ये कविता फैसल जैदी की है, जिसमें उन्होंने चंद शब्दों में बयां किया है एक सेक्स वर्कर की जिंदगी का दर्द. किस तरह सेक्स वर्कर्स को समाज महज इस्तेमाल की जाने वाली एक सामान के तौर पर देखता आ रहा है. लेकिन इस प्रोफेशन में उन्हें खुद को झोंकने के पीछे उनकी उथल-पुथल भरी जिंदगी होती है, उसके बारे में कोई नहीं सोचता.उनकी अंधेरी गलियों में जाने वाले मर्द होते हैं, लेकिन बदनामी, गंदगी का ठप्पा इन औरतों पर लगा दिया जाता है. उन औरतों को भी सम्मान पाने का हक है. ये कविता इसी की बात करती है. इस वीमेंस डे पर आप भी उन महिलाओं के लिए अपना नजरिया बदलें.
इस शहर आया तो देखा यहां जिस्म भी बिकते हैं
हवस भरी हरकतों से जहां दिन-रात लोग गुनाह करते दिखते हैं
जो भूल जाते हैं उस दरिंदगी में कि, उन औरतों के जिस्म में इक रूह भी होती है
कुछ मजबूरी ही रही होगी उनकी
नहीं तो उन तवायफों की भी आबरू होती है
कुछ लोग मिले जिन्होंने बताया कि उन हरकतों को उनका पेशा यानी काम कहते हैं
मन ना माना मेरा क्योंकि जो बेरहमी से हो उसे काम नहीं हराम कहते हैं
कुछ और लोग मिले जिन्होंने कहा कि इनके बारे में बात करने से मन गंदे होते हैं
तब समझ आया कि इतनी आसानी से कैसे जिस्मफरोशी के धंधे होते हैं
ये पेशा कुछ ही लोग चुनते होंगे
नहीं तो ऐसी हालत देख कौन ही अपनी मौत खुद बुनते होंगे
ये मौत ही तो है इसमें कहां जिंदगी है
उस गली में जाते हर मर्द के जहन में जो गंदगी है
अपने बच्चों का पेट भरने के लिए ये खुद रोज नीलाम हो जाते हैं
थोड़ी सी जिंदगी पाने के लिए ये रोज बदनाम हो जाते हैं
वो जमाना गया जब लोग तवायफों की भी इज्जत किया करते थे
तब ये लोग रोज जिंदा रहकर भी कुछ जिंदगी पाने के लिए नहीं मरते थे
ये इंसान ही हैं इन्हें थोड़ी जिंदगी दे दीजिए
आप सब लोग नेकदिल हैं आप तो इनकी इज्ज्त ना लीजिए
(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)