उत्तराखंड (Uttarakhand) के पूर्व सीएम और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत (Harish Rawat) बड़े अंतर से अपनी सीट गंवा चुके हैं. उन्होंने लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. नैनीताल जिले में आने वाले इस सीट में रावत का मुकाबला बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट से था. मोहन सिंह बिष्ट ने रावत को 17,527 वोटों से हराया है.
हरीश रावत पंजाब कांग्रेस प्रभारी थे, जिन्हें पिछले साल ही इस पद से मुक्त किया गया था. तब रावत ने खुद को इस पद से मुक्त करने के लिए आलाकमान से अपील की थी. उन्होंने तब कहा था कि पंजाब और उत्तराखंड दोनों जगह चुनाव आने वाले हैं ऐसे में दोनों जगह समय दने पर परिस्थितियां कठिन हो जाएंगी, इसलिए उन्हें इस पद से मुक्त कियया जाए.
इससे पहले भी 2017 के चुनावों में हार चुके हैं दो जगहों से
इससे पहले रावत को रामनगर सीट से चुनाव लड़ना था लेकिन पार्टी ने उनकी सीट बदल दी. मुख्यमंत्री पद का सपना देख रहे हरीश रावत के लिए फिर से कुर्सी पर वापसी के लिए अपनी खुद की सीट पर बड़ी जीत कर यह दावा मजबूत करना होगा. याद रहे कि 2017 के चुनाव में वो अपनी दोनों सीट से हार गए थे.
लंबा रहा है हरीश रावत का राजनैतिक करियर
73 साल के रावत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. वो 2014 से 2017 तक उत्तराखंड के मुख्मंत्री भी रह चुके हैं. इसके पहले वो 2009 से 2011 तक केंद्र की UPA सरकार के दौरान श्रम और रोजगार राज्य मंत्री भी रहे. इसके अलावा, 2011 से 2012 में वो खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री और संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे. 2012 में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. हरीश रावत अल्मोड़ा जिले के मोहनरी नाम के गांव से आते हैं.
2012 में उन्हें जब प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया तो उन्होंने जल संसाधन विभाग की जिम्मेदारी भी दी गई थी. इस पद पर वो 2014 तक अपनी सेवाएं देते रहे. लेकिन जब 2014 में उन्होंने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला तो केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
देखा जाए तो हरीश रावत कांग्रेस की तरफ से राज्य के सबसे बड़े नेता हैं.
कौन हैं मोहन सिंह बिष्ट
लालकुआं सीट से वर्तमान विधायक नवीन दुमका का टिकट काटकर नए चेहरे मोहन सिंह बिष्ट को उतारा गया था. इसके पहले वो 2019 में निर्दलीय के तौर पर हरिपुर बच्ची जिला पंचायत क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं.
मोहन सिंह बिष्ट के राजनीतिक जीवन की बात करें तो उन्होंने नैनीताल के DSB कॉलेज से छात्र संघ का चुनाव जीत छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की थी.
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