कैमरा: शिव कुमार मौर्य
वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई
"हर किसी को गोरी वाईफ पसंद है. सांवले रंग की पत्नी कोई क्यों चाहेगा? "
"कुछ लोग सोचते हैं कि अगर उनकी पत्नी गोरी नहीं होगी, तो दोस्तों के बीच उनकी बेइज्जती हो जाएगी."
मुझे ऐसे ही कुछ जवाब मिले जब मैंने दिल्लीवासियों से पूछा कि क्या गोरा रंग बेहतर होता है?
भारत में फेयरनेस क्रीम का लगभग 450 मिलियन डाॅलर का फलता-फूलता कारोबार है. इतना ही नहीं सालाना इसकी ग्रोथ लगभग 18% है.
ऐसा क्यों?
भले ही एक तरफ ‘डस्की इज ब्यूटीफुल’ यानी ‘सांवला रंग सुंदर है’ जैसी बातें इस मानसिकता को बदलने के लिए की जा रही है. लेकिन फिर भी कई लोगों का मानना है कि गोरा रंग ‘काॅन्फिडेंस’ बढ़ाता है.
मैंने कई लोगों से पूछा कि क्या वो सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने के लिए किसी एडिटिंग ऐप का यूज करते हैं. तो लोगों ने बताया कि वो फेयर दिखने के लिए इंस्टाग्राम डिफाॅल्ट फिल्टर या किसी एडिटिंग ऐप की मदद लेते हैं ताकि वो गोरे दिखें.
“मैं एडिटिंग ऐप यूज करती हूं ताकि सोशल मीडिया पर मुझे अच्छा रिस्पाॅन्स मिले”
बड़ी आंखों से लेकर रंग गोरा करने के लिए कई आॅनलाइन ऐप हैं जिसका लोग इस्तेमाल करते हैं. वो इसके लिए पैसे खर्च करने से भी नहीं हिचकते.
यहां तक कि किम कार्दशियन भी आॅनलाइन सेल्फी पोस्ट करने से पहले उसे एडिट करती हैं.
यूएस वीकली के मुताबिक, किम कार्दशियन और उनकी बहनें इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने से पहले अपनी फोटो एडिटिंग के लिए 'परफेक्ट 365' नाम का ऐप इस्तेमाल करती हैं.
बात करें भारतीय समाज की तो यहां इस रंग को लेकर दीवानापन ज्यादा दिखता है. हम ऐसे ही माहौल में बड़े हुए हैं जहां गोरापन सुंदरता का परिचायक है.
और जब बात लाइफ पार्टनर पर आ जाए तब तो..
“गोरे रंग की लड़की चाहिए.”
मुझे यकीन है कि आपने मैट्रिमाॅनियल साइट पर ऐसे ऐड जरूर देखे होंगे.
एक महिला ने मुझसे कहा कि लड़का-लड़की दोनों की रंगत मिलनी चाहिए. एक गोरा और एक सांवला अच्छा नहीं लगता. मैने पूछा क्यों? तो जवाब मिला क्योंकि ये हमारा ‘ट्रेडिशन’ है.
लोगों में जागरूकता कब पैदा होगी और अपने सांवले बेटे के लिए गोरी पत्नी ढूंढना कब खत्म करेंगे, पता नहीं. लेकिन तब तक गोरा बनाने वाली क्रीमों का बाजार फलता फूलता रहेगा.
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