'एयोलस' नाम का यूरोपीय सैटेलाइट शुक्रवार (28 जुलाई) को सफलतापूर्वक क्रैश हो गया. आपको यह सुनकर आश्चर्य हो रहा होगा कि क्या किसी सैटेलाइट को जानबूझ कर क्रैश कराया जाता है? आपने सही सुना. द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, यह सैटेलाइट अटलांटिक महासागर में नष्ट हुआ है. इसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) ने पांच साल पहले लॉन्च किया था. अब काम की अवधि खत्म हो जाने के बाद इस सैटेलाइट को जानबूझकर पृथ्वी पर गिराया गया है.
पांच साल पहले बनाया गया था 'एयोलस'
एयोलस (1360 किलो) को ब्रिटिश एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ने बनाया था और 2018 में लॉन्च होने के बाद से पांच वर्षों तक 200 मील (320 किमी) की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा था. सैटेलाइट को मौसम के पूर्वानुमान में सुधार के लिए वातावरण में हवा को मापने के लिए लॉन्च किया गया था.
एयोलस सैटेलाइट ने 2018 से यूरोप भर के मौसम केंद्रों को जरूरी डेटा प्रदान किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल के मिशन के बाद, एयोलस का ईंधन खत्म हो गया था और बेकार भी हो चुका था. इसी वजहों से इसको पृथ्वी पर वापस लाया गया.
कैसे कराया गया क्रैश?
वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट के बचे हुए ईंधन का इस्तेमाल धरती की कक्षा में सैटेलाइट को फिर से प्रवेश कराने के लिए किया. इसके बाद बचा हुआ काम धरती के गुरुत्वाकर्षण ने कर दिया. हालांकि, इस बात का ध्यान रखा गया कि यह सैटेलाइट ऐसी जगह पर क्रैश हो, जहां कोई जनहानि न हो.
जानकारी के अनुसार, सैटेलाइट जब अपना मिशन पूरा कर लेते हैं, तो वह अनियंत्रित होकर पृथ्वी पर गिर जाते हैं. ज्यादातर मामलों में इनके क्रैश समुद्री इलाकों में होते हैं. ईएसए ने कहा, "एक्सप्लोरर को स्वाभाविक रूप से हमारे वायुमंडल में लौटने के लिए डिजाइन किया गया था."
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, "महीनों की विस्तृत योजना और विश्लेषण के बाद, हमने औद्योगिक साझेदारों के साथ मिलकर एयोलस के क्रैश को जितना संभव हो सके नियंत्रित करने के लिए एक जटिल और पहले कभी न किए गए युद्धाभ्यास का सेट तैयार किया था."
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