इस साल अप्रैल में Meta कंपनी के एग्जिक्यूटिव टॉम एलिसन ने फेसबुक (Facebook) कर्मचारियों को मेमो भेजा था. इसमें टिकटॉक (TikTok) से टक्कर लेने की फेसबुक की योजना के बारे में बताया गया था. इन योजनाओं में फेसबुक के एल्गोरिथ्म जिससे चैनल के बारे में जानकारी और सुझाव के नोटिफिकेशन भेजे जाने की प्रक्रिया में बदलाव की बात कही गई थी. इसके अलावा इंस्टाग्राम- फेसबुक इंटीग्रेशन और रील्स पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने की योजनाओं के बारे में बताया गया था.
यूट्यूब ने शॉर्ट वीडियो की रेस में “यूट्यूब शॉर्ट’ फीचर के साथ एंट्री की थी और वो भारत में काफी ज्यादा सफल रहा. माना जा रहा है कि फेसबुक यही रणनीति अमेरिका में अपनाने जा रहा है, जहां टिकटॉक का वर्चस्व है.
टिकटॉक से मिल रही चुनौती
फेसबुक के कर्मचारियों को जो मेमो टॉम एलिसन ने भेजा है वो THE VERGE को मिला है. इसमें एलिसन ने अपने टार्गेट के बारे में बात की है. इसमें फेसबुक में कई बदलाव की बात कही गई है ताकि प्लेटफॉर्म को टिकटॉक के मुकाबले में जोरशोर से खड़ा किया जा सके.
यह कदम लगभग उसी तरह का है, जैसे स्नैपचैट के तेजी से आगे बढ़ने से रोकने के लिए फेसबुक 'स्टोरीज' फीचर लेकर आया था. इससे प्लेटफॉर्म को शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट बनाने और इसके इस्तेमाल के लिए एक माध्यम के तौर पर स्थापित होने में मदद मिली थी.
तब से कंपनी टिकटॉक की चालों पर गहरी नजर रख रही है. कंपनी इस बात से भी चिंतित नजर आ रही है कि वो टिकटॉक से मुकाबला करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही थी. इस साल की शुरुआत में कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के साथ चर्चा में मेटा के अधिकारियों ने फैसला किया कि फेसबुक फीड में बड़े बदलाव की जरूरत है.
सेंसर टॉवर से जो डाटा मिला है वो ये बताता है कि फेसबुक की तुलना में टिकटॉक 20% ज्यादा और इंस्टाग्राम की तुलना में 21% ज्यादा डाउनलोड हुआ है. इसके अलावा डाटा से ये भी पता चलता है कि फेसबुक की तुलना में टिकटॉक पर यूजर्स अपना ज्यादा वक्त देते हैं.
ये आंकड़े निश्चित रूप से फेसबुक के लिए चिंता का एक कारण रहे हैं. और अब अगर ये मुकाबला करना चाहती है तो इसे आधुनिक सोशल मीडिया माहौल के जैसा होना पड़ेगा.
नए कलेवर और रिकमेंडेशन सिस्टम में बदलाव
द वर्ज के साथ इंटरव्यू में एलिसन ने कहा कि फेसबुक का नया डिजाइन तैयार करने का मुख्य मकसद ‘डिसकवरी इंजन’ में बदलाव करना था ताकि यूजर्स अपने मनमाफिक कंटेंट को आसानी से पा सकें. इसमें एक रणनीति जो फेसबुक सोच रही है वो ये है कि फेसबुक ऐसे यूजर्स से कंटेट को आगे बढ़ाने की रणनीति पर सोच रहे हैं जो यूजर्स के फॉलोअर्स पर नहीं है.
वर्तमान में फेसबुक फीड का औसतन केवल 11 प्रतिशत अनकनेक्टेड यूजर्स (जिसको यूजर फॉलो नहीं करता) से आता है. कंपनी इन स्रोतों से सामग्री की मात्रा बढ़ाने के लिए अपने AI को बढ़ाने की योजना बना रही है ताकि यूजर्स को अपनी फीड पर अलग अलग वैरायटी मिल सके.
फेसबुक के मोबाइल ऐप इंटरफेस में नया और बड़ा बदलाव जल्द देखने को मिलेगा. मुख्य टैब में टॉप पर रील्स और स्टोरीज होगी...इसके बाद यूजर्स जैसे नीचे की ओर जाएंगे डिस्कवरी इंजन से निकाले गए पोस्ट होंगे.
इसके अलावा इंस्टाग्राम और फेसबुक में ज्यादा इंटीग्रेशन होगा और दोनों जगहों से फीड एक दूसरे के साथ ज्यादा शेयर होगी. यूजर्स का एक्सपीरियंस अब विजुअल और वीडियो सेंट्रिक ज्यादा होगा. ये लगभग उसी तरह की पहल है जो टिकटॉक अपने यूजर्स को “फॉर यू पेज” के जरिए करती है.
इन बदलावों के साथ, फेसबुक यूजर्स के बीच अधिक से अधिक कनेक्टिविटी और सहभागिता को सक्षम करना चाहता है. होम पेज में दोस्तों के साथ पोस्ट शेयर करने के लिए और अधिक प्रमुख संकेत होंगे. पोस्ट और दोस्तों के बनाये कंटेंट को देखने के लिए एक अलग टैब होगा.
सामाजिक पहलू पर और जोर देने के लिए, फेसबुक ने अपने चैट फीचर को मुख्य ऐप से अलग करने के 2011 के फैसले को फिर से लागू करने का साहसिक फैसला लिया है.
यूजर्स के मैसेंजर इनबॉक्स को अब मुख्य ऐप में लाया जाएगा. इसमें स्क्रीन के ऊपर दाईं ओर मैसेजिंग फीचर दिखेगा. एलिसन ने कहा कि प्लेटफॉर्म को और अधिक इंटरएक्टिव बनाने के लिए इन लक्ष्यों पर बहुत जोर दिया जा रहा है.
इंडिया में मिली कामयाबी को दोहराना चाहती है यूटयूब
टिकटॉक में तेजी ने इंटरनेट पर शॉर्ट-फॉर्म कंटेट में क्रांति लाकर रख दिया है. अब सब जगह शॉर्ट-फॉर्म कंटेट की मांग बहुत ज्यादा है. यू ट्यूब ने भी अपने ऐप में नया फीचर ‘ यूटयूब शॉर्ट’ लाकर इसका फायदा उठाया.
विश्व स्तर पर YouTube शॉर्ट्स की तेज रफ्तार का श्रेय काफी हद तक भारत में इसकी सफलता को जाता है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई अंतरराष्ट्रीय कंटेट प्रॉडयूसर्स की 80 फीसदी से अधिक दर्शक भारत में हैं. भारत में ‘यूट्यूब शॉर्ट’ ने तेजी से आगे बढ़ना तब शुरू किया जब टिकटॉक को भारत में बैन किया गया था. यूटयूब शॉर्ट के लिए ये एक शानदार मौका था.
जून 2020 में जब टिकटॉक पर बैन लगाया गया था तो इसके करीब 200 मिलियन यूजर्स के पास शायद ही कोई विकल्प था. टिकटॉक बैन से जो खाली जगह आया और मौका बना उसका भरपूर फायदा यूटयूब शॉर्ट ने उठाया. फिलहाल यूटयूब शॉर्ट सबसे ज्यादा देखा जाना वाला कंटेट फॉर्मेट बन गया है.
अब खबरों के मुताबिक YouTube ने अमेरिका में भी अपनी जगह बना ली है, जहां TikTok यूजर्स, क्रिएटर्स और विज्ञापनदाताओं के लिए समान रूप से सबसे लोकप्रिय शॉर्ट-फॉर्म वीडियो प्लेटफॉर्म बना हुआ है. डेटा प्लेटफॉर्म कंपनी इनमार इंटेलिजेंस की रिपोर्ट है कि अमेरिकी कंपनियां YouTube शॉर्ट्स को टिकटॉक के बाद विज्ञापन के लिए दूसरा सबसे आकर्षक बाजार मानती हैं
शॉर्ट और पोर्ट्रेट मोड वाले वीडियो के लिए पैसे देने में असमर्थ यूट्यूब ने अलग से 100 मिलियन डॉलर के फंड का इंतजाम किया ताकि जो इस तरह के ऑरिजनल शॉर्ट वीडियो कंटेट तैयार कर रहे हैं उनको रिवॉर्ड दिया जा सके.
हालांकि यह क्रिएटर्स के लिए कमाई का मजबूत सोर्स के तौर पर काम नहीं कर सकता लेकिन इसने हजारों लोगों को अपने चैनलों को बनाने और अपने दूसरे सोशल लिंक को प्रमोट करने में मदद की है. यूट्यूब ने टिकटॉक से ‘फिल्टर, इफेक्ट और यहां तक कि 'ग्रीन स्क्रीन' फीचर भी अपने में जोड़ लिया है.
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