ट सटक्लिफ (न्यूजीलैंड) -1953

जोहान्सबर्ग में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेले जा रहे टेस्ट में एक घातक बाउंसर का शिकार होकर बर्ट सटक्लिफ बेसुध होकर गिर पड़े. उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया. उनका कान फट चुका था, और कान के पिछले हिस्से में भारी सूजन था. डॉक्टर ने मरहम-पट्टी कर उन्हें आराम करने की सलाह दी. लेकिन सटक्लिफ वापस मैदान में पहुंचे और अपनी पारी पूरी की. उन्होंने इस पारी में 80 रन बनाए. हालांकि साउथ अफ्रीका ये मैच जीत गया, लेकिन सटक्लिफ के साहस ने उन्हें उस मकाम पर पहुंचा दिया, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा.

बुरी तरह चोटिल होने के बावजूद इन खिलाड़ियों ने मैदान नहीं छोड़ा

कॉलिन काउड्रे (इंग्लैंड) - 1963

लॉर्ड्स में वेस्ट इंडीज के खिलाफ चल रहे टेस्ट के चौथे दिन वेस हॉल की एक तेज गेंद सीधे काउड्रे के हाथ में आकर लगी, और एक तेज आवाज आई. आसपास मौजूद खिलाड़ियों को पता चल गया कि अनहोनी हो चुकी है. काउड्रे के बायें हाथ की हड्डी टूट चुकी थी, और अब उनका खेलना नामुमकिन था.

चोटिल काउड्रे पवेलियन लौट गए. लेकिन टीम के दूसरे बल्लेबाजों ने पारी में मजबूत पकड़ बनाते हुए जीत की तरफ बढ़ना जारी रखा. लेकिन बाद में वेस्टइंडीज के बॉलर्स ने खेल में वापसी की और एक के बाद एक कई विकेट चटका दिए.

आखिरी ओवर में 8 रनों की दरकार थी, और 2 विकेट बचे थे. जब 3 गेंदों में 6 रन चाहिये था, तब डेरेक शैकल्टन रन आउट हो गए. अब 2 गेंदों पर 6 रन चाहिये था, और हाथ में सिर्फ एक विकेट. ऐसे में हाथ में प्लास्टर चढ़ाए काउड्रे एक बार फिर क्रीज पर पहुंचते हैं. ऐसे हालात में भी डेविड ऐलन के साथ मिलकर काउड्रे मैच को ऐतिहासिक ड्रॉ कराने में कामयाब हुए.

बुरी तरह चोटिल होने के बावजूद इन खिलाड़ियों ने मैदान नहीं छोड़ा
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रिक मैककॉस्कर (ऑस्ट्रेलिया) -1977

इंग्लैंड के खिलाफ मेलबर्न में खेले गए टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज रिक मैककॉस्कर बॉब विलिस की बाउंसर का शिकार बने और उनका जबड़ा टूट गया. उन्हें रिटायर्ड हर्ट होकर पवेलियन लौटना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया 138 रनों पर ऑल आउट हो गई, लेकिन जवाब में ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने इंग्लैंड को महज 95 रन पर समेट दिया.

अपनी दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया 8 विकेट पर 353 के मजबूत स्कोर पर थी, जब डेनिस लिली  आउट हो गए.

इसके बाद मैककॉस्कर बैंडेज बांधे अपने टूटे जबड़े के साथ मैदान में उतरे और 68 गेंदों पर 25 रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया ने अंत में 9 विकेट पर 419 रन के साथ पारी घोषित कर दी, और इंग्लैंड को जीत के लिए 463 रनों का लक्ष्य दिया. डेरेक रैंडल के 174 रन की पारी के बावजूद इंग्लैंड की टीम 45 रन से मैच हार गई. इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने एक यादगार टेस्ट मैच अपने नाम किया.

बुरी तरह चोटिल होने के बावजूद इन खिलाड़ियों ने मैदान नहीं छोड़ा
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मैल्कम मार्शल (वेस्टइंडीज) - 1984

मैल्कम मार्शल 80 के दशक में उन पेस बॉलर्स में शुमार थे, जिनके सामने दुनियाभर के बल्लेबाज खौफ खाते थे. लेकिन 1984 में हेडिंगली टेस्ट के दौरान उन्होंने जिस बहादुरी से बल्लेबाजी की मिसाल दी, वो इतिहास में दर्ज हो गया. टेस्ट के पहले ही दिन मार्शल के बाएं हाथ का अंगूठा दो टुकड़ों में टूट गया, लेकिन उनका हौसला नहीं टूटा.

क्रीज पर लैरी गोम्स 96 रन पर नाबाद थे और अपने शतक के करीब पहुंच रहे थे . ऐसे में नौवें विकेट के रूप में जोएल गार्नर के आउट होने के बाद मार्शल बल्लेबाजी करने उतरे. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में शायद ही ऐसा मौका कभी आया हो, जब किसी बल्लेबाज ने एक हाथ से बैट पकड़कर बल्लेबाजी की हो. लेकिन मार्शल ने बखूबी ये कमाल करके दिखाया.

गोम्स की सेंचुरी पूरी करवाने के लिए मार्शल दूसरे छोर पर मजबूती से डटे रहे और एक हाथ से बल्लेबाजी करते रहे. हालांकि आखिरी विकेट उनका ही गिरा, लेकिन तब तक गोम्स शतक लगा चुके थे. इंग्लैंड ने पहली पारी में 270 रन बनाए थे और वेस्टइंडीज ने अपनी पारी में बढ़त बनाने में कामयाबी हासिल की थी.

मार्शल की जांबाजी की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती. इसके बाद फील्डिंग करने उतरी वेस्टइंडीज की टीम में मार्शल ने टूटे अंगूठे के साथ न सिर्फ शानदार बॉलिंग की, बल्कि 53 रन देकर इंग्लैंड के 7 विकेट भी चटकाए. इंग्लैंड 159 रन पर सिमट गई, और अगली पारी में वेस्टइंडीज ने 8 मैच पर जीत हासिल की.

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अनिल कुंबले (भारत) - 2002

ये लिस्ट तब तक अधूरी कही जाएगी, जब तक इसमें अनिल कुंबले का नाम शामिल न हो. वेस्टइंडीज के खिलाफ एंटीगुआ टेस्ट को अनिल कुंबले के जज्बे की वजह से हमेशा याद किया जाएगा. कुंबले को मर्विन डिलियन की एक तेज बाउंसर ने बुरी तरह घायल कर दिया. गेंद सीधे उनके जबड़े में लगी और मुंह से खून बहने लगा. फर्स्ट एड मिलने के बाद कुंबले 20 मिनट तक बल्लेबाजी करते रहे और फिर आउट हो गए.

कुंबले के जबड़े में फ्रैक्चर हो गया था. अगले दिन वे चेहरे पर पट्टी बांधकर मैदान में उतरे और शानदार गेंदबाजी करते हुए ब्रायन लारा का विकेट लिया. इसी हालत में उन्होंने 14 ओवर फेंके.

टेस्ट मैच ड्रॉ रहा, लेकिन बैंडेज वाले चेहरे के साथ गेंदबाजी करते अनिल कुंबले की तस्वीर अभी भी भारतीय क्रिकेट फैंस के जेहन में ताजा है.

बुरी तरह चोटिल होने के बावजूद इन खिलाड़ियों ने मैदान नहीं छोड़ा
घायल अनिल कुबले ने खेला मैच
(फोटो: PTI)
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गैरी कर्स्टन (साउथ अफ्रीका) - 2003

पाकिस्तान के खिलाफ लाहौर टेस्ट मैच में शोएब अख्तर ने गैरी कर्स्टन को एक बाउंसर मारा. बॉल नाक और आंख के निचले हिस्से में लगी और वे बुरी तरह घायल हो गए. 53 रन पर बल्लेबाजी कर रहे कर्स्टन को तुरंत मैदान छोड़ना पड़ा और उन्हें इलाज के लिए ले जाया गया. एक्स-रे में खुलासा हुआ कि उनकी नाक की हड्डी टूटी हुई थी.


दूसरी पारी में 149/4 के स्कोर पर कर्स्टन बल्लेबाजी के लिए उतरे. उनके चेहरे पर जख्मों के निशान साफ दिख रहे थे. उन्होंने सातवें विकेट पर आउट होने से पहले शानदार 46 रन बनाए.
हालांकि पाकिस्तान ने आखिरकार आठ विकेट से ये मैच जीत लिया, लेकिन दूसरी पारी में कर्स्टन की साहस भरी बल्लेबाजी मैच के सबसे अहम पहलुओं में से एक रही.

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ग्रीम स्मिथ (साउथ अफ्रीका) - 2009

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे सफल कप्तानों में से एक, दक्षिण अफ्रीका के ग्रीम स्मिथ के नाम भी ऐसी ही एक मिसाल है. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी टेस्ट मैच में मिशेल जॉनसन की एक पेस डिलीवरी स्मिथ के बायें हाथ में लगी और हाथ की हड्डी टूट गई. उस वक्त वे 30 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे. उन्हें तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ा. इसके बाद टीम 327 रन पर ऑल आउट हो गई.

अपनी दूसरी पारी में 257 रन बनाकर ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण अफ्रीका को जीत के लिए 376 रनों का लक्ष्य दिया. जीत के लिए साउथ अफ्रीका को 100 से ज्यादा रनों की जरूरत थी, पर 9 विकेट गिर चुके थे. जब सभी को लगा कि मैच खत्म हो गया है, ऐसे वक्त स्मिथ 10वें नंबर पर बल्लेबाजी करने के लिए उतरे.

बैंडेज बांधकर और पेनकिलर इंजेक्शन लेकर स्मिथ ने 17 गेंदों पर बल्लेबाजी की. मखाया एंटनी ने दूसरे छोर पर धैर्य के साथ उनके साथ बल्लेबाजी की. आखिर में मैच के 10 बॉल बाकी रहते जॉनसन ने स्मिथ को आउट किया, और ऑस्ट्रेलिया 103 रन से जीत गई.

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