बिना इजाजत लोकेशन ट्रैकिंग से यूजर्स की प्राइवेसी पर दखलंदाजी की वजह से इन दिनों गूगल की खूब फजीहत हो रही है. अब इंटरनेट पर सामने आए एक रिसर्च पेपर ने इस आग में घी डालने का काम किया है.
इस रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि "सफारी ब्राउजर वाले आईफोन की तुलना में क्रोम ब्राउजर वाले एंड्रॉइड फोन करीब 50 गुना ज्यादा डेटा भेजता है. अगर आप ब्राउजर का इस्तेमाल न भी कर रहे हों तो भी गूगल को डेटा भेजने का सिलसिला जारी रहता है.
ट्रेड ऑर्गनाइजेशन डिजिटल कंटेंट नेक्स्ट की ओर से छपे एक रिसर्च पेपर में वेंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डगलस श्मिड ने इस बारे में बताया है. उन्होंने कहा है कि जब सफारी ब्राउजर इस्तेमाल करने वाला कोई व्यक्ति सक्रिय रूप से अपने फोन को नहीं चला रहा हो, तो गूगल सफारी ब्राउजर या उसके होस्ट डिवाइस से ज्यादा डेटा इकठ्ठा नहीं कर पाता है.
प्रोफेसर डगलस के रिसर्च पेपर में यह भी बताया गया है कि एक एंड्रॉइड फोन, जिसका सक्रिय इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है और उसके बैकग्राउंड में क्रोम ब्राउजर चल रहा है, वो 24 घंटे के दौरान गूगल को 340 बार लोकेशन डेटा भेजता है. यानी हर घंटे करीब 14 बार.
बिना इजाजत गूगल आपकी लोकेशन पर रखता है नजर
एसोसिएटेड प्रेस की जांच में पाया गया कि गूगल आपकी हर एक्टिविटी पर नजर ही नहीं रखता है, बल्कि आप कहां जाते हैं इसका पूरा रिकॉर्ड भी रखता है. प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस रिसर्चर्स ने भी इस बात की पुष्टि की है. जांच में पता चला है कि एंड्रॉयड और आईफोन में गूगल की कई ऐसी सेवाएं हैं जो पर्सनल सेटिंग्स में लोकेशन को ऑफ करने के बावजूद आपकी लोकेशन का रिकॉर्ड रखती हैं.
गूगल के खिलाफ मामला दर्ज
सैन फ्रांसिस्को फेडरल कोर्ट में गूगल के खिलाफ दायर की गई याचिका के मुताबिक, गूगल लोगों को इस बात का झूठा भरोसा देता है कि अगर वे अपने फोन में 'लोकेशन हिस्ट्री' को ऑफ करते हैं, तो उन्हें ट्रैक नहीं किया जा सकता है. जबकि वास्तव में ऐसा होता नहीं है और गूगल उनकी गतिविधियों पर नजर रखता है. इसलिए ये यूजर्स की निजता के उल्लंघन का मामला है.
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