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बाल ठाकरे की फिल्म पर सेंसर से आखिर क्यों तिलमिलाई शिवसेना?

बाल ठाकरे की फिल्म पर आखिर विवाद क्या है? शिवसेना क्या चाहती है?

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पद्मावत, संजू, केदारनाथ के बाद अब एक और फिल्म पर विवाद है. लेकिन इस बार मामला थोड़ा रिवर्स डायरेक्शन में है, हर बार सेंसर बोर्ड के कट के फैसले को सही ठहराने वाली शिवसेना ही सीन कट के फेर में फंस गई है. हम बात कर रहे हैं शिवसेना सुप्रीम बाल ठाकरे की जिंदगी पर बनी फिल्म ठाकरे की. बाल ठाकरे की रियल जिंदगी को रील पर दिखाने का दावा करने वाली ये फिल्म 25 जनवरी को रिलीज हो रही है. बाल ठाकरे का किरदार निभा रहे हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी.

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सेंसर बोर्ड को है कुछ सीन पर आपत्ति

सेंसर बोर्ड ने फिल्म के कुछ सीन पर कट लगाने की बात कही है, लेकिन शिवसेना को ये नामंजूर हैं. शिवसेना सांसद संजय राउत जो इस फिल्म के प्रोड्यूसर और राइटर भी हैं, उनका कहना है कि जब फिल्म असली जिंदगी और घटनाओं पर आधारित है तो कट लगाने का तो सवाल ही नहीं बनता. ये वही संजय राउत और शिवसेना है जो अकसर किसी न किसी फिल्म को बैन कराने या सीन कट करवाने को लेकर शोर-शराबा मचाते रहते हैं.

मराठी-हिंदी ट्रेलर अलग-अलग!

एक और निराली चीज है, अलग-अलग फ्लेवर वाले हिंदी और मराठी के ट्रेलर. मराठी वाले ट्रेलर में बेरोकटोक और दबंग बाल ठाकरे दिखाए जा रहे हैं, जो मराठी अस्मिता का झंडा थामे हुए है. वहीं हिंदी के ट्रेलर में फोकस राष्ट्रवाद पर है.

उदाहरण से आपको समझाते हैं, मराठी ट्रेलर में 80 के दशक की मुंबई दिखाई गई है, जब शिवसेना ने दक्षिण भारतीयों के खिलाफ ‘हटाओ लुंगी और बजाओ पुंगी’ जैसे विवादित कैंपेन चलाए थे. ट्रेलर में हिंदी फिल्मो की जगह मुंबई के थियेटर में मराठी फिल्मों को जगह मिले टाइप सीन भी दिखाए गए हैं.

अब आइए हिंदी ट्रेलर में तो एक डायलॉग से ही आप पूरा लब्बोलुआब समझ जाएंगे. ट्रेलर के एक सीन में बाल ठाकरे और इंदिरा गांधी को एक साथ बैठे दिखाया जा रहा है, जिसमें ठाकरे बोलते नजर आ रहे हैं- 'मैं जय हिंद, जय महाराष्ट्र' बोलता हूं क्योंकि पहले देश है फिर महाराष्ट्र.

एक और सीन में बाबरी विध्वंस का जिक्र है, मतलब कि हिंदी ट्रेलर में हिंदी पट्टी की भावनाओं को जगह दी गई है, हिंदुत्व के तड़के के साथ.

ट्रेलर यहां देखिए-

क्या शिवसेना को संस्थाओं पर नहीं है भरोसा?

अब ऐसे में सेंसर को बोर्ड को लगा कि कुछ सीन पर तो कैंची चलानी ही चाहिए. बोर्ड को मराठी ट्रेलर में दिखाए गए दो सीन पर आपत्ति है-

  • जिसमें से एक है बाबरी मस्जिद विध्वंस
  • दूसरा है मुंबई में दक्षिण भारतीय लोगों के खिलाफ शिवसेना के आंदोलन के वक्त बाल ठाकरे का विवादित बयान.

सेंसर बोर्ड के आदेश के बाद भी मराठी ट्रेलर से इससे नहीं हटाया गया. अब हर कोई पूछ रहा है कि क्या शिवसेना के लिए कोई नियम-कानून है? क्या सेंसर बोर्ड जैसी संस्थाओं पर शिवसेना को विश्वास है?

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पीएम मोदी पर निशाना?

शिवसेना ने इस फिल्म में पीएम मोदी को भी नहीं छोड़ा. फिल्म के मराठी ट्रेलर में एक डायलॉग है-व्यक्ति की ताकत छाती कितने इंच की है इस पर निर्भर नहीं करती, उसके दिमाग पर निर्भर करती है. साफ है कि ये इशारा किसके लिए था. मतलब सड़क, संसद, सोशल मीडिया पर अपनी ही सहयोगी बीजेपी पर निशाना साधने वाली शिवसेना ने फिल्म में भी बीजेपी को नहीं छोड़ा. हालांकि, हिंदी ट्रेलर से ये डायलॉग गायब है. जाहिर है पूरा बैलेंस बिठा-बिठाकर ट्रेलर रिलीज किया गया है.

एक सवाल और पूछा जा रहा है कि क्या इस फिल्म से शिवसेना को कोई सियासी फायदा मिलेगा. तो जवाब है कि फिल्म का मकसद शिवसेना की पॉपुलैरिटी उन युवाओं में बढ़ाना है जो बाल साहेब ठाकरे की शख्सियत से वाकिफ नहीं है. साथ ही शिवसेना के गिरते राजनीतिक रसूख को बाला साहेब की फिल्म के जरिए फिर से लोकप्रिय बनाने की कोशिश है. और ये भी दिखाने की कोशिश है कि शिवसेना का एजेंडा मराठी अस्मिता, देश और हिंदुत्व है.

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