ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुप्रीति कच्छप ने जीता गोल्ड मेडल, पिता की नक्सलियों ने की थी हत्या

2018 में सुप्रीति कच्छप को भोपाल में SAI मिडिल एंड लॉन्ग डिस्टेंस एकेडमी के लिए चुना गया था.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

9 जून की सुबह झारखंड की 19 साल की सुप्रीति कच्छप (Supriti Kachhap) ने 9 मिनट और 46.14 सेकंड में एक नया एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया राष्ट्रीय युवा रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल हासिल किया. पंचकूला में खेलो इंडिया यूथ गेम्स (Khelo India Youth Game) में लड़कियों की 3000 मीटर दौड़ के दौरान बालमती देवी अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख पाईं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुप्रीति कच्छप उस बहुत छोटी थी, लेकिन उनकी मां, बालमती देवी को याद है कि 2003 में दिसंबर की वह धुंधली रात थी, जब वह अपने पांच बच्चों के साथ अपने पति रामसेवक उरांव का इंतजार कर रही थीं. बालमती के पति गुमला जिले के बुरहू गांव में से घर लौटने वाले थे. गांव के डॉक्टर उरांव चार अन्य साथियों के साथ पास के गांव में एक मरीज के घर गए थे.

अगले दिन उरांव और इनके साथियों की लाश मिली, उनके शरीर एक पेड़ से बंधे थे और एक संदिग्ध नक्सली हमले में उन पर गोलियां चलाई गई थीं.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीति कच्छप की मां बातमती देवा ने कहा कि सुप्रीति तो चल भी नहीं सकती थी, जब इसके पिताजी को नक्सलियों ने मार दिया था. मैंने पिछले कई सालों में अपने बच्चों का सपोर्ट करने के लिए संघर्ष किया है. वह दौड़ना पसंद करती है और हमेशा मुझसे कहती है कि अगर उसके पिता आज जीवित होते, तो उन्हें उसकी गर्व होता. हम जानते हैं कि वो उसे देख रहे हैं...जब वह घर लौटेगी, तो हम उसका मेडल बुरहू गांव में अपने घर पर रखेंगे.

पति की मृत्यु के बाद, बालमती को गुमला के घाघरा ब्लॉक में प्रखंड विकास अधिकारी (BDO) कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नौकरी मिल गई और परिवार वहां के सरकारी क्वार्टर में रहने लगा.

सुप्रीति का एडमिशन पहले नुक्रुडिप्पा चैनपुर स्कूल में हुआ था, जहां वह मिट्टी के छोटे से ट्रैक पर दौड़ती थी. बाद में उसे एक स्कॉलरशिप पर गुमला के सेंट पैट्रिक स्कूल में एडमिट कराया गया. स्कूल की एक प्रतियोगिता के दौरान सुप्रीति को कोच प्रभात रंजन तिवारी ने देखा, जो उसे 2015 में गुमला में झारखंड स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर में ले गए.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक प्रभात रंजन तिवारी ने कहा कि

हम आदिवासी प्रतिभाओं को खोजने के लिए अक्सर स्कूल की प्रतियोगिताओं में जाते रहते हैं क्योंकि वे सहनशक्ति के मामले में बहुत अच्छे हैं. वह पहले 400 मीटर और 800 मीटर में भाग लिया करती थी लेकिन जब हमने लंबी दूरी की दौड़ के लिए उसका टेस्ट लिया, तो उसकी हृदय गति नहीं बढ़ी.

उन्होंने आगे बताया कि शुरुआत में मैंने उसे 3,000 मीटर की प्रतियोगिताओं में भेजने से पहले 1500 मीटर की दौड़ लगवाई क्योंकि हम चाहते थे कि उसका शरीर मानसिक और शारीरिक रूप से लंबी दूरी के लिए तैयार हो जाए.

साल 2016 में सुप्रीति कच्छप, विजयवाड़ा में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लड़कियों की 1500 मीटर दौड़ के फाइनल में पहुंची, जिसके बाद उन्होंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर 3,000 मीटर इवेंट्स में ग्रेजुएशन किया.

2018 में, उन्हें भोपाल में SAI मिडिल एंड लॉन्ग डिस्टेंस एकेडमी के लिए चुना गया, जहां उन्होंने पूर्व राष्ट्रीय रजत पदक विजेता प्रतिभा टोप्पो से प्रशिक्षण प्राप्त किया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसके बाद उन्होंने 2019 में अपना पहला राष्ट्रीय पदक जीता, जब उन्होंने मथुरा में राष्ट्रीय क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप में 2,000 मीटर रजत जीता था. उसी साल उन्होंने गुंटूर में राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 3,000 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता, जहां उन्होंने 9 मिनट और 53.85 सेकंड का वक्त लिया था.

पिछले साल सुप्रीति कच्छप ने गुवाहाटी में राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 10 मिनट और 5 सेकंड के समय के साथ 3,000 मीटर में रजत और भोपाल में जूनियर फेडरेशन कप में 3,000 मीटर और 5,000 मीटर स्पर्धाओं में कांस्य पदक जीता था.

प्रतिभा टोप्पो ने कहा कि

हम केवल लंबी दूरी के इवेंट्स पर ध्यान केंद्रित करते हैं, हम सुप्रीति के धीरज से प्रभावित थे. शुरुआत में उसमें थोड़ी स्पीड की कमी थी, इसलिए हमें स्प्रिंट, मसल मेमोरी पर काम करना था और हर हफ्ते उसका रनिंग माइलेज बढ़ाना था. उसे हर हफ्ते 80 किलोमीटर से बढ़ाकर 110-120 किलोमीटर प्रति सप्ताह चलने को कहा.

उन्होंने आगे कहा कि सीनियर लेवल मेडल्स जीतने के लिए उसे अपने शरीर के मुताबिक अधिक वजन बढ़ाने की जरूरत है और 2026 एशियाई खेलों के लिए एक बड़ी उम्मीद हो सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

खेलो इंडिया यूथ गेम्स से पहले, सुप्रीति ने कोझीकोड में फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 5,000 मीटर दौड़ में भाग लिया, जहां उन्होंने अंडर -20 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए 16.40 मिनट के क्वालीफाइंग मार्क के खिलाफ 16 मिनट और 33 सेकंड का समय निकाला.

अपने रोल मॉडल के बारे में पूछे जाने पर, सुप्रीति कच्छप ने राष्ट्रीय 3000 मीटर स्टीपलचेज रिकॉर्ड धारक अविनाश सेबल का नाम लिया.

सुप्रीति ने कहा कि वह भी एक गरीब परिवार से आते हैं और मेरे लिए अविनाश एक आदर्श रहे हैं. जब भी मुझे प्रेरणा की जरूरत होती है, मैं उनके वीडियोज देखती हूं...उम्मीद है कि मैं एक दिन भारत के लिए मेडल जीत सकती हूं. मुझे अपने पिता की याद नहीं है, लेकिन मैं यह पदक उन्हें समर्पित करना चाहूंगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×