आप जब दिल्ली की निजामुद्दीन दरगाह के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले जेहन में एक गाना आता है. फिल्म रॉकस्टार का 'या निजामुद्दीन औलिया, या निजामुद्दीन सरकार'. ये दरगाह यहां 15वीं शताब्दी से है. 3 अप्रैल को सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया की पुण्यतिथि है. इस मौके पर क्विंट आपको निजामुद्दीन दरगाह को 360 डिग्री एंगल से दिखा रहा है.
यहां अंदर जाने के लिए जो संकरा रास्ता है. उसके दोनों तरफ दुकानें हैं, जहां आपको फूल, अगरबत्ती और चादर मिलती है. रिवाज के मुताबिक, सिर को ढंक कर दरगाह परिसर में दाखिल होना होता है. जैसे ही आप अंदर दाखिल होते हैं आपको यहां रूहानी एहसास होता है.
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औलिया का जन्म 1238 में हुआ था. उनको अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उत्तराधिकारी माना जाता है. उन्होंने 3 अप्रैल 1325 को अपनी अंतिम सांसें ली थीं.
वैसे तो दरगाह पर किसी भी दिन आ सकते हैं, लेकिन गुरुवार को यहां खास कव्वाली कार्यक्रम होते हैं और दरगाह को भी लाइटों से सजाया जाता है. ये जगह खाने के शौकीनों के लिए भी पसंदीदा जगह है. नॉन वेज के साथ यहां मिठाई की दुकानें भी हैं. यहां का हलवा पराठा भी काफी फेमस है.
कैमरापर्सन: बादशाह रे
वीडियो एटिर: राहुल सांपुई
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