मेरे साथी कहते हैं कि तुम किस्मत वाले थे बच गए, अंकित नहीं बचा
क्विंट ने जब सुमित से अंकित सक्सेना की घटना को लेकर चर्चा की तो उसने ये बात कही. सुमित ने भी मुस्लिम धर्म की लड़की से प्यार किया और उसी से शादी की. वाकई में सुमित खुशकिस्मत है. आज अजरा उसके साथ है. लेकिन अंकित की घटना के बाद इस जोड़े के अंदर भी डर की लहर दौड़ गई.
दोनों ने हमसे अपनी कहानी बताई कि कैसे हरियाणा का एक हिंदू लड़का और दिल्ली-6 (पुरानी दिल्ली) की मुस्लिम एक दूसरे के हमसफर बन गए.
NCRB की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में ऑनर किलिंग के 28 मामले दर्ज किए गए थे. 2015 में ये संख्या 192 पहुंच गई. ये बढ़ोतरी करीब 800% की थी. हालांकि ये अधिकारिक आंकड़े हैं, पूरे भारत में कितने ही मामले दर्ज भी नहीं होते.
सुमित और अजरा बताते हैं कि उन दोनों के ही घर पर कोई राजी नहीं था. यहां तक कि उनके कई दोस्तों ने भी साथ छोड़ दिया. कुछ इतने नाराज हो गए कि शादी पर भी नहीं आए. दोनों दिल्ली यूनिवर्सिटी के जाकिर हुसैन कॉलेज में मिले थे. दोनों पॉलिटिकल साइंस के छात्र थे.
हम दोस्त बन गए. ये मेरे असाइनमेंट करती थी. मुझे असाइनमेंट करना बिलकुल पसंद नहीं था.सुमित
वहीं, अजरा बताती हैं कि उनको सुमित के विचार पसंद थे.
कैसे किया प्रपोज?
साल 2010 की बात है दोनों प्रगति मैदान में लगे ट्रेड फेयर से वापस लौट रहे थे.
मैंने उसे मेट्रो में प्रपोज किया. मैंने उसे ये नहीं कहा कि मैं तुम्हें प्यार करता हूं, मैंने कहा मैं तुम्हें पसंद करता हूं.सुमित
मुझे उस पर विश्वास नहीं हुआ. मैं घर गई और काफी सोचा इस बारे में. इसके एक हफ्ते बाद मैंने उसे हां बोल दिया.अजरा
अजरा बताती हैं, ''हमने पहले शादी के बारे में नहीं सोचा था, लेकिन अलग होना भी बहुत मश्किल था. फिर हमने अपने घर में बताने का फैसला किया.''
जब मैं छोटा था, मेरे पिता तभी गुजर गए थे. मैंने अपनी मां को बताया. पहले तो उन्होंने मना कर दिया. इसके बाद मैंने अक्षरधाम पर एक मीटिंग करवाई और फिर मां मान गईं.सुमित
मैंने अपने घर पर बताया. तो मेरी मां ने कहा कि ये सिर्फ फिल्मों में होता है. उन्होंने कहा परिवार और समाज के बारे में सोचो.अजरा
दोनों ने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत जाकर 22 जून 2016 को शादी कर ली. शादी के बाद अजरा की मां ने कहा कि वो सुमित को तभी स्वीकार करेंगे जब वो इस्लाम धर्म अपना ले. अजरा को इसके लिए बहुत बुरा लगा और उसकी मां आज भी इस शादी को कबूल नहीं करती हैं.
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