"फिल्म का नाम सही रखा है 'भक्षक', मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस एक भयानक सच है. इस केस में कोई याचिका डालना नहीं चाह रहा था, मैंने लंबी लड़ाई लड़ी. 4 याचिका लगाई. ये आसान नहीं था. हालांकि फिल्म में मुझे कोई क्रेडिट नहीं दिया गया है. न ही फिल्म बनाने वालों ने इसे असल घटना से प्रेरित बताया है. वो खुलकर कहते भी नहीं हैं कि वो किनसे प्रेरित हुए?"
ये कहना है बिहार की रहने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट निवेदिता झा का. दरअसल, हाल ही में निर्देशक पुलकित सिंह की फिल्म 'भक्षक' रिलीज हुई है. इस फिल्म में एक्ट्रेस भूमि पेडनेकर और संजय मिश्रा हैं जिन्होंने एक पत्रकार का किरदार निभाया है.
पत्रकार एक शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों के साथ हो रही यौन हिंसा का पर्दाफाश करते हैं और उन्हें न्याय दिलाती हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्म के रिलीज होने के बाद से ये चर्चा शुरू हो गई कि यह फिल्म बिहार में 2018 के चर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड से प्रेरित है.
साथ ही ये भी कहा जाने लगा कि इस फिल्म के लीड रोल में भूमि पेडनेकर जिस पत्रकार का रोल निभा रही हैं असल में वो निवेदिता झा हैं. हालांकि फिल्म में कहीं भी निवेदिता झा या किसी और पत्रकार का जिक्र नहीं है. इसी मुद्दे पर क्विंट ने निवेदिता झा से बात की.
बता दें कि निवेदिता झा ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में 4 PIL दायर की थी. निवेदिता झा बताती हैं कि इस मामले में मीडिया का और समाजसेवा करने वाले लोगों का काफी अहम योगदान रहा है.
निवेदिता झा बताती हैं,
"मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की सीबीआई जांच कर रही थी, इसी दौरान एजेंसी ने अदालत से कहा कि जांच से जुड़े मुद्दे पर पत्रकार अपनी मर्जी से रिपोर्ट नहीं कर सकते, वे सीबीआई की ब्रीफिंग पर ही रिपोर्ट करें. सीबीआई की इस अपील को पटना हाई कोर्ट ने स्वीकार किया और इस मामले की मीडिया कवरेज पर बैन लगा दिया गया लेकिन इस बैन के खिलाफ किसी भी बड़े मीडिया संस्था ने अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया."
निवेदिता आगे बताती हैं, "जब कोई आगे नहीं बढ़ा तब मैंने अपनी दोस्त और वकील फौजिया शकील की मदद से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया और हमें रिपोर्टिंग का अधिकार दिया. इसके बाद मैंने तीन और पिटीशन दायर किए. पहला इस जांच में उन 17 शेल्टर होम को शामिल करने का था जिनके खिलाफ TISS की टीम ने नकारात्मक रिपोर्ट दी थी. दूसरा PIL उन बच्चियों को गवाह बनाने का था जो यौन उत्पीड़न का शिकार हुई थीं और तीसरा PIL इस केस में जल्द से जल्द फैसले को लेकर लगाया था. यही वजह है कि इस केस में दोषियों को जल्द से जल्द सजा हो सकी.”
क्या था मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामला?
यह मामला उस वक्त सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज ने 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों से कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं का जिक्र किया गया था. इस चर्चित मामले में बिहार पीपुल्स पार्टी के पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी था. इस रिपोर्ट के आने के बाद जब सरकार की तरफ से कोई खास एक्शन नहीं लिया गया तब लोकल अखबारों और मीडिया में खबरें सामने आने लगी थीं. धीरे-धीरे ये मुद्दा नेशनल मीडिया में आया. केस सीबीआई के पास गया. इसी दौरान निवेदिता झा ने अदालत में कई पीआईएल दाखिल किए.
जिसके बाद कोर्ट ने 20 मार्च, 2018 को नाबालिगों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न की साजिश रचने के अपराध में ठाकुर समेत कई आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. इसके बाद 20 जनवरी को कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी समेत 19 आरोपियों को दोषी करार दिया था. वहीं इस कांड में राज्य के कई राजनेताओं और अधिकारियों के नाम भी सामने आए थे. तब बिहार की तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा के पति का नाम भी इस कांड में सामने आया और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.
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