पैसों की जरूरत हर किसी को होती है. फिर चाहे घर खरीदना हो या गाड़ी, इलाज कराना हो या घूमने जाना. पैसों की कमी को पूरा करने के लिए अक्सर हम Loan लेने का फैसला करते हैं. लेकिन जल्दबाजी में हम कई ऐसे फैसले ले लेते हैं जिनकी वजह से हमें बाद में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
धन की बात के इस एपिसोड में आज हम ऐसी ही चीजों की बात करेंगे जो अक्सर हम लोन लेने से पहले नहीं सोचते.
किसी भी तरह का लोन लेने से पहले हमारे मन में कई तरह के सवाल उठते हैं.
- कितना, किस रेट पर और कहां से लोन लें?
- Secured लें, Unsecured, Fixed Rate या Floating Rate?
तो इन सभी सवालों के जवाब आपको यहां मिलेंगे.
सबसे पहली बात ये है कि लोन तभी लें जब आपको उसकी जरूरत है. मौज या शौक पूरा करने के लिए लोन कतई न लें.
कितने तरीके के लोन हैं?
लोन दो तरह के होते हैं.
- Secured Loan
- Unsecured Loan
Secured Loan
ये इस तरह के लोन होते हैं जिसमे बैंक के लिए रिस्क फैक्टर कम होता है क्योंकि यह किसी तरह की प्रॉपर्टी या गोल्ड जैसी चीज के एवज में दिया जाता है. जब तक आप लोन को चुकता नहीं करते, उसका स्वामित्व आपकी फाइनेंशियल संस्था के पास ही रहता है. जैसे ही लोन चुका दिया जाता है आपको नो ड्यूस सर्टिफिकेट मिल जाता है.
Unsecured Loan
अनसिक्योर्ड लोन के लिए किसी भी तरह की कोई सुरक्षा गारंटी नहीं देनी होती है और यह केवल उस आधार पर दिया जाता है जिससे आपके आय और खर्च का निर्धारण हो सके. पर्सनल लोन इसी के तहत आता है.
कितना लोन लेना सही है?
अगर आपने होम लोन लिया है तो आप अपनी आमदनी में से 40%-50% से ज्यादा EMI न रखें. इससे भविष्य में आपको दिक्कत हो सकती है.
होम लोन के अलावा दूसरे मामलों में 20-25% से ज्यादा EMI नहीं होनी चाहिए.अगर आपने एक से ज्यादा लोन लिए हैं तब भी आपको ये ध्यान रखना होगा कि EMI आपकी आमदनी की 45%-50% से ज्यादा न हो.
एक जरूरी बात ये है कि आपके पास अपने 90 दिन के खर्च का बैलेंस सेविंग के रूप में होना चाहिए, जो आपके मुश्किल वक्त में काम आएगा.
आप भी पर्सनल फाइनेंस से जुड़े अपने सवाल हमें भेज सकते हैं. हमारा ईमेल आईडी है: dhankibaat@thequint.com
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