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PV Sindhu ने ऐसे ही नहीं जीता ओलंपिक मेडल, जी तोड़ मेहनत से हासिल किया ये मुकाम

शुरुआत में 56 किलोमीटर दूर पुलेला गोपीचंद की एकेडमी में ट्रेनिंग लेने जाया करती थीं सिंधु

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भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु (PV Sindhu) टोक्यो ओलंपिक में भले ही स्वर्ण पदक (Gold Medal) की रेस से बाहर हो गई हों, लेकिन उन्होंने अपने बेहतरीन खेल की बदौलत भारत को एक और पदक जिता दिया है.

उन्होंने चीन की ही बिंग जियाओ को हराकर कांस्य पदक (Bronze Medal) अपने नाम कर लिया है. सिंधु टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए पदक लाने वाली दूसरी खिलाड़ी बन गई हैं. इससे पहले मीराबाई चानू ने भारत को पदक दिलाया था. हमारा एक और मेडल लवलीना से तय है.

पीवी सिंधु ने 5 साल पहले भी रियो ओलंपिक में भारत को रजत पदक (Silver Medal) दिलाया था.

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56 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग लेने जाती थीं सिंधु

5 जुलाई 1995 में हैदराबाद के एक सामान्य परिवार में सिंधु का जन्म हुआ. पीवी सिंधु का परिवार शुरुआत से ही खेल से जुड़ा रहा है. उनके माता-पिता दोनों ही वॉलीबॉल के राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं. पीवी सिंधु के पिता को अर्जुन अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.

शुरुआत में पीवी सिंधु डॉक्टर बनने का सपना देखा करती थीं, लेकिन वक्त गुजरने के साथ उनकी भी खेल में रुचि बढ़ती गई. आगे जाकर पुलेला गोपीचंद जैसे महान खिलाड़ी से उन्होंने ट्रेनिंग हासिल की. सिंधु को खेल का नशा आगे ऐसा चढ़ा कि वे अपने घर से 56 किलोमीटर दूर पुलेला गोपीचंद के बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग लेने जाया करती थीं. साथ में उनकी पढ़ाई भी चलती रही.
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बैडमिंटन खेलते खेलते पीवी सिंधु ने अंडर 10 और अंडर 14 उम्र के खेलों में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से कई मेडल और टाइटल जीते. और 2009 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में अपना पहला कदम रखा.

इसके बाद से ही लगातार सिंधु का प्रदर्शन अच्छा जारी रहा. 2012 में चीन की ओलंपिक मेडलिस्ट ली ज्याओरी को हराकर उन्होंने खेल में अपना दबदबा बनाया. 2013 में 17 साल की उम्र में उन्होंने एशियन जूनियर चैंपियनशिप जीती. और इसी उम्र में मलेशियन ओपन टाइटल भी जीत लिया. 2014 में BDF की कई सीरीज में उन्होंने जीत हासिल की थी.

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2016 में रियो ओलंपिक्स में पीवी सिंधु ने जो किया, उसके बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. उन्होंने रियो ओलंपिक्स में भारत को सिल्वर मेडल जिताया. अब टोक्यो ओलंपिक्स में एक और पदक जिता कर उन्होंने भारत का नाम पूरे देश में ऊंचा कर दिया है.

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