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कभी आंखों में थे आंसू,लेकिन इस दिवाली सतवीर के चेहरे पर मुस्कान है

मई में सतवीर की कहानी सामने आने के बाद क्विंट के पाठकों ने उसकी मदद की थी

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वीडियो एडिटर: पूर्णेन्दु प्रीतम

“मैं इस दिवाली को हमेशा याद रखूंगा क्योंकि ये मेरे जीवन में एक नई शुरुआत लेकर आया है. मेरे पास कुछ भी नहीं था, लेकिन आज मेरे पास सब कुछ है”
सतवीर

COVID-19 महामारी के कारण, इस बार की दिवाली किसी के लिए फीकी होगी, और किसी क लिए विशेष...उनमें से एक सतवीर हैं.

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लॉकडाउन के दौरान, मई 2020 में, क्विंट ने बताया था कि किस तरह नोएडा पुलिस ने सतवीर को अपनी आमदनी के एकलौते स्रोत, उनकी कुल्फी के ठेले को दिल्ली-नोएडा सीमा पर रोक दिया था.

कई अन्य प्रवासी कामगारों की तरह, सतवीर भी वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे और उनके पास दिल्ली में कोई काम नहीं था.

“मैं दिल्ली में काफी दुख में था. मैं रिक्शा चलाता था और कुल्फी बेचता था, लेकिन लॉकडाउन के कारण मेरे पास कोई काम नहीं था. इसलिए, मैं अपने गांव (उत्तर प्रदेश के बदायूं) के लिए रवाना हुआ. ”
सतवीर

लेकिन आज उसकी जिंदगी काफी बेहतर हो गई है, क्विंट के पाठकों ने उसकी कहानी देखी है.

सतवीर के आंसुओं और दुर्दशाओं ने क्विंट के पाठकों को हिलाकर रख दिया और उनके लिए दुनिया के अलग अलग हिस्सों से लोगों ने सपोर्ट किया. उन्हें न केवल भारत, बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से भी.. 3 लाख रुपये से ज्यादा का दान मिला.

सतवीर ने पैसे से अपने दो बीघा खेत में एक ट्यूबवेल लगवा लिया है, जिससे वो कई तरह की सब्जियां उगाता है. वो अपनी आय को और बढ़ाने के लिए और ज्यादा जमीन किराए पर लेने में सक्षम हो गया है.

“अगर मैं भविष्य में और अधिक जमीन खरीद लूंगा तो मैं और भी बेहतर करूंगा”
सतवीर

सतवीर अब अपनी पत्नी, 2 बच्चों और दादी के साथ उत्तर प्रदेश के बदायूं में रहता है. अब वो कभी दिल्ली नहीं लौटना चाहता है.

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