वीडियो एडिटर: मो. इरशाद
योगी सरकार इस बार देश की सबसे बड़ी दिवाली अयोध्या में मना रही है. इसके लिए अयोध्या में तैयारियां भी बेहद खास रहीं. दीपोत्सव कार्यक्रम के लिए अयोध्या के लोगों ने राम-सीता की अगवानी की.
लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए राम और सीता को कैटवाॅक करना पड़ा! जो जोड़ी भगवान राम और सीता के रूप में पुष्पक विमान (हेलिकाॅप्टर) से उतरी उन्हें तलाशने में हफ्तों मशक्कत चली है.
अयोध्या में राम सीता के लिए ऑडिशन हुआ था. करीब 100-100 लोगों ने भगवान राम और सीता का किरदार पाने के लिए रैंपवाॅक किया था.
‘राम-सीता’ के कैटवाॅक से साधु संत नाराज
आस्था के केंद्र राम को मनोरंजन का साधन बनाने और से आयोध्या के साधु संत नाराज हैं. उनका मानना है कि रामलीला से पहले सीता राम की ये फैशन परेड नहीं होनी चाहिए थी.
धर्म ये कहता है, संस्कृति ये कहती है कि जब तक दुकान में मूर्ति होती है उसकी पूजा नहीं होती है. लेकिन जब उसी मूर्ति को मंदिर में लाकर प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाती है. इसके बाद उसकी पूजा होती है, भोग लगता है. इसी तरह जब रामलीला, रासलीला होती है तब भगवान को बनाया जाता है. किदार निभाने वाले को भगवान का स्वरूप मानकर दंड और प्रणाम किया जाता है.सुरेश दास, महंत दिगंबर अखाड़ा और योगी आदित्यनाथ के गुरुभाई
यूं ही कोई ‘सीता’ और ‘राम’ नहीं हो जाता..
रैंपवाॅक और गेटअप के अलावा प्रतियोगियों के हाव-भाव, मुस्कुराहट पर भी बारीक नजर रखी गई थी. आॅडिशन में भाग लेने वाली कंटेस्टेंट शिवानी ने बताया-
तीन बेस पर सिलेक्शन हो रहे थे, एक सीता का कैसा स्वभाव था, उन्हें कैसे रहना था. एक ड्रेस पर था और एक मेकअप पर था. उनका स्वाभाव शान्त सा था इसके अलावा चाल देखी गई. सीता पलकें झुका कर चलती थीं. इन सब चीजों पर नजर रखी गई थी.शिवानी, कंटेस्टेंट
राम के किरदार का चुनाव करते समय भी खास बातों का ध्यान रखा गया. मसलन राम अपने मंद मुस्कान के लिए जाने जाते थे. राम जहां भी जाते थे सीता का आगे रखते थे- ऐसे-ऐसे टिप्स कंटेस्टेंट को आॅडिशन के समय दिए जा रहे थे.
कंटेस्टेंट में से 25 जोड़ियों का चुनाव लखनऊ में आयोजित पहले राउंड में किया गया. अयोध्या में किरदारों का फाइनल राउंड हुआ और राम-सीता की जोड़ी सिलेक्ट की गई.
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