ADVERTISEMENTREMOVE AD

Video | मिलिए कोलकाता की इकलौती महिला कैब ड्राइवर से

महिलाओं के हाथ में कार की स्टीयरिंग व्हील भारतीय समाज के लिए आसानी से हजम होने वाली बात नहीं है 

छोटा
मध्यम
बड़ा

ड्राइविंग करती लड़कियों के बारे में मजाक उड़ाने वाली और स्टीरियोटाइप बातें आपने खूब सुनी होंगी. महिलाओं के हाथ में कार या एसयूवी का स्टीयरिंग व्हील भारतीय पुरुष प्रधान समाज के लिए आसानी से हजम होने वाली बात नहीं है.

लेकिन चलिए आपको मिलवाते हैं सुषमा मिद्दे से. सुषमा कोलकाता में उबर की इकलौती महिला ड्राइवर हैं. अब तक 500 ट्रिप पूरी कर चुकी हैं. वो इस पेशे में आने के पीछे का दिलचस्प किस्सा सुनाती हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
एक दिन मेरे एक काकू से मैंने कहा कि “..काकू क्या करूं मुझे कोई काम अच्छा नहीं लगता.” काकू ने मुझे मजाक में कहा “..जाओ, तुम टैक्सी ड्राइवर बन जाओ,  टैक्सी चलाओ”. ये बात मेरे दिमाग में तब से घर कर गई कि मैं टैक्सी ड्राइवर ही बनूंगी.  
सुषमा मिद्दे

सुषमा का बेटा स्कूल में पढ़ता है. उसके एडमिशन के बाद उन्होंने ड्राइवर बनने की तैयारी पूरी की. सुषमा के पति पहले जूट मिल में काम करते थे, वहां काम कर गुजारा करना मुश्किल था. अब वो टोटो (ई-रिक्शा) चलाते हैं. वो दिव्यांग हैं.

सुषमा का कहना है कि अगर उन्हें उनके पति का साथ नहीं मिला होता तो वो इतना आगे नहीं बढ़ पाती. वो कहती हैं- मेरे मां-पिता को नहीं पता था कि मैं इस काम को शुरू करने जा रही हूं लेकिन अब उन्हें गर्व होता है.

सुषमा अपने काम के बारे में हंसती हुई बताती हैं कि उन्हें कई बार अजीबो-गरीब सवालों और वाकयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके पैसेंजर्स को कैब बुक करते समय इस बात की जानकारी नहीं होती कि वो एक महिला ड्राइवर हैं.

कभी-कभी वो आधी रात को काम कर घर वापस लौटती हैं. लेकिन उनका मानना है कि औरत होना उनके काम में कभी बाधा नहीं बनी. सुषमा की इच्छा है कि वो इसी पेशे से कमाई करते हुए अपने लिए एक घर खरीदें.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×