गुलाबो सिताबो की वैसे तो तारीफ हो रही है. लेकिन ये फिल्म आप सिर्फ अमिताभ बच्चन के लिए देख सकते हैं. फिल्म में मिर्जा के किरदार में अमिताभ को देखकर आप नए सिरे से बिग बी के बिग फैन हो जाएंगे.
मिस्टर बच्चन नहीं, मिर्जा
मिर्जा के किरदार में आपको कहीं से भी अमिताभ नजर नहीं आएंगे. इसमें मेकअप, प्रोस्टेथिक का जो योगदान है वो तो है ही लेकिन जिस अंदाज में अमिताभ ने इस लखनवी किरदार को निभाया है वो बेजोड़ हैं. वो उनके चलने की अदा, लोकल जुबान की बारीकियां, वो बड़बड़ाना...ये अमिताभ ही कर सकते हैं. डायरेक्टर शूजीत सरकार के साथ अमिताभ पहले भी काम कर चुके हैं. पीकू में दोनों की जोड़ी कमाल दिखा चुकी है. लेकिन डायरेक्टर के निर्देशों से कहीं आगे अमिताभ किरदार को ले जाते हैं. हालांकि क्विंट से एक बातचीत में खुद अमिताभ कहते हैं कि शूजित सरकार की वो बड़ी कद्र करते हैं.
गुलाबो सिताबो के केस में शूजित सरकार थे तो बस मैंने हां कर दी. वो प्रोजेक्ट लाए और मैंने आंख बंद करके हां बोल दिया. शूजित के साथ मैं कोई नेरेशन नहीं करता. वो आते हैं, एक आइडिया देते हैं और बस बात पक्की हो जाती.क्विंट से अमिताभ बच्चन
फिल्म में आयुष्मान खुराना भी हैं और अपने किरदार बांके के साथ उन्होंने पूरा इंसाफ भी किया है लेकिन अमिताभ फिर अमिताभ हैं.
आयुष्मान एक होनहार एक्टर है, जिसमें बहुत क्षमता है. मैं उनके साथ काम करके और उनसे सीख कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं.क्विंट से अमिताभ बच्चन
कुल मिलाकर ये फिल्म शूजित सरकार के लिए, अपने देसी स्वाद के लिए देखी जा सकती है लेकिन खासकर अमिताभ बच्चन के लिए जरूर देखी जा सकती है. ये हमारी खुशकिस्मती है कि हम उस दौर में जी रहे हैं, जब अमिताभ बच्चन फिल्मों में काम कर रहे हैं. उम्मीद है ये दौर अभी लंबा चलेगा.
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