इस साल का तीसरा और आखिरी सूर्यग्रहण 11 अगस्त को पड़ रहा है. ये सूर्यग्रहण करीब 3 घंटे 30 मिनट तक रहेगा.
भारतीय समय के मुताबिक, ग्रहण शनिवार दोपहर 01:32 बजे शुरू होगा. दोपहर 03:16 पर यह अपने चरम पर होगा और शाम 5:02 बजे खत्म हो जाएगा.
आंशिक सूर्यग्रहण उत्तरी गोलार्ध के कई हिस्सों से दिखाई देगा. लेकिन ये भारत में नजर नहीं आएगा. इस वजह से भारत पर इसका कोई खास असर भी नहीं पड़ेगा.
बता दें, इस साल सबसे पहले 15 फरवरी को सूर्यग्रहण पड़ा था. इसके बाद 13 जुलाई को दूसरा और अब 11 अगस्त को तीसरा सूर्यग्रहण पड़ने जा रहा है. ये तीनों ही आंशिक सूर्यग्रहण हैं और भारत के किसी भाग में नजर नहीं आए.
सूर्यग्रहण क्या होता है?
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने के साथ-साथ सौरमंडल का भी चक्कर लगाती है. वहीं पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा भी पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है. इसी प्रक्रिया में जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो सूर्यग्रहण होता है. सूर्यग्रहण में सूर्य का थोड़ा हिस्सा या पूरा हिस्सा ढक जाता है. इसी घटना को सूर्यग्रहण कहते हैं
भारत और सूर्यग्रहण
भारत में सूर्यग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. सूर्य को भगवान मानने वाले इस देश में सूर्यग्रहण के दिन पूजा, दान-दक्षिणा और स्नान की मान्यताएं हैं.
सूर्यग्रहण को धर्म-कर्म से जोड़कर देखने वाले लोग राशियों पर इसके ‘असर’ को बेहद गंभीरता से लेते हैं. साथ ही कुछ लोग इस घटना का प्रभाव जानने के लिए ज्योतिषियों की भी मदद लेते हैं.
सूर्यग्रहण को ट्रैक करने का इतिहास
नासा के मुताबिक, किसी भी तरह के ग्रहण का ऑब्जर्वेशन करीब 5 हजार साल पहले शुरू हुआ था. सभी सभ्यताओं के अपने तौर तरीके थे. चीन में कहा जाता था कि कोई आकाशीय ड्रैगन सूरज को खा जाता है. चंद्रग्रहण में चांद को निगल जाता है. इसी आधार पर राजा के शासन की भविष्यवाणी भी की जाती थी.
विज्ञान की तरफ बढ़ता इंसान
ग्रहणों के बारे में फिजिकल रिकॉर्ड रखने की शुरुआत बेबिलोन से मिलती है. यहां 518 से 465 BC के बीच लोगों ने खगोलीय घटनाओं का ब्योरा फिजिकल रिकॉर्ड के तौर पर तैयार किया.
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