केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 1 सितंबर को इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को लेकर कहा कि बैटरी सुरक्षा के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रावधान 1 अक्टूबर, 2022 से लागू किए जाएंगे. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईवी के मैन्युफैक्चरर इन नियमों को पूरा करने में फिलहाल सक्षम नहीं है.
दरअसल पिछले कुछ दिनों में इलेक्ट्रिक व्हीकल जलने की काफी खबरें आईं, इसे संज्ञान में लेते हुए मंत्रालय ने एक समिति गठित की जिसकी अध्यक्षता हैदराबाद के एआरसीआई के निदेशक टाटा नरसिंह राव ने की.
एक्सपर्ट कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने 29 अगस्त 2022 को इलेक्ट्रिक मोटर वाहनों की जरूरतों में संशोधन जारी किया.
संशोधनों में बैटरी, बैटरी पैक’ का डिजाइन, ऑन-बोर्ड चार्जर, इंटरनल सेल शॉर्ट सर्किट से आग लगने के कारण, थर्मल प्रोपेगेशन से संबंधित अतिरिक्त सुरक्षा नियम सहित कई नियम जोड़े गए.
मंत्रालय ने इस सेक्टर से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स से तीस दिनों के अंदर टिप्पणियां और सुझाव मांगे हैं.
ईवी में आए दिन आग लगने की घटनाओं के बाद सड़क मंत्रालय ने दो समितियों का गठन किया- एक जिसने इसपर काम किया कि कैसे सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है और दूसरी आग के कारणों की जांच करने के लिए गठित की गई थी.
जांच में पाया गया कि कई बैटरियों में सेल लगे होते हैं, वे असुरक्षित तरीके से जुड़े थे और उनमें से कई में ओवरहीटिंग की स्थिति होने पर हीट के बाहर निकलने का रास्ता नहीं था यानी उनमें वेंटिंग मैकेनिज्म नहीं था.
संसद में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इलेक्ट्रिक व्हीकल में आग लगने की घटनाओं के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग में कमी नहीं आई है. हेवी इंडस्ट्री के मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने लोकसभा को बताया कि ज्यादातर घटनाएं मार्च और अप्रैल में तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में हुईं. उन्होंने कहा कि इसके बाद ओकिनावा ने अपनी गाड़ियों की 3,215 यूनिट, प्योर ईवी ने 2,000 यूनिट और ओला इलेक्ट्रिक ने 1,441 यूनिट वापस मंगाई थीं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)